पंजाब के लिए वरदान है झारखंड की पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान

Edited By ,Updated: 08 Jun, 2023 05:58 AM

jharkhand s pachhwada central coal mine is a boon for punjab

राजनीतिक इच्छा शक्ति किसी भी राजनीतिक या प्रशासनिक के साथ-साथ किसी अन्य समस्या इत्यादि के ताने-बाने में उलझे हुए बड़े कार्य को फिर से पटरी पर लेकर आने में उस राज्य की सत्ताधारी सरकार की राजनीतिक इच्छा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिससे उस राज्य के...

राजनीतिक इच्छा शक्ति किसी भी राजनीतिक या प्रशासनिक के साथ-साथ किसी अन्य समस्या इत्यादि के ताने-बाने में उलझे हुए बड़े कार्य को फिर से पटरी पर लेकर आने में उस राज्य की सत्ताधारी सरकार की राजनीतिक इच्छा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिससे उस राज्य के विकास को आगे दौडऩे की शक्ति मिलती है। पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान पी.एस.पी.सी.एल. के लिए एक वरदान के तौर पर साबित हुई है।

पी.एस.पी.सी.एल. के मुख्य इंजीनियर फ्यूल इंजीनियर जसविंद्र सिंह भाटिया के अनुसार पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान को शुरूआती तौर पर पी.एस.पी.सी.एल. थर्मल पावर प्लांटों में कोयले के उपभोग के लिए वर्ष 2001 में पंजाब स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड (अब पंजाब स्टेट पावर कार्पोरेशन लिमिटेड) को आबंटित किया गया था। इस कैप्टिव कोयला ब्लाक के विकास तथा संचालन के लिए पैनम कोलमाइन लिमिटेड के नाम पर एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाने के लिए मैसर्ज ईम्टा के साथ एक संयुक्त उद्यम समझौता किया गया था।

इस ब्लाक से कोयले की आपूर्ति वर्ष 2006 में शुरू हुई थी। इसके बाद भारत की माननीय सुप्रीमकोर्ट ने 25 अगस्त 2014 के अपने फैसले तथा 24 सितम्बर 2014 के आदेश के माध्यम से 1993 से 2010 तक आबंटित किए गए कुल 218 ब्लाकों में से 204 ब्लाकों को रद्द कर दिया गया जिस कारण पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान भी रद्द हो गई। इसके बाद कोयला मंत्रालय की ओर से कोयला खानों को बांटने की प्रक्रिया फिर से शुरू की गई तथा पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान को 31 मार्च 2015 को पी.एस.पी.सी.एल. को फिर से अलॉट किया गया।

खुली प्रतियोगी निविदा के रूट की पालना करने के बाद पी.एस.पी.सी.एल. पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान के विकास और संचालन के लिए मैसर्ज  डी.बी.एल. पछवाड़ा कसल माइन लिमिटेड को माइन डिवैल्पर कम आप्रेटर (एम.डी.ओ.) के तौर पर चुना गया तथा इसके अनुसार 2018 में उसके साथ कोल माइनिंग समझौता किया गया था। हालांकि मैसर्ज एम्टा (मैसर्ज पैनम में जे.बी. पार्टनर जिसने माइन रद्द होने से पहले खान के संचालन का कार्य किया था) ने पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान के संचालन के लिए पुराने कोयला माइनिंग अनुबंध के नवीनीकरण के लिए अपने अधिकारों का दावा करते हुए नए एम.डी.ओ. के चयन के विरुद्ध रिट पटीशनें दायर की गई थी।

उस दौरान पी.एस.पी.सी.एल. ने विभिन्न केंद्रीय/राज्य सरकारों के विभागों से लंबित कानूनी मंजूरियां/लाइसैंसों जैसे कि माइङ्क्षनग लीज, वातावरण क्लीयरैंस, फॉरैस्ट क्लीयरैंस, ग्राऊंड वातावरण क्लीयरैंस इत्यादि जोकि कोयला खान को चलाने के लिए जरूरी थे, को प्राप्त करने का कार्य जारी रखा। आखिरकार 7 सालों की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद माननीय सुप्रीमकोर्ट ने सितम्बर 2021 में मामले का फैसला पी.एस.पी.सी.एल. के हक में सुनाया और पी.एस.पी.सी.एल. को खुली प्रतियोगी निविदा के माध्यम से चुने गए एम.डी.ओ. के साथ आगे बढऩे की मंजूरी दी।

इस समय तक पी.एस.पी.सी.एल. ने कोयला खान की शुरूआत करने के लिए सभी वांछित मंजूरियों को प्राप्त कर लिया तथा सुप्रीमकोर्ट के फैसले के तुरन्त बाद पी.एस.पी.सी.एल. के एम.डी.ओ. खान का चार्ज संभाल लिया। मगर विभिन्न ट्रांसपोर्टर/वर्कर आदि जोकि पहले अलॉटी मैसर्स पैनम  कोल माइन लिमिटेड/मैसर्स एम्टा  से संबंधित थे, ने पी.एस.पी.सी.एल. के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया और रोजाना के आधार पर माइनिंग कार्यों में लगातार रुकावटें पैदा कीं और उनकी ओर से पुराने बकाए की राशि जोकि 100 करोड़ से अधिक थी, उसका भुगतान पी.एस.पी.सी.एल. की ओर से करने की मांग की गई जोकि पुराने अलॉटी की ओर से कथित तौर पर नहीं की गई थी।

बस यहीं से शुरू हुई पंजाब की वर्तमान पंजाब सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति की कहानी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का गतिशील और दूरअंदेशी नेतृत्व और उनके सरगर्म सहयोग के तहत ट्रांसपोर्टरों/वर्करों के बकाया मुद्दे पर झारखंड सरकार से उच्च स्तर पर बातचीत की गई और आंदोलनकारियों से विभिन्न दौर की बातचीत के बाद तेजी से यह मामला हल किया गया। आखिरकार पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान से उत्पादन सितम्बर 2022 में शुरू हुआ और मालगाडिय़ों द्वारा पी.एस.पी.सी.एल. के थर्मल बिजली घरों में दिसम्बर 2022 में कोयला पहुंचना शुरू हुआ।

उल्लेखनीय है कि पी.एस.पी.सी.एल. को कोयला उपलब्ध करवाने वाले अन्य सभी स्रोतों के मुकाबले पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान के कोयले की गुणवत्ता बहुत बढिय़ा है। इसके अलावा इस कोयला खान से यकीनी कोयले की सप्लाई पी.एस.पी.सी.एल. को पंजाब में चल रही गर्मियों और आगामी चावल के मौसम के दौरान पंजाब के बिजली थर्मल घरों की बढ़ती हुई कोयले की जरूरत को पूरा करने में मदद करेगी। इसके उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के साथ पी.एस.पी.सी.एल. को करीब 500 करोड़ रुपए सालाना की अनुमानित बचत भी होगी।

पी.एस.पी.सी.एल. को गर्मियों के मौसम में कोयले की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए महंगे विदेशी कोयले की खरीद नहीं करनी पड़ेगी। पछवाड़ा केंद्रीय कोयला खान के कारण पंजाब के थर्मल प्लांटों में कोयले के भंडारों में बढ़ौतरी हुई है जिससे थर्मल बिजली की पैदावार भी बढ़ेगी। इंजीनियर जसविंद्र सिंह भाटिया (मुख्य इंजीनियर फ्यूल) के अनुसार अब तक झारखंड की पछवाड़ा कोयला खान से करीब 11.45 लाख टन कोयला पैदा किया जा चुका है और करीब 9.85 लाख टन कोयला यानी कि 251 कोयले के रेक मालगाडिय़ों के द्वारा पी.एस.पी.सी.एल. के थर्मल बिजली घरों में पहुंच चुके हैं। (क्रमश:) -मनमोहन सिंह, (उपसचिव लोकसंपर्क, पी.एस.पी.सी.एल.)

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