राजनीति में काम की बात सिखाई है दिल्ली ने

Edited By Updated: 11 Feb, 2025 05:20 AM

delhi has taught us the importance of work in politics

दिल्ली विधानसभा का यह चुनाव अपने आप में कई संदेश लेकर आया है और कुछ तो काफी सुखद हैं। कई चुनावों बाद ऐसा हुआ कि चुनाव मुद्दों पर लड़ा गया। न धर्म की बात ज्यादा हुई, न नफरत की, न ‘बंटोगे तो कटोगे’ की ज्यादा गूंज हुई और न ही जाति के हिसाब से नेता खेल...

दिल्ली विधानसभा का यह चुनाव अपने आप में कई संदेश लेकर आया है और कुछ तो काफी सुखद हैं। कई चुनावों बाद ऐसा हुआ कि चुनाव मुद्दों पर लड़ा गया। न धर्म की बात ज्यादा हुई, न नफरत की, न ‘बंटोगे तो कटोगे’ की ज्यादा गूंज हुई और न ही जाति के हिसाब से नेता खेल खेल पाए। मोदी-शाह की अगुवाई में लम्बे समय बाद यह चुनाव ऐसा रहा जो भाजपा द्वारा अटल-अडवानी युग की तरह ठोस मुद्दों पर लड़ा गया। यह भाजपा की रणनीति और राजनीति में एक बड़ा बदलाव है और इसके नतीजे पार्टी के लिए  सुखद हैं। ये नतीजे आम जनता के लिए और अधिक उत्साहवद्र्धक हैं क्योंकि बात मुद्दों की हुई है।

लोकसभा चुनावों की बात न करें (जिनमें दिल्ली की जनता प्रदेश की हवा से इतर राष्ट्र की गति की दिशा का अनुसरण करती है ) तो भाजपा को दिल्ली की जनता की नब्ज को समझने में पूरे 27 साल लग गए। इस चुनाव में भाजपा  पानी के मुद्दे पर लड़ी, दिल्ली की जहरीली हवा के मुद्दे पर लड़ी, सड़कों की दयनीय हालत को मुद्दा बनाया। सबसे बड़ा मुद्दा तो भ्रष्टाचार का रहा। 80-90 के दशक में यह भाजपा नेताओं का सबसे कारगर हथियार था। इसने राजीव गांधी की प्रचंड बहुमत वाली सरकार को धूल चटाई। नरसिम्हा राव की सरकार का पतन किया और धीरे-धीरे भाजपा को सत्ता की मंजिल तक पहुंचाया और इसी मुद्दे ने एक दशक तक जमी रही मनमोहन सरकार की विदाई तय की और भाजपा को पहली बार बड़ा बहुमत दिलाया। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई से ही दिल्ली की राजनीति में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का बेहद चमत्कारी और चमकीला उदय हुआ था। अंतत: भाजपा ने उसे भ्रष्टाचार के उसी मुद्दे की दलदल में डुबोकर सत्ता से उखाड़ फैंका। शराब का मामला बड़ा मुद्दा बना।

आडंबर की राजनीति न करने का दावा खोखला हुआ तो जनता गुस्से में आ गई । लेकिन राजनीतिक आरोपों आगे जनता ने यह नहीं पसंद किया कि उसके पानी के साथ राजनीति की जाए। उसने साल में जाड़े के 3 महीने में प्रदूषण से तंग होने को ज्यादा बड़ा मुद्दा माना। गंदगी उसके लिए साल भर की परेशानी का मुद्दा रहा और नगर निगम को रोज जूझती जनता ने शासन के खिलाफ जोरदार धक्का दिया। वर्ष 2012-13 में अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल में दिल्ली का हर आम आदमी अपना चेहरा देख रहा था लेकिन 10 साल में लोग उसे भी तमाम राजनेताओं की तरह देखने लगे थे। यह उनके लिए बड़ा झटका बन गया था। ‘मुझे तो कभी नहीं हरा पाओगे’ का बड़बोलापन आम आदमी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। भ्रष्टाचार के आरोपी के रूप में जेल की हवा खाकर जमानत पर आकर किसी की भी कमीज सफेद नहीं रह पाती चाहे आप कितनी भी बट्टी रिन की रगड़ डालो।

इस बार भाजपा का चुनाव प्रचार अभियान दिल्ली में काफी संयत रहा। ‘बंटोगे तो कटोगे’ जैसे नफरत फैलाऊ बयानों से बचा गया। प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और योगी आदित्यनाथ भी इस बार चुनाव प्रचार में सिर्फ दिल्ली की जनता के मुद्दों की ही बात करते दिखे। योगी ने यमुना में केजरीवाल को स्नान की चुनौती देकर दिल्ली की जनता के मन को काफी करीब से छुआ। प्रवेश वर्मा भी इस बार अनावश्यक बयानबाजी से बचते हुए, ज़मीन से जुड़कर अपने पिता के नाम पर बनाए एन.जी.ओ. के जरिए गरीब लोगों की मदद करते दिखे। इस तरह भाजपा नेताओं ने सीधे मुद्दे की बात की। कालकाजी से निवर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे रमेश बिधूड़ी अवश्य आदत से बाज नहीं आए। उन्होंने महिला नेताओं पर अभद्र और गैर-शालीन टिप्पणियां कीं। दिल्ली की जनता ने उन्हें सबक सिखाया। 

दिल्ली की जनता ने बता दिया कि यह उनकी दिल्ली है। किसी नेता की यहां बपौती नहीं चलती। जो जनता के लिए काम करेगा, वही दिल्ली की सत्ता पाएगा। उसने बता दिया कि मुद्दों पर वोट करती है दिल्ली, यहां नफरत का जहर किसी काम नहीं आता। लेकिन अब इसी जीत में चुनौतियां भी कई छिपी हैं। भाजपा ने जो भी देने का वायदा किया हो, उसमें से ज्यादातर तो वह एक-आध महीने में पूरी कर देगी। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है कि महिला दिवस ( 8 मार्च) के मौके तक महिलाओं के खाते में भी 2500 रुपए महीना पहुंच जाएगा लेकिन साफ पानी कैसे और कितनी जल्दी दिल्ली को मिलेगा, यह देखना होगा। यह भी देखना होगा कि दिल्ली प्रदूषण मुक्त कितने दिनों में होगी और कूड़े के पहाड़ कब तक साफ होंगे। 

भ्रष्टाचार का केन्द्र बन चुका नगर निगम अब जल्द ही भाजपा की झोली में होगा, इसमें शक नहीं है। लेकिन वहां के भ्रष्टाचार से कब जनता को कितनी मुक्ति मिलेगी , यह भी जनता देखेगी। अच्छे स्कूलों और अस्पतालों के और अच्छे मॅाडल का दिल्ली इंतजार करेगी। भाजपा नेतृत्व के पास जश्न मनाने के मौके कम होंगे, काम करके दिखाने की चुनौतियां ज्यादा होंगी। अब तो दिल्ली में डबल इंजन की सरकार तो होगी ही, कुछ दिनों में ट्रिपल इंजन (नगर निगम) की सरकार भी होगी।-अकु श्रीवास्तव 
 

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