कृषि क्षेत्र में भारत की कामयाबी का नया मुकाम : साल 2025 का सफर

Edited By Updated: 30 Dec, 2025 05:45 AM

india s new milestone in the agricultural sector the journey to 2025

साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने के एक दशक बाद, भारत का कृषि क्षेत्र साल 2025 तक पूरी तरह से बदल चुका है। कभी कम उत्पादकता, कीमतों में अनिश्चितता और आयात पर निर्भरता से ग्रस्त व्यवस्था, अब रिकॉर्ड उत्पादन, किसानों की सुनिश्चित आय,...

साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने के एक दशक बाद, भारत का कृषि क्षेत्र साल 2025 तक पूरी तरह से बदल चुका है। कभी कम उत्पादकता, कीमतों में अनिश्चितता और आयात पर निर्भरता से ग्रस्त व्यवस्था, अब रिकॉर्ड उत्पादन, किसानों की सुनिश्चित आय, वैज्ञानिक नवाचार और दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता से भरपूर है, जिसके पीछे 11 वर्षों के सुधारों का एक सुसंगत और  भविष्य के लिए तैयार कृषि ढांचे में एकीकरण है।

बिखराव से केंद्रित दृष्टिकोण की ओर : 2025 में शुरू की गई प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (पी.एम.डी.डी.के.वाई.) ने लक्षित और नतीजों पर फोकस करने वाले कृषि सुधार की दिशा में एक अहम कदम उठाया। केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित और जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित यह योजना, 100 कम प्रदर्शन वाले जिलों पर केंद्रित है और इसका मकसद 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाना है। इसके लिए प्रतिवर्ष 24,000 करोड़ रुपए का बजट आबंटित किया गया है, ताकि कम उत्पादकता, जल संकट और ऋण की कमी जैसी मुश्किलों का समाधान किया जा सके।

दलहन: आत्मनिर्भरता की ओर एक रणनीतिक सफलता : वर्ष 2025 में, भारत ने आयात पर निर्भरता कम करने के लिए 11,440 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की। इस मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक 350 लाख टन दलहन उत्पादन और 310 लाख हैक्टेयर में दलहन की खेती करना है।
पहली बार, तुअर, उड़द और मसूर उगाने वाले किसानों को बड़े पैमाने पर गुणवत्तापूर्ण बीज वितरण के साथ 4 वर्षों के लिए 100 प्रतिशत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) खरीद का आश्वासन दिया गया है। करीब 2 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने वाला यह मिशन, मूल्य शृंखलाओं को मजबूत करता है, आय को स्थिर करता है और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

कपास मिशन : केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित 5 वर्षीय कपास मिशन का मकसद किसानों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी मदद देकर उत्पादकता बढ़ाना है, खासकर अतिरिक्त लंबे रेशे वाली कपास की। गुणवत्तापूर्ण कपास की लगातार आपूॢत करके, यह मिशन भारत के वस्त्र क्षेत्र को मजबूत करता है, जहां 80 प्रतिशत क्षमता लघु एवं मध्यम उद्यमों (एम.एस.एम.ई.) द्वारा संचालित है। 

रिकॉर्ड उत्पादन-एक दशक के सुधारों का परिणाम : इन नीतिगत फैसलों का असर साल 2025 में साफ तौर पर दिखाई दिया। कृषि मंत्रालय द्वारा नवम्बर 2025 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2024-25 में 357.73 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन के साथ अब तक का सबसे उच्च स्तर हासिल किया। यह 2015-16 की तुलना में 106 मिलियन टन से अधिक की वृद्धि दर्शाता है।

2025 में घोषित प्रमुख उपलब्धियां : चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 1,501.84 लाख टन; गेहूं का उत्पादन 1,179.45 लाख टन रहा, जो हाल के इतिहास में सबसे अधिक वाॢषक वृद्धि है; दालों का उत्पादन 256.83 लाख टन तक पहुंचा; तिलहन का उत्पादन रिकॉर्ड 429.89 लाख टन तक पहुंचा; 2025 की पहली तिमाही में, भारत के कृषि क्षेत्र ने 3.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जिससे यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती कृषि अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया। 

एम.एस.पी.-नीतिगत वादे से आय संरक्षण तक : 2014 से पहले, सीमित खरीद के कारण एम.एस.पी. अक्सर प्रतीकात्मक ही रहता था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, एम.एस.पी. को एक वास्तविक आय संरक्षण व्यवस्था के रूप में संस्थागत रूप दिया गया है। 2025 में सरकार ने 14 खरीफ फसलों और सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए एम.एस.पी. में वृद्धि को मंजूरी दी, जिसमें उत्पादन लागत के 1.5 गुना एम.एस.पी. निर्धारित करने के सिद्धांत का सख्ती से पालन किया गया।

दशक भर की तुलना : धान की खरीद (2014-15 से 2024-25) 7,608 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जबकि इससे पिछले दशक में यह 4,590 लाख मीट्रिक टन थी। धान किसानों को एम.एस.पी. भुगतान बढ़कर 14.16 लाख करोड़ रुपए हो गया, जो 2014 से पहले भुगतान की गई राशि से 3 गुना से अधिक है। 14 खरीफ फसलों के लिए कुल एम.एस.पी. भुगतान 16.35 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो पहले 4.75 लाख करोड़ रुपए था।

राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में कृषि : सार्वजनिक निवेश इस रणनीतिक फोकस को दर्शाता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के लिए बजटीय आबंटन में भारी वृद्धि हुई है, जो 2013-14 में 21,933.50 करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में 1,27,290.16 करोड़ रुपए हो गया है।

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