‘हिमाचल का पर्यटन’ और इससे जुड़े लोग ‘गंभीर संकट में’

Edited By ,Updated: 05 Jun, 2020 10:49 AM

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हिमाचल सरकार और लोगों की आय के स्रोतों में पर्यटन प्रमुख है तथा इससे जुड़े टैक्सी, होटल-ढाबों, खाने-पीने की वस्तुएं बेचने वालों से सरकार को टैक्स के रूप में भारी राजस्व प्राप्त होता है। हिमाचल के पर्यटन विभाग में 3350 होटल, 1656 होम स्टे, 1912...

हिमाचल सरकार और लोगों की आय के स्रोतों में पर्यटन प्रमुख है तथा इससे जुड़े टैक्सी, होटल-ढाबों, खाने-पीने की वस्तुएं बेचने वालों से सरकार को टैक्स के रूप में भारी राजस्व प्राप्त होता है। हिमाचल के पर्यटन विभाग में 3350 होटल, 1656 होम स्टे, 1912 ट्रैवल एजैंसियां और 222 एडवैंचर यूनिटों के अलावा हजारों रेस्तरां आदि के अलावा 899 फोटोग्राफर, 1314 गाइड, 26,880 टैक्सी और 14,813 मैक्सीकैब चालक पंजीकृत हैं। 

पर्यटन उद्योग न सिर्फ राज्य के जी.डी.पी. में लगभग 7 प्रतिशत का योगदान करता है बल्कि कम से कम 50,000 लोगों की प्रत्यक्ष रूप से तथा लगभग 4 लाख लोगों की परोक्ष रूप से आजीविका इस पर निर्भर है परंतु कोरोना प्रकोप के चलते इस उद्योग से जुड़े लोगों की कमर टूट गई है और सबसे बुरा प्रभाव होटल व्यवसाय पर पड़ा है।  हालांकि केंद्र एवं राज्य सरकारों ने 1 जून से लॉकडाऊन में सशर्त ढील देते हुए अधिकांश क्षेत्र खोल दिए हैं और प्रदेश सरकार ने भी होटलों को 8 जून से खोलने की अनुमति दे दी है परंतु यह अनुमति केवल हिमाचल के लोगों के ‘रैजीडैंस पर्पस’ के लिए ही दी गई है तथा दूसरे राज्यों के पर्यटकों के आने पर रोक कायम रखी गई है। 

इस कारण प्रदेश का पर्यटन उद्योग पटरी पर न आने की संभावना को देखते हुए होटल मालिकों ने होटल न खोलने का फैसला किया है। उनका कहना है कि जब पर्यटन के उद्देश्य से दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को होटलों में ठहरने की अनुमति ही नहीं होगी तो वे कारोबार कैसे चला पाएंगे। लॉकडाऊन के बाद अपने स्टाफ को वेतन देने में असमर्थ रहने के कारण प्रदेश के होटल मालिकों ने अपने अधिकांश स्टाफ को उनके घर भेज दिया  है और उन्हें प्रदेश सरकार से कोई मदद भी नहीं मिल रही। अत: जब तक प्रदेश सरकार यहां पर्यटकों के आने की अनुमति नहीं देती और होटल उद्योग को कोई राहत प्रदान नहीं करती तब तक यहां पर्यटन उद्योग का पटरी पर आना कठिन ही प्रतीत होता है और इस संकट के कारण हिमाचल सरकार को राजस्व का भारी घाटा भी उठाना पड़ रहा है।    —विजय कुमार 

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