चीन सरकार ने पुराना अनुबंध तोड़कर काटे 30 हजार पेड़

Edited By Updated: 28 Nov, 2023 05:29 AM

chinese govt broke the old contract and cut 30 thousand trees

चीन में इस समय न सिर्फ अर्थव्यवस्था की हालत खराब है बल्कि विनिर्माण, सेवा उद्योग के साथ-साथ कृषि की हालत भी खस्ता है, चीन अपने अच्छे दिनों में भी दावा करता था कि उसके खेतों में भरपूर अनाज होता है और कई वर्ष इन्होंने रिकॉर्ड अनाज उत्पादन की बात कही...

चीन में इस समय न सिर्फ अर्थव्यवस्था की हालत खराब है बल्कि विनिर्माण, सेवा उद्योग के साथ-साथ कृषि की हालत भी खस्ता है, चीन अपने अच्छे दिनों में भी दावा करता था कि उसके खेतों में भरपूर अनाज होता है और कई वर्ष इन्होंने रिकॉर्ड अनाज उत्पादन की बात कही लेकिन चोरी-छिपे कई देशों से गेहूं और चावल का आयात भी किया, इससे यह बात साफ हो जाती है कि चीन के पास अपनी जनता का पेट भरने के लिए पर्याप्त अनाज नहीं है। 

इस समस्या से बचने के लिए चीन ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला है, इस समय चीन जंगलों को काटकर उसे भी कृषि भूमि में बदल रहा है। यह वो जंगल हैं जो पहले भी कृषि भूमि थे लेकिन सरकार, कृषि विभाग, ग्राम परिषद और काऊंटी प्रशासन की सहमति से इन जमीनों पर किसानों को पेड़ उगाने की आज्ञा दी गई थी जिसके तहत इन्होंने अखरोट समेत कई ऐसे पेड़ उगाए थे जिनके फल और लकडिय़ां बहुमूल्य थीं। अचानक जंगल काटकर खेत बनाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछले कुछ दशकों में चीन ने अपनी विशाल आबादी का पेट भरने के लिए अपने खेतों में यूरिया और कीटनाशकों का इतने बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है कि चीन की कुल कृषि भूमि का 20 प्रतिशत और भूमिगत जल विषैला हो चुका है जिसकी वजह से वहां पर खेती नहीं की जा सकती और न ही विषैला भूमिगत जल किसी उपयोग में लाया जा सकता है। 

इन दिनों चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकत्र्ता जंगलों को काटकर उसे खेती की जमीन बना रहे हैं। हाल ही में इन लोगों ने किसानों को बिना बताए और बिना उन्हें कोई मुआवजा दिए 30 हजार पेड़ शांक्सी प्रांत में काट डाले जिससे कृषि भूमि में विस्तार किया जा सके। लेकिन हाल ही में इन गांव वालों ने सरकार की तरफ से एक नोटिस देखा जिसमें लिखा था कि जिस जमीन पर गांव वालों ने पेड़ लगाए हैं दरअसल वो जमीन खेती के लिए निर्धारित की गई थी इसलिए वहां पर पेड़ उगाना अवैध है। 11 नवंबर की इस घटना में गांव वालों को एक नोटिस दिया गया था जिसमें कहा गया कि गांव वाले अपनी इस गलती में सुधार करें और उस जमीन को फिर से खेती के लायक बना दें नहीं तो प्रशासन उनके ऊपर जुर्माना लगाएगा। नोटिस में आगे लिखा था कि जल्दी ही उनका एक दल उनके गांव आएगा और पेड़ों को काटकर उस जमीन को फिर से कृषि योग्य भूमि बनाएगा। 

चीन के कृषि विभाग के कर्मचारियों ने आसपास के गांवों की कुल 5.3 एकड़ जमीन को, जिस पर गांव वालों ने पेड़ उगाकर जंगल बनाया था उसे जबरन जब्त कर लिया और वहां से जंगल साफ कर फिर से कृषि भूमि बना दिया। चीन सरकार अपने लोगों पर इन दिनों इतना अत्याचार कर रही है कि वो आधिकारिक तौर पर अपने द्वारा किए गए पुराने अनुबंधों को भी नकार रही है। शांक्सी प्रांत के अलावा भी कई दूसरे प्रांतों में जहां पर सरकार की सहमति से लोगों ने खेतों की जमीन पर पेड़ लगाकर उससे कमाई करनी चाही तो उस पर भी कम्युनिस्ट सरकार ने पानी फेर दिया। गांव वालों ने बहुत मेहनत के साथ यहां पेड़ लगाया था और लंबे इंतजार के बाद उन्हें इसका फल मिलना था लेकिन सरकारी कर्मचारियों ने आकर उस जंगल को फलने से पहले ही काट डाला। 

जानकारों का कहना है कि चीन में इन दिनों कोई भी नीतियां बनाने से पहले सरकार दिमाग का इस्तेमाल नहीं करती है। इस वजह से चीन की अर्थव्यवस्था के कई सैक्टरों को भारी नुकसान हो रहा है। कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि अपने पुराने आदेशों को रातों-रात रद्द कर देना कैसा साम्यवाद है? यह तो तानाशाही है जिसमें हम सब रहने को मजबूर हैं। लेकिन चीन सरकार को लोगों की ऐसी प्रतिक्रिया से कोई फर्क नहीं पड़ता, सरकार का काम बदस्तूर जारी है फिर चाहे इसमें किसी को आर्थिक नुकसान होता रहे या फिर किसी की जान ही क्यों न चली जाए।

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