एक ऐसा ‘सवाल’ जिसका ‘जवाब’ ओबामा के पास नहीं

Edited By Updated: 22 Nov, 2020 04:57 AM

a question that obama does not have the answer to

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की जीवनी ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ का सबसे दिलचस्प चैप्टर अंतिम वाला है। इसमें 2011 में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए नेवी सील के आप्रेशन के बारे में कहानी है। यह

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की जीवनी ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’ का सबसे दिलचस्प चैप्टर अंतिम वाला है। इसमें 2011 में पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए नेवी सील के आप्रेशन के बारे में कहानी है। यह कहानी चैप्टर 27 में 673वें पन्ने पर शुरू होती है। यदि आप शुरू से लेकर इसे पढ़ेंगे तो यह इतनी कठिन कहानी नहीं होगी जैसी कि प्रतीत होती है। पकड़ रखने वाले स्टाइल में लिखी गई यह किताब पढऩे वाली है। 

बिन लादेन को मारने के बारे में ओबामा उन क्षणों को याद करते हैं। वह लिखते हैं कि आकस्मिकता के साथ मुझे आशा नहीं थी। मैंने मैक्रेवन तथा लियोन की आवाजें सुनीं। वह भी लगातार सुनाई दी। उन्होंने उन शब्दों को दोहराया जिसका हमें इंतजार था। इन शब्दों में कहा गया कि कार्रवाई में दुश्मन मारा गया।

कांफ्रैंस रूम के भीतर एक साथ आवाजें आईं और मैंने कहा, ‘‘वी गाट हिम’’ (हमने उसे पा लिया)। कई घंटों बाद ओबामा ने अपनी पत्नी मिशेल को बताया। इस समय उन्होंने अपने खुशी के पलों को साझा किया। उनके अनुसार,‘‘मैं शेव करके हटा था और अपना सूट और टाई पहन रहा था जब दरवाजे पर मिशेल दिखाई दी। मैंने उसे थम्स-अप का इशारा किया और वह हंस पड़ी और मुझसे लिपट गई।’’ वह बोली, ‘‘यह अद्भुत रहा।’’ चैन की सांस लेते हुए मैंने कहा, ‘‘आप कैसा महसूस करती हैं?’ 

हालांकि एक सवाल जिसका ओबामा ने जवाब नहीं दिया या फिर उसके बारे में संबोधित नहीं किया वह इस सारे प्रकरण में पाकिस्तान की भूमिका थी। क्या पाकिस्तान बिन लादेन को छिपा रहा था या फिर उसकी उपस्थिति से अनभिज्ञ था या फिर वह अयोग्य था? ओबामा के चुप्पी साधने पर मैं आश्चर्यचकित था। वह जानते हैं कि यह एक स्पष्ट सवाल है और इसका जवाब उनसे कई लोग अपेक्षित नहीं समझते क्योंकि वह उस समय अमरीका के राष्ट्रपति थे इसलिए वह सब जानते थे। 2017 में जब ओबामा ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप सम्मिट’ में आकर्षण का केंद्र थे उस समय मैंने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा कि उनके प्रशासन के पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं था कि वह बिन लादेन की उपस्थिति के बारे में जागरूक था। एक कष्ट भरे स्वभाव में हालांकि उन्होंने आगे कहा कि, ‘‘मैं इस बात को आपके ऊपर छोड़ता हूं कि आप इस चीज का विवरण करें जो मैंने आपसे अभी कही है।’’ 

यह ऐसा मौका था जिसे मैं दबाना नहीं चाहता था। ओबामा मुझे मोह रहे थे कि मैं अपना निष्कर्ष खुद निकालूं और इसे उन्हें सौंप दूं। इस कारण यह अयोग्यता वाली बात थी। पूर्व राष्ट्रपति ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने यह निश्चित किया था कि वह इससे आगे कुछ नहीं कहेंगे। साधारण तौर पर वह थोड़ा हंस दिए।

संयोगवश मैंने यही सवाल ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप सम्मिट’ में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ से कुछ साल पहले किया। मैंने उनसे पूछा कि यदि पाकिस्तान असक्षम या अयोग्य था तब उन्होंने स्पष्टवादिता मगर कुछ हास्य के साथ कहा, ‘‘कि सच्चाई यह है कि आई.एस.आई. सो रही थी।’’ उन्होंने हंसी भरे मजाक में कहा कि ‘‘आई.एस.आई. के पास अधिकार है कि वह उचित मौकों पर सो जाए।’’ मैंने दोबारा से इस कहानी के बारे में ओबामा से कहा था। इस उम्मीद में कि यह उनको प्रेरित करेगी। मगर वह केवल हंस दिए और इसके बारे में और ज्यादा बात नहीं की। 

हालांकि अपनी इस किताब में ओबामा ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख तथा राष्ट्रपति दोनों की प्रतिक्रियाओं के बारे में खुलासा किया है। संयुक्त सेनाओं के तत्कालीन चेयरमैन एडमिरल म्यूलैन ने कियानी को फोन किया। ओबामा कहते हैं कि बातचीत बेहद नर्म थी मगर कियानी ने निवेदन किया कि छापामारी से जितना जल्दी हो सके हम साफ निकल आएं ताकि पाकिस्तानी लोगों की प्रतिक्रिया को संभाला जा सके। इसके विपरीत आसिफ अली जरदारी की प्रतिक्रिया प्रशंसनीय थी मगर उनको अपने देश में निश्चित तौर पर आलोचना झेलनी थी जोकि पाकिस्तान की सम्प्रभुता की उल्लंघना के बारे में थी। जब ओबामा उन तक पहुंचे उन्होंने बधाई भी दी और समर्थन भी किया। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद अच्छा समाचार है। 

आजकल राजनीतिक संस्मरण को लिखना इतना आसान नहीं क्योंकि आप यह नहीं जानते कि आपको कितनी सच्चाई बतानी है। चैप्टर 27 यह सुझाता है कि ओबामा काफी अपने आधिपत्य में रहे। इसमें कोई दोराय नहीं कि कुछ खुफिया चीजें रखनी जरूरी होती हैं मगर उन्होंने इस बात का क्यों खुलासा नहीं किया कि पाकिस्तान असक्षम या फिर अयोग्य था। प्रसन्नचित होकर अपनी कहानी को बताने के बावजूद इस मुद्दे पर उनकी चुप्पी सुनाई देने योग्य एक सवाल को नकारने का मतलब यह नहीं कि आप उस सवाल से भाग रहे हैं।-करण थापर

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