अदालतों में चंद वकीलों के गलत व्यवहार से - जज गुस्से में

Edited By ,Updated: 25 Jan, 2024 06:14 AM

judge angry due to misbehavior of few lawyers in courts

वकालत एक आदर्श पेशा है, जिसमें पीड़ित को न्याय दिलवाने के लिए वकीलों से तर्कसंगत ढंग से अपना पक्ष रखने की उम्मीद की जाती है, परंतु चंद वकील यह बात भूल कर अदालत में ऊंची आवाज में बोलने और मोबाइल पर बात करने या किसी बात को लेकर जज पर दबाव डालने के...

वकालत एक आदर्श पेशा है, जिसमें पीड़ित को न्याय दिलवाने के लिए वकीलों से तर्कसंगत ढंग से अपना पक्ष रखने की उम्मीद की जाती है, परंतु चंद वकील यह बात भूल कर अदालत में ऊंची आवाज में बोलने और मोबाइल पर बात करने या किसी बात को लेकर जज पर दबाव डालने के अलावा कभी-कभी तो इससे भी आगे बढ़ कर माननीय जजों पर आपत्तिजनक वस्तु फैंकने से भी संकोच नहीं करते :  

* 2 मार्च, 2023 को चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ पर जब एक वरिष्ठ वकील ने सुप्रीमकोर्ट के वकीलों के लिए भूमि आबंटन केस की जल्दी सुनवाई करने के लिए ज्यादा जोर दिया तो उन्होंने उसे चुप रहने की नसीहत देते हुए उसे तुरंत अदालत से बाहर जाने को कह दिया। 
* 24 मई, 2023 को जबलपुर हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने याचिकाकत्र्ता के वकील से कुछ सवाल पूछे तो वकील के जवाब देने के बेहूदा तरीके पर जज ने उसे सही तरीके से बात करने की हिदायत की तथा कहा, ‘‘मैं आपको जेल भिजवा दूंगा।’’ 

* 16 अक्तूबर, 2023 को चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अदालत में जब एक वकील को मोबाइल फोन पर बात करते देखा तो उन्होंने कार्रवाई रोक कर वकील का फोन जब्त करने का आदेश दे दिया और उसे यूं फटकार लगाई :
‘‘क्या यह बाजार है जो आप फोन पर बात कर रहे हैं? भविष्य में सावधान रहें। जज सब कुछ देखते हैं। भले ही हम कागज देख रहे हों लेकिन हमारी नजर और कान हर जगह हैं।’’
* 2 जनवरी, 2024 को एक याचिका की लिस्टिंग को लेकर जब एक वकील चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ से ऊंची और तेज आवाज में बोला तो उन्होंने उससे कहा, ‘‘आप या तो अपनी आवाज धीमी करें या कोर्ट से बाहर चले जाएं। आप सुप्रीमकोर्ट में खड़े हैं। यदि आपको लगता है कि ऊंची आवाज में बात करके आप अदालत को डरा सकते हैं तो आप गलत हैं। मेरे 23 साल के करियर में किसी ने मुझसे इस तरह से बात नहीं की।’’  

* और अब 23 जनवरी, 2024 को ‘आगर’  तथा ‘शाजापुर’ (मध्य प्रदेश) जिलों में प्रैक्टिस करने वाले वकील नितिन अटल ने ‘आगर’ में एक केस की सुनवाई के दौरान अपने व्यवहार से मर्यादा की सब सीमाएं लांघ दीं। 

हुआ यूं कि ‘आगर’ की जिला अदालत में एक मामले की सुनवाई के दौरान 2 अलग-अलग पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले 2 वकीलों में तीखी बहस हो गई, जिस पर प्रथम जिला एवं अतिरिक्त न्यायाधीश प्रदीप कुशवाहा ने आपत्ति जताई। इस पर दूसरे पक्ष के वकील के साथ बहस में उलझे वकील नितिन अटल ने गुस्से में आकर अपना जूता उतार कर श्री प्रदीप कुशवाहा को निशाना बनाकर उनकी ओर फैंक दिया परंतु समय रहते झुक कर श्री कुशवाहा ने खुद को बचा लिया। यही नहीं, नितिन अटल ने ‘डायस’ पर चढ़ कर दूसरे पक्ष के वकील से केस की फाइल और वकालतनामा छीनने की भी कोशिश की। इससे पहले कि अदालत में मौजूद लोग कुछ समझ पाते, नितिन अटल वहां से खिसक गया। बताया जाता है कि राजनेताओं के साथ करीबी रिश्ता रखने वाला नितिन अटल न्यायाधीशों के अलावा कोर्ट के कर्मचारियों से भी अक्सर दुव्र्यवहार करता रहता है। 

इस तरह के आचरण से न सिर्फ अदालती कार्रवाई ही बाधित होती है बल्कि माननीय न्यायपालिका एवं न्यायाधीश का अपमान भी होता है। ऐसे में चीफ जस्टिस द्वारा दी गई अदालत के अंदर मर्यादित आचरण करने की सलाह वकालत के पेशे से जुड़े सभी लोगों के लिए मायने रखती है। अदालतों में ऐसा आचरण करके चंद वकील न सिर्फ अदालतों का कीमती समय नष्ट कर रहे हैं, बल्कि अपनी और वकालत के पेशे की प्रतिष्ठा को भी कम कर रहे हैं।—विजय कुमार  

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