बनारस में छात्रा छेड़छाड़ कांड योगी सरकार के लिए नई चुनौती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 12:43 AM

new challenge for yogi sarkar

पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) अब अपनी ख्याति के विपरीत....

पं. मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी.एच.यू.) अब अपनी ख्याति के विपरीत राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है। इसकी छात्राएं अब अपनी सुरक्षा को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रही हैं। 

गत 21 सितम्बर को शाम 7 बजे के आसपास बी.एफ.ए. की छात्रा से भारत कला भवन के निकट 3 मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने छेड़छाड़ और उसके कपड़े खींचने की कोशिश की जब वह त्रिवेणी काम्प्लैक्स स्थित अपने होस्टल को लौट रही थी। बदमाशों ने उक्त छात्रा के कुर्ते में हाथ डाला और उसकी जींस में भी हाथ डालने की कोशिश की। लड़की ने होस्टल पहुंचने पर अपनी सहेलियों को इसकी जानकारी दी तो सबने विरोध जताने का फैसला किया। उन्होंने सबसे पहले प्राक्टोरियल बोर्ड से इसकी शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

इसके बाद छात्राओं ने 22 सितम्बर सुबह 6 बजे से ही बी.एच.यू. के मुख्य गेट ‘सिंह द्वार’ पर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया व मामला आंदोलन में बदल गया। छात्राओं का कहना है कि उन्हें परिसर में नियमित छेडख़ानी करने वालों का सामना करना पड़ता है जिनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं होती। यह भी आरोप है कि शनिवार की देर रात बी.एच.यू. के वाइस चांसलर के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इसके बाद मुख्य प्रदर्शन स्थल पर भी भारी लाठीचार्ज किया गया जिसमें 2 दर्जन से अधिक छात्राओं और दर्जनों छात्रों को चोटें आईं। प्रदर्शन में शामिल लड़कियों के अनुसार, ‘‘हमारी मांग थी कि वाइस चांसलर गिरीश चंद्र त्रिपाठी आएं और बात करें लेकिन वह नहीं आए।’’  कुछ छात्राएं उनके आवास पर पहुंच गईं जहां उन पर लाठीचार्ज करवाया गया जिसके बाद बी.एच.यू. गेट पर भी लाठीचार्ज किया गया। 

22 सितम्बर से धरना-प्रदर्शन कर रही और त्रिपाठी से बातचीत व सुरक्षा के आश्वासन की मांग पर अड़ी सैंकड़ों छात्राओं ने 23 सितम्बर दोपहर बाद भूख हड़ताल शुरू कर दी और बी.एच.यू. युद्ध भूमि में बदल गया। हालात काबू में करने के लिए परिसर में घुसे सुरक्षाबलों को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। हवाई फायर व आंसू गैस छोडऩे के अलावा पुलिस ने पथराव भी किया। मारपीट व पथराव के बीच 10 बम धमाकों की आवाज दो-अढ़ाई किलोमीटर तक सुनी गई। इस बीच पैट्रोल बम भी फैंके गए। यही नहीं 2 पुलिस कर्मियों के अलावा कम से कम 30 छात्राओं सहित दर्जनों छात्रों को गंभीर चोटें पहुंचीं। रविवार 24 सितम्बर को भी बी.एच.यू. में अनेक वाहनों में आगजनी के बीच सुरक्षाबलों और छात्रों के बीच टकराव होता रहा। 

हालात बिगड़ते देख जिला प्रशासन ने वाराणसी के सभी शिक्षण संस्थानों को अगले आदेश तक बंद कर दिया है जबकि बी.एच.यू. को पहले ही 2 अक्तूबर तक बंद किया जा चुका है। छात्राओं के अनुसार अगर वाइस चांसलर आकर उनकी बात सुन लेते तो बात इतनी नहीं बढ़ती। मामला सिर्फ छात्राओं की सुरक्षा का था जिसे लेकर लड़कियां प्रदर्शन कर रही थीं परंतु इसे वाइस चांसलर सहित अनेक लोगों ने राजनीतिक रंगत देने का प्रयास किया और अब सपा व कांग्रेस सहित अन्य छात्र संगठन भी इसमें कूद पड़े हैं। ए.बी.वी.पी. व एन.एस.यू.आई. ने भी लाठीचार्ज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और छात्रों का एक गुट धरने पर बैठ गया है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्राओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली में भी लगभग 20 छात्र व सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन करके वाइस चांसलर त्रिपाठी को बर्खास्त करने व दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की। अब प्रदेश सरकार ने कानून व्यवस्था बहाल रखने के लिए पी.ए.सी. जवानों सहित लगभग 1500 पुलिस कर्मियों को परिसर और उसके आसपास तैनात किया है। छात्रों पर लाठीचार्ज के संबंध में 3 अतिरिक्त सिटी मैजिस्ट्रेटों और दो पुलिस अधिकारियों को हटा दिया गया है, आगजनी, पथराव, तोडफ़ोड़ व ड्यूटी के दौरान पुलिस कर्मियों पर हमले करने वाले 1000 अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करवाई गई है तथा 125 सपा वर्कर हिरासत में लिए गए हैं। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा केवल घटना की जांच और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की बात कहना ही काफी नहीं है, आवश्यकता यथाशीघ्र स्थिति को सामान्य करने और इस घटना की निष्पक्ष जांच पूरी करके दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की है। —विजय कुमार   

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