ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के निकट भारतीय अधिक ‘उत्साहित’ न हों

Edited By ,Updated: 23 Jul, 2022 04:29 AM

indians not too  excited  near rishi sunak becoming uk prime minister

इस महीने के शुरू में ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद के त्यागपत्र के बाद वहां लगी मंत्रियों के त्यागपत्रों की झड़ी से प्रधानमंत्री बोरिस जानसन की सरकार खतरे में आ

इस महीने के शुरू में ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और स्वास्थ्य मंत्री साजिद जाविद के त्यागपत्र के बाद वहां लगी मंत्रियों के त्यागपत्रों की झड़ी से प्रधानमंत्री बोरिस जानसन की सरकार खतरे में आ गई और अंतत: 7 जुलाई को उन्हें अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। 

तभी से देश के अगले प्रधानमंत्री पद के 6 दावेदारों में ऋषि सुनक का नाम आगे चल रहा है जो 5 मतदानों में सर्वाधिक अंक लेकर प्रथम स्थान पर बने हुए हैं व दूसरे स्थान पर हैं बोरिस जानसन सरकार में विदेश मंत्री लिज ट्रस। कई सर्वेक्षणों का कहना है कि ऋषि सुनक जीतेंगे जबकि एक अन्य सर्वे का कहना है कि लिज ट्रस जीतेंगी। वीरवार को टोरी सदस्यों के सर्वेक्षण ने लिज को 62 से 38 प्रतिशत तक बढ़त दी है। 5 सितम्बर को परिणाम घोषित होने से पहले उम्मीदवार अगले कुछ दिनों में देश भर में 12 बहसों अथवा भाषणों में भाग लेंगे। 

अब दोनों ही उम्मीदवारों की 25 जुलाई को आमने-सामने की बहस के साथ ही देश में टोरी पार्टी के 1.6 लाख सदस्यों का पोस्टल बैलट से मतदान करवाया जाएगा। इस मुकाबले में ऋषि सुनक की उम्मीदवारी का सर्वाधिक विरोध पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जानसन ही कर रहे हैं जिन्होंने यहां तक कहा है कि ‘‘चाहे किसी को भी वोट दो लेकिन ऋषि सुनक को वोट मत दो।’’ऋषि ने अपनी प्रतिद्वंद्वी लिज ट्रस की आॢथक नीतियों पर अब तक का सबसे मजबूत हमला शुरू करके दावा किया है कि उनकी 30 बिलियन यूरो की बिना किसी फंड वाली प्रस्तावित कर कटौती योजना की वजह से महंगाई और ब्याज दरों के बढऩे का खतरा है। कर तथा व्यय इस कठिन लड़ाई में प्रमुख मुद्दे बन गए हैं।

ऋषि ने जोर देकर कहा है कि करों में तुरंत कटौती, जैसा कि लिज ने वादा किया है, ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग’ (जीवन-यापन की लागत) को बढ़ाने वाला होगा। परिणाम जो भी हो, हम भारतीयों को यह समझने की जरूरत है, अगर ऋषि जीतते हैं तो यह पहली बार नहीं होगा कि एक भारतीय मूल का व्यक्ति देश से दूर किसी अन्य देश में सरकार का मुखिया बनेगा। विश्व के लगभग एक दर्जन देशों में भारतीय मूल के लोग राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रह चुके हैं या अभी हैं जैसे कि मॉरीशस में 7, पुर्तगाल में 2, मलेशिया में 1, सिंगापुर में 2, सूरीनाम में 4, त्रिनिदाद और टोबैगो में 3, गुआना में 3, फिजी में 1, आयरलैंड में 1 और 1 सेशेल्स में। 

इसके अलावा महत्वपूर्ण पदों पर आस्ट्रेलिया में 11, कनाडा में 37, फिजी में 35, गुआना में 14 , आयरलैंड में 1, जमैका में 1, जापान में 1, केन्या में 4, मलेशिया में 24, मॉरीशस में 15, नीदरलैंड्स में 1, न्यूजीलैंड में 4, पापुआ न्यू गिनी में 5, पुर्तगाल में 5, सिंगापुर में 17, सेशेल्स में 2, दक्षिण अफ्रीका में 23, स्पेन में 24, सूरीनाम में 8, स्विट्जरलैंड में 1, तन्जानिया में 15, थाईलैंड में 1, त्रिनिदाद और टोबैगो में 31, ब्रिटेन में 19 व अमरीका में 41 भारतीय विराजमान हैं। 

इससे स्पष्ट है कि भारतीय मूल के लोगों ने विदेशों में अपनी विशेष पहचान बनाई है। जहां इनकी पहली पीढ़ी ने वहां स्वयं को स्थापित किया तो दूसरी पीढ़ी ने और भी बढिय़ा काम करके वहां अपने लिए विशेष जगह बनाई। ऋषि सुनक के माता-पिता पहले पूर्वी अफ्रीका में रहते थे और वहां से ब्रिटेन चले गए जहां ऋषि सुनक का 1980 में साऊथैम्पटन में जन्म हुआ। 

अब जबकि ऋषि सुनक और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के पद के बीच बहुत कम फासला रह गया है कुछ लोगों का मानना है कि 265 वर्ष पहले पलासी के युद्ध में अंग्रेजों की भारत में पहली बड़ी जीत हुई थी और अब ऋषि के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर इतने वर्षों बाद वहां पर भारतीयों की इस मायने में पहली जीत होगी कि एक भारतीय ब्रिटेन की सरकार के सर्वोच्च पद पर नियुक्त होगा। 

हम भारतीय इंगलैंड के भावी प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक की कल्पना मात्र से ही अत्यंत उत्साहित हैं जैसे कि हम निक्की हैली को संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की राजदूत बनाने पर व कमला हैरिस के अमरीका की उपराष्ट्रपति बनने पर उत्साहित हुए थे पर हमें नहीं भूलना चाहिए कि भारतीय मूल के होने के बावजूद ये सब अब अमरीका के हो चुके हैं और जो जहां के मतदाताओं के मत से जीतता है उसे वहीं का होना होगा और वे हैं। हालांकि भारत के साथ वे अच्छे संबंध रख सकते हैं पर वे सरकार तो वहां के लोगों के हितों को ध्यान में रख कर ही चलाएंगे।-विजय कुमार 

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