‘अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा’ छात्र-छात्राओं को ‘कठोर यातनाएं’

Edited By ,Updated: 24 Sep, 2023 03:08 AM

severe torture  of students by teachers

जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा अपनी मर्यादाओं को भूल कर छोटे बच्चों पर अमानवीय अत्याचार किए जा रहे हैं, जिसकी गंभीरता का अनुमान निम्न घटनाओं से लगाया जा सकता है :

जीवन में माता-पिता के बाद अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा अपनी मर्यादाओं को भूल कर छोटे बच्चों पर अमानवीय अत्याचार किए जा रहे हैं, जिसकी गंभीरता का अनुमान निम्न घटनाओं से लगाया जा सकता है : 

* 23 सितम्बर को बालोद (छत्तीसगढ़) जिले के एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल में बिना कारण नौवीं कक्षा के छात्र से एक अध्यापक ने बुरी तरह मार-पीट की जिसके परिणामस्वरूप उसके नाक, कान में काफी चोट आई और आंखें भी अंदर की ओर धंस गईं। 
* 22 सितम्बर को दतिया (मध्य प्रदेश) के गांव ‘सलोन बी’ में एक निजी स्कूल के अध्यापक ने नौवीं कक्षा के 2 बच्चों को छोटी सी गलती पर डंडों से बुरी तरह पीट डाला जिससे उनके हाथों-पैरों पर नील पड़ गए। 
* 21 सितम्बर को रेवाड़ी (हरियाणा) जिले के ‘खरखुड़ा’ गांव स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढऩे वाले 9 वर्षीय बच्चे को एक अध्यापक द्वारा डंडे से पीटने, उसके कान खींचने और उसे काफी देर तक मुर्गा बना कर रखने के विरुद्ध गांववासियों ने सम्बन्धित अधिकारियों से शिकायत की। 

* 21 सितम्बर को ही लुधियाना (पंजाब) स्थित एक प्राइवेट स्कूल में एक छात्र की बर्बर पिटाई का पंजाब मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेकर पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है। आरोप है कि बच्चे द्वारा अपने सहपाठी को पैंसिल मार देने के दंडस्वरूप प्रिंसिपल ने 2 छात्रों से एल.के.जी. में पढऩे वाले छात्र के हाथ और पैर पकड़वा कर उसके पैरों पर डंडे बरसाए। 
* 20 सितम्बर को बांदा (उत्तर प्रदेश) के एक स्कूल में दूसरी कक्षा में पढऩे वाला बच्चा अपने अध्यापक के पास किसी अन्य बच्चे द्वारा उसे पीटने की शिकायत करने गया तो उल्टे अध्यापक ने उसी के हाथ पर ताबड़तोड़ डस्टर मारना शुरू कर दिया, जिससे उसका हाथ टूट गया। 

* 18 सितम्बर को संभल (उत्तर प्रदेश) के ‘कैल’ गांव के सरकारी स्कूल में पढऩे वाले सातवीं कक्षा के एक 13 वर्षीय छात्र को 3 अध्यापकों ने इतना पीटा कि घर आकर उसने फंदा लगा कर जान दे दी।
* 17 सितम्बर को ऊधम सिंह नगर (उत्तराखंड) के एक प्राइवेट स्कूल में स्कूल का नाम लिखी जुराबें न पहनने के कारण अध्यापक ने एक छात्र की पिटाई कर दी तथा स्कूल से निकाल देने की धमकी दी। 

* 14 सितम्बर को रायसेन (मध्य प्रदेश) के एक स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा पर एक अध्यापक ने बेरहमी से लात-घूंसे बरसाए जिसके परिणामस्वरूप वह बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।
*  8 सितम्बर को भरतपुर (राजस्थान) के ‘बयाना’ में सरकारी अपर प्राइमरी स्कूल में सातवीं कक्षा के दलित छात्र ने अध्यापकों के लिए रखे बर्तन से पानी पी लिया तो अध्यापक ने उसे लातों, घूंसों से पीट डाला। 
* 1 सितम्बर को बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) के एक इंटर कालेज की 14 वर्षीय छात्रा ने कालेज की एक महिला और एक पुरुष अध्यापक द्वारा सबके सामने उसकी जाति तथा गरीबी का मजाक उड़ाने, उसके साथ भेदभाव और उत्पीडऩ करने से तंग आकर आत्महत्या कर ली। 

* 20 जून को ‘पार्वतीपुरा’ (कर्नाटक) स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढऩे वाली एक 16 वर्षीय छात्रा ने 3 अध्यापकों की बार-बार की मारपीट तथा दूसरे छात्र-छात्राओं के सामने बैठकें निकालने के लिए मजबूर करने पर पंखे से फंदा लगा कर अपनी जान दे दी।
* 1 मार्च को हैदराबाद (तेलंगाना) के एक प्राइवेट कालेज में ग्यारहवीं कक्षा के छात्र ने कालेज के प्रिंसिपल तथा 3 अन्य अध्यापकों की पिटाई से तंग आकर अपने क्लासरूम के भीतर ही फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली।
* 17 जनवरी को जयपुर (राजस्थान) में एक अध्यापिका द्वारा होमवर्क न करके आने वाले तीसरी कक्षा के 8 वर्षीय बच्चे की पिटाई से उसकी दाईं आंख खराब हो जाने के सम्बन्ध में बच्चे के माता-पिता ने पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट में आरोप लगाया कि 2 आप्रेशनों के बावजूद बच्चे की आंख की रोशनी नहीं लौटी। अध्यापक-अध्यापिकाओं के एक वर्ग द्वारा छात्र-छात्राओं से मारपीट और उत्पीडऩ इस आदर्श व्यवसाय पर घिनौना धब्बा हैै, जिसे रोकने के लिए तुरंत कठोर कदम उठाने की जरूरत है।—विजय कुमार 

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