चीन के अस्पतालों में मरीजों से पशुओं जैसा व्यवहार

Edited By ,Updated: 23 Oct, 2023 06:27 PM

patients treated like animals in chinese hospitals

चीन में मरीजों को भी चैन नहीं लेने दिया जाता, खासकर मानसिक रोगियों की हालत तो पहले से भी ज्यादा खराब है।

चीन में मरीजों को भी चैन नहीं लेने दिया जाता, खासकर मानसिक रोगियों की हालत तो पहले से भी ज्यादा खराब है। चीन के मानसिक रोगियों पर चीन सरकार अपनी प्रताड़ना का कहर बरसाती रहती है।चीन में मानसिक रोगी उस व्यक्ति को कहा जाता है जो किसी लोकतांत्रिक पार्टी की विचारधारा को लेकर बात करता है या फेलुंगगांग के अनुयायियों को भी चीन में मानसिक रोगी साबित किया जाता है जिससे उन्हें पागलखाने ले जाकर उनके ऊपर यातनाओं की बौछार की जा सके।

अभी हाल ही में 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था जहां पर चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इनका कहना है कि चीन सरकार हर उस व्यक्ति को मानसिक अस्पताल में भर्ती कर रही है जो उसके खिलाफ कुछ भी बोलता है फिर चाहे वो किसी लोकतांत्रिक विचारधारा वाला व्यक्ति हो, किसी धार्मिक पंथ का व्यक्ति हो या फिर लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया पर सही जानकारी देता हो।

ये सभी लोग चीन सरकार के दुश्मन हैं और इन्हें मानसिक अस्पताल में भर्ती करने के बाद सरकार उन्हें यंत्रणा शिविरों में डाल देती है जो असल में जेल जैसे होते हैं। और फिर यहां पर सरकार इनके ऊपर कई तरह की यंत्रणाएं करती है जिसमें इन्हें शारीरिक कष्ट देना, बिजली के झटके देना, इनके अंगों की तस्करी करने जैसे घिनौने काम शामिल हैं। इस बार यह विरोध-प्रदर्शन चीन में नहीं बल्कि अमरीका में हो रहे थे लेकिन इनका निशाना चीन की कम्युनिस्ट सरकार है, च्या ली चिन जो चीनी लोकतांत्रिक पार्टी की युवा शाखा के निदेशक हैं, उनकी अगुवाई में अमरीका के लॉस एंजल्स में यूनिवर्सिटी ऑफ सर्दर्न कैलीफोर्निया में चीन के लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थकों ने प्रदर्शन किया और चीन द्वारा अपने लोगों पर बर्बरता किए जाने का खुलासा दुनिया के सामने किया।

इनका कहना है कि चीन में कम्युनिस्ट सरकार लोगों से डरी हुई है इसलिए उन पर जुल्म ढा रही है जिसमें विद्रोह की ये आग लोगों में न फैले और इस समय चीन सरकार वर्ष 1989 में हुए तिनानमिन चौराहे वाली घटना को नहीं दोहराना चाहती है। ये लोग उन चीनी लोगों की तस्वीरें और नाम के पोस्टर लेकर प्रदर्शन कर रहे थे जिन्हें चीन सरकार ने झूठे आरोप लगाकर मानसिक अस्पतालों में भर्ती कर लिया है और ये लोग सीपीसी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि चीन सरकार के इस जुल्म को खत्म करने के लिए पहले सी.पी.सी. को खत्म करना होगा।

जिन लोगों को मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया जाता है उनके ऊपर कई तरह की नई दवाओं के प्रयोग किए जाते हैं जिससे बाद में दवा में और सुधार किया जाता है, कई लोगों को बिजली के झटके दिए जाते हैं। मानसिक अस्पताल से रिहा हुए एक रोगी ने बताया कि उसने अस्पताल में 52 दिन शनछन कोनिंग अस्पताल में बिताए हैं जहां उसे पब्लिक सिक्यूरिटी ब्यूरो ने पकड़कर भेजा था। उसने बताया कि उसे जबरन दिन में 4 बार रहस्यमयी दवाएं खानी पड़ती थीं, मना करने पर उसके हाथ पैर बिस्तर से बांध दिए जाते थे फिर चार लोग उसके पैर हाथ, कमर और सिर पकड़ कर बैठ जाते इसके बाद उसे वही दवाएं जबरन दी जाती थीं। कई बार उसके साथ बिना किसी कारण हिंसा की जाती थी।

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