Edited By ,Updated: 18 Sep, 2023 03:32 AM

‘गुरु बिन ज्ञान न उपजे, गुरु बिन मिले न मोक्ष।’ हमारी परम्परा कबीर जी के इस कथन में समाई हुई है परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं अनैतिक और आपत्तिजनक आचरण में लिप्त हो रहे हैं जिससे अध्यापन जगत की गरिमा घट रही है। हाल ही में ऐसे चंद उदाहरण सामने आए...
‘गुरु बिन ज्ञान न उपजे, गुरु बिन मिले न मोक्ष।’ हमारी परम्परा कबीर जी के इस कथन में समाई हुई है परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं अनैतिक और आपत्तिजनक आचरण में लिप्त हो रहे हैं जिससे अध्यापन जगत की गरिमा घट रही है। हाल ही में ऐसे चंद उदाहरण सामने आए हैं।
* 12 सितम्बर को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक प्राइवेट आवासीय होस्टल के सुपरिंटैंडेंट तथा एक वार्डन को वहां रहने वाली नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करने तथा बाहरी लोगों को होस्टल में दाखिल होने की अनुमति देने के विरुद्ध केस दर्ज किया गया। इनमें से सुपरिंटैंडैंट को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोप है कि कक्षा 1 से 12वीं तक की इन छात्राओं के यौन उत्पीडऩ के अलावा उन्हें अश्लील बातें करने के लिए विवश किया जाता था।
* 7 सितम्बर को हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) के निदेशक लक्ष्मीधर बेहरा ने छात्रों से मांस न खाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए दावा किया कि पशुओं पर क्रूरता के कारण प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं।
* 3 सितम्बर को अरुणाचल प्रदेश के लोअर ‘सुबानश्री’ जिले में हपोली स्थित एक प्राइवेट स्कूल के अध्यापक तथा प्रिंसिपल को पांचवीं और छठी कक्षा की कई छात्राओं से छेड़छाड़ व बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
इसी प्रकार का एक केस राज्य के ‘शी योमी’ जिले में गत वर्ष नवम्बर में सामने आया था जिसमें एक स्कूल वार्डन को 6 लड़कों और 15 लड़कियों के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
* 25 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक मुस्लिम छात्र को गणित का टेबल याद न करने पर एक महिला टीचर द्वारा उसी की कक्षा के छात्रों से लगातार थप्पड़ मरवाने का शर्मनाक वीडियो वायरल हुआ।
* 11 अगस्त को राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में एक कुएं से 16 वर्षीय स्कूली छात्रा की लाश बरामद होने के अगले दिन एक अध्यापक को उसके अपहरण, बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
किसी पाश्चात्य देश में ऐसा कदापि नहीं हो सकता था क्योंकि वहां बच्चों को शारीरिक दंड देने और किसी भी तरह के शारीरिक-मानसिक उत्पीडऩ पर प्रतिबंध है और ऐसा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।
जहां इंगलैंड में शिक्षा में सुधार की बात जोर पकड़ रही है परंतु वहां सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि छात्रों में खुद को नुक्सान पहुंचाने और अन्य मानसिक तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हैं।
वहीं हार्वर्ड के प्रोफैसर रेनल बैलफर अमरीका में शिक्षा में सुधार इसलिए चाहते हैं कि जिस प्रकार वायु, वातावरण के बदलने से पानी, खाद्य की समस्या नई बायोएडवांसमैंट में इंसान की आयु 120 वर्ष तक जा सकती है, उसी तरह आजकल के बच्चों की सोचने की क्षमता पर विशेष ध्यान देना होगा। ऐसे में भारत में कम से कम नीति, न्याय और उच्च सिद्धांतों की बात तो करें।
जहां आई.आई.टी. में पढ़ाने वाले अध्यापक द्वारा इस तरह की बातें कहना विज्ञान की किसी भी कसौटी पर खरा नहीं उतरता, वहीं किसी अध्यापक द्वारा अपनी छात्राओं से बलात्कार करने और उन्हें परेशान करने को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। तो क्या हमारी शिक्षा प्रणाली को अब नव ज्ञान आधारित करने के साथ-साथ नैतिकता आधारित करने की आवश्यकता नहीं है? यदि हमारी शिक्षा प्रणाली में सुधार का मतलब मात्र अध्यापकों को अधिक वेतन, उनके प्रशिक्षण के लिए अधिक कालेज आदि देना है तो अध्यापकों के अंदर नैतिकता की भावना किस प्रकार कायम की जाए? आखिर वे अपनी जिम्मेदारी से कैसे बच सकते हैं? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश में सर्वाधिक जनसंख्या 16 वर्ष के नीचे की है और उनका भविष्य अच्छी शिक्षा पर निर्भर है। अध्यापकों के दिल और दिमाग में यह गलतफहमी है कि बच्चों के साथ इस प्रकार का व्यवहार करने और उनको उल्टी-सीधी बातें बताने पर उन्हें समाज और कानून कुछ नहीं कहेगा!