जी.एस.टी. रिफंड में देरी : पंजाब की इंडस्ट्री पर ‘कैश फ्लो’ संकट

Edited By Updated: 08 Oct, 2025 05:32 AM

delay in gst refunds punjab s industry faces cash flow crisis

हाल ही में गुड्स एंड सॢवसेज टैक्स (जी.एस.टी.) की स्लैब्स में हुए बड़े बदलाव से 12 व 28 प्रतिशत दरों को हटाकर इन्हें 5 व 18 प्रतिशत में मिला दिया गया।

हाल ही में गुड्स एंड सॢवसेज टैक्स (जी.एस.टी.) की स्लैब्स में हुए बड़े बदलाव से 12 व 28 प्रतिशत दरों को हटाकर इन्हें 5 व 18 प्रतिशत में मिला दिया गया। बेशक कई औद्योगिक सैक्टरों के लिए यह बदलाव एक बड़ा सुधार है लेकिन कारोबार को आसान व टैक्सेशन सिस्टम में पारदर्शिता की दिशा में इस अहम कदम का दावा उन इंडस्ट्रीज के लिए बेमानी है, जो ‘इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर’ (आई.डी.एस.) के दायरे में हैं, यानी जिनके कच्चे माल पर अधिक टैक्स, जबकि तैयार माल पर कम टैक्स लगता है। पंजाब के औद्योगिक सैक्टर की रीढ़ कृषि उपकरण, ट्रैक्टर और उनसे जुड़ी अन्य इंडस्ट्रीज के लिए इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से एक गंभीर कैश फ्लो (नकदी प्रवाह) संकट राज्य के औद्योगिक सैक्टर को आगे बढ़ाने की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है।

इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में फंसे उद्योग : इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में इंडस्ट्रीज अपने कच्चे माल जैसे स्टील, रबड़, प्लास्टिक व अन्य जरूरी इनपुट पर 18 प्रतिशत जी.एस.टी. दे रही हैं, जबकि उनके तैयार माल जैसे ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरणों पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लगता है। जी.एस.टी. एक्ट के तहत एक तय समय पर रिफंड न होने की वजह से टैक्स न्यूट्रैलिटी (कर निष्पक्षता) सिद्धांत के कोई मायने नहीं रह जाते।  टैक्स न्यूट्रैलिटी के बावजूद पंजाब में इनपुट टैक्स क्रैडिट (आई.टी.सी.) रिफंड में 6 महीने से 1 साल की देरी के कारण इंडस्ट्री का ‘वर्किंग कैपिटल’ अटकने से उत्पादन, रिसर्च एवं इन्नोवेशन व एक्सपैंशन प्रभावित हो रहा है। पहला, लिक्विडिटी संकट से कंपनियों को रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए महंगे ब्याज पर कर्ज लेना पड़ रहा है। 

दूसरा, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में आने वाले पंजाब के उद्योग अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ सकते हैं। रिफंड में देरी पंजाब के जी.एस.टी. प्रशासन की पुरानी समस्या रही है लेकिन स्लैब बदलने के बाद यह समस्या और गहरी हो गई है। अगर समय रहते कदम न उठाए गए, तो नकदी की यह किल्लत पंजाब में ‘इंडस्ट्रीयल स्लो डाऊन’ यानी औद्योगिक सुस्ती का एक बड़ा कारण बन सकती है।

देरी की गुंजाइश नहीं : ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनैस’ यानी कारोबार को आसान करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व उद्योग मंत्री संजीव अरोड़ा की कारोबारियों से लगातार बातचीत से प्रदेश में नया निवेश आकॢषत करने व मौजूदा उद्योगों को संकट से उबारने की उम्मीदें जुड़ी हैं। अगर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत उद्योगों की समस्या हल नहीं हुई, तो बाकी सारी कोशिशें नाकाम साबित हो सकती हैं। समय पर इनपुट टैक्स क्रैडिट रिफंड कानूनी अधिकार है, कोई इंसैंटिव नहीं। राज्य की अर्थव्यवस्था व रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए इंडस्ट्री से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह लंबे समय तक रिफंड का इंतजार करे।  

कारोबार में सहजता सबसे बड़ी प्राथमिकता : असल समस्या केवल रिफंड की नहीं, बल्कि भरोसे की है। कारोबारी किसी राज्य में ईज ऑफ डुइंग बिजनैस को सिर्फ कागजी योजनाओं से नहीं, बल्कि हकीकत में उनके लागू होने की विश्वसनीयता से परखते हैं। अगर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर  वाली इंडस्ट्री को लगातार कैश फ्लो ब्लॉकेज झेलना पड़ा, तो औद्योगिक अर्थव्यवस्था डगमगा जाएगी। जी.एस.टी. स्लैब्स में सुधार के बाद पंजाब के पास सही दिशा में कदम बढ़ाने का यह सबसे अच्छा मौका है। समय पर रिफंड सुनिश्चित करके सरकार न सिर्फ उद्योगों को नकदी के संकट से बचा सकती है, बल्कि औद्योगिक प्रशासन की विश्वसनीयता में और मजबूती कायम की जा सकती है। पंजाब जो भारत का ‘अन्न भंडार’ है व औद्योगिक केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, के लिए कारोबार में सहजता सबसे बड़ी प्राथमिकता है। 

रिफंड में तेजी का रोडमैप : केंद्र सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि 1 नवम्बर से कारोबारियों द्वारा कागजी कार्रवाई पूरी करने के 1 हफ्ते के भीतर रिफंड सुनिश्चित किया जाएगा। पंजाब को भी इसी दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। एक ठोस रोडमैप लागू करने के लिए तीन अहम कदम उठाए जा सकते हैं। पहला, समयबद्ध रिफंड सिस्टम, पंजाब को भी 10-15 दिन की समय-सीमा तय करनी चाहिए और अगर इस दौरान कोई आपत्ति न हो तो रिफंड अपने आप मंजूर हो। 30 दिन से ज्यादा की देरी पर जी.एस.टी. प्रशासन कारोबारियों को ब्याज का भुगतान करे।  दूसरा, डिजिटल-फस्र्ट प्रोसैसिंग। पंजाब एक ‘ऑटो-वैलिडेशन’ सिस्टम ला सकता है, जिसमें इनपुट जी.एस.टी. क्रैडिट और आऊटपुट के बीच के अंतर का अपने आप जी.एस.टी.-एन सिस्टम से मिलान हो जाए। इसके अलावा एक विशेष हैल्प डैस्क बनाया जाए जो सिर्फ इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर रिफंड से जुड़ी शिकायतों का निपटान करे।

तीसरा, केंद्र-राज्य सरकार में तालमेल। चूंकि जी.एस.टी. कलैक्शन केंद्र सरकार के खाते में जाता है, ऐसे में पंजाब को समय पर जी.एस.टी. फंड एडजस्ट कराने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय से तालमेल बैठाना होगा। इधर राज्य के वित्त विभाग, जी.एस.टी. प्रशासन और उद्योग विभाग की एक ज्वाइंट वर्किंग कमेटी बनाकर रिफंड के लंबित मामलों का तुरंत निपटान किया जा सकता है। 

आगे की राह : इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत इंडस्ट्रीज को समय पर इनपुट टैक्स क्रैडिट रिफंड टैक्सेशन सुशासन की बुनियादी शर्त है। इसे कारगर ढंग से लागू करके पंजाब अपनी औद्योगिक ताकत  को और बढ़ा पाएगा। अगर पंजाब एक तय समय में रिफंड सुनिश्चित करने के लिए डिजीटल साधनों का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार के साथ तालमेल बैठाता है, तो कारोबारियों को यह संकेत जाएगा कि पंजाब औद्योगिक निवेश-अनुकूल भरोसेमंद राज्य है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका) 
 

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