‘अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था में कमी’ ‘रात तो क्या दिन में भी डाक्टर सुरक्षित नहीं’

Edited By ,Updated: 15 Nov, 2024 04:48 AM

lack of security in hospitals

इसी वर्ष 9 अगस्त को कोलकाता के एक अस्पताल में रात की ड्यूटी कर रही ट्रेनी डाक्टर से बलात्कार व हत्या के बाद अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बारे करवाए सर्वेक्षणों में चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं।

इसी वर्ष 9 अगस्त को कोलकाता के एक अस्पताल में रात की ड्यूटी कर रही ट्रेनी डाक्टर से बलात्कार व हत्या के बाद अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा बारे करवाए सर्वेक्षणों में चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। ‘इंडियन मैडीकल एसोसिएशन’ (आई.एम.ए.) के एक अध्ययन के अनुसार एक-तिहाई डाक्टर रात की ड्यूटी में सुरक्षित महसूस नहीं करते जबकि अस्पताल तो दिन के समय भी सुरक्षित नहीं रहे हैं। 

‘एम्स’ दिल्ली तथा कुछ अन्य प्रमुख अस्पतालों के विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक अध्ययन में 58.2 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि वे कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस नहीं करते। इसका ताजा प्रमाण 13 नवम्बर, 2024 को मिला जब सुबह लगभग 10.15 बजे चेन्नई (तमिलनाडु) स्थित ‘सरकारी कलैइगनार सेंटेनरी सुपर स्पैशिलिटी अस्पताल (के.सी.एस.एस.एच.)’ में अपनी कैंसर पीड़ित मां के इलाज को लेकर प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. बालाजी जगन्नाथन से नाराज विग्नेश नामक युवक ने उनकी छाती, गर्दन, माथे, कान, पीठ, पेट, और सिर पर चाकू से अंधाधुंध 7 हमले करके उन्हें गंभीर घायल कर दिया। 

डा. बालाजी जगन्नाथन पर हमले से नाराज तमिलनाडु मेंं डाक्टरों के विभिन्न संगठनों ने आरोपी विग्नेश को कड़ी सजा देने और पर्याप्त सुरक्षा की मांग को लेकर हड़ताल कर दी, जिससे राज्य के 45,000 सरकारी तथा 8,000 निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प हो गई हैं। डाक्टरों का कहना है कि उनकी सुरक्षा सम्बन्धी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि अस्पताल के कर्मचारियों ने आरोपी विग्नेश को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया है परंतु इतना ही काफी नहीं है। आरोपी युवक के विरुद्ध कड़ा एक्शन लेने तथा अस्पतालों में कड़े सुरक्षा प्रबंध करने की जरूरत है ताकि डाक्टर बेखौफ अपनी सेवाएं जनता को दे सकें।—विजय कुमार 

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