असहायों के मसीहा थे लाला जगत नारायण जी

Edited By ,Updated: 01 Jun, 2023 04:37 AM

lala jagat narayan was the messiah of the helpless

स्व.लाला जगत नारायण न केवल हिंदुस्तान बल्कि सारे जगत में 20वीं सदी में पत्रकारिता का एक ऐसा अध्याय हैं जिन्हें पत्रकारिता के इतिहास में हमेशा मुखोपरी समझा और याद किया जाता रहेगा।

स्व.लाला जगत नारायण न केवल हिंदुस्तान बल्कि सारे जगत में 20वीं सदी में पत्रकारिता का एक ऐसा अध्याय हैं जिन्हें पत्रकारिता के इतिहास में हमेशा मुखोपरी समझा और याद किया जाता रहेगा। 31 मई 1899 के दिन वजीराबाद, जिला गुजरांवाला (अब पाकिस्तान) में जन्मे लाला जगत नारायण राष्ट्र की आजादी के एक कलमकार, क्रांतिकारी सिपाही, फ्रीडम फाइटर होने के साथ-साथ एक माननीय पत्रकार, संपादक, विधानसभा (पंजाब) के सदस्य, शिक्षा मंत्री, भारतीय संसद के सांसद भी थे लाला जी। उत्तरी भारत में बड़े शौक व चाव से पढ़े जाने वाले दैनिक अखबार ‘हिंद समाचार’ व ‘पंजाब केसरी’ के संस्थापक संपादक होने के नाते एक सम्मानीय व्यक्ति रहे हैं लाला जगत नारायण। 

जगत नारायण जी ने सन् 1919 में डी.ए.वी. कालेज लाहौर में स्नातक  तक अध्ययन किया और वहां ही स्थित लॉ कालेज लाहौर में विधि विषय की पढ़ाई शुरू की। पर उन्हीं दिनों महात्मा गांधी जी ने जगत जी को व्यक्तिगत स्तर पर राष्ट्र की आजादी के असहयोग आंदोलन (नॉन को-आप्रेशन मूवमैंट) में शमूलियत के लिए बुला लिया था और लाला जी लॉ कालेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर गांधी जी से जा मिले थे। उस नॉन को-आप्रेशन मूवमैंट के दौरान जगत नारायण के विरुद्ध अंग्रेज सरकार के विरोध के समय-समय पर इल्जाम लगते रहे थे और ऐसे आरोप के लिए लाला जी अढ़ाई वर्ष के लिए कारावास में रहे थे। उक्त कारावास में भी लाला जी खाली नहीं बैठे थे। उन दिनों जगत जी ने लाला लाजपत राय के निजी सहायक की जिम्मेदारी निभाई थी। उक्त कारावास की समाप्ति के बाद लाला जी को भाई परमानंद ने अपनी साप्ताहिक पत्रिका आकाशवाणी के संपादक की जिम्मेदारी दी थी। उस जिम्मेदारी के साथ लाला जी महात्मा गांधी द्वारा प्रचलित सत्याग्रह में बराबर भाग लेते रहे। 

उन सत्याग्रहों के दौरान अंग्रेज सरकार ने इन्हें कई बार कसूरवार ठहराया, मुकद्दमे चले और कारावास के आदेश हुए। इस तरह लाला जी लगभग 9 वर्ष जेल में रह कर स्वतंत्रता के लिए लड़े थे। यहां तक कि लाला जी की धर्मपत्नी शांति देवी भी आजादी के संघर्ष में भाग लेती रही थीं और उन्होंने भी 6 महीने बतौर स्वतंत्रता सेनानी जेल में बिताए थे। आजादी के लिए संघर्ष में लाला जी के सुपुत्र स्व. रमेश चंद्र भी बराबर के भागीदार रहे और अंग्रेज सरकार द्वारा जेल आदेश भोगते झेलते रहे थे। 

सन् 1947 में जब भारत को आजादी मिली और देश का विभाजन हुआ तो लाला जी वजीराबाद और लाहौर छोड़कर सपरिवार जालंधर आ गए थे। जालंधर आकर इन्होंने 1948 में दैनिक उर्दू अखबार ‘हिंद समाचार’ का सृजन किया। उन दिनों सरकारी अफसर और पढ़े-लिखे सब लोग उर्दू ही पढ़ते थे। इसीलिए लाला जी का उर्दू अखबार ‘हिंद समाचार’ बड़े शौक से पढ़ा जाता था। पर आहिस्ता-आहिस्ता उर्दू के स्थान पर ङ्क्षहदी और पंजाबी भाषा पर निर्भरता शुरू हो गई। उस रद्दो अमल के मद्देनजर लाला जी ने सन् 1965 में दैनिक हिंदी अखबार ‘पंजाब केसरी’ का सृजन किया था। 

सन् 1980 के दशक में विदेशों में जा बसे कुछेक पंजाबी लोगों ने पंजाब को सिख होमलैंड बनाने के लिए खुफिया आंदोलन चालू कर डाला था। लाला जी पंजाब के पुराने नेता व तदस्थ मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों की तरह सिख होमलैंड को अलग देश बनाने के हक में न थे। अत: इन्होंने सिख होमलैंड की मांग के विरुद्ध अपने विचार लिखने व छापने जारी रखे थे, लाला जी के सिख होमलैंड के विरुद्ध कथित लेखों से सिख होमलैंड के अलम्बरदार खफतगी महसूस करने लग गए थे। अत: सिख होमलैंड समर्थकों ने लाला जी के विरोध को हटाने के लिए जनवरी 1981 में इनका वध करने का प्रयत्न किया था पर ईश्वर की कृपा से लाला जी उस जानलेवा प्रयत्न से बच निकले थे। 

उपरोक्त हत्या प्रयत्न से लाला जी हत्प्रभ न हुए  और इन्होंने अपना देश प्रेम का लेखन जारी रखा था पर देश विरोधी तत्व लाला जी की आवाज व देश प्रेम और सिख होमलैंड विरोधी लेखन को दबाने के लिए लाला जी पर घात लगाए हुए रहे और 9 सितम्बर 1981 के दिन सिख होमलैंड के तत्वों के दूसरे हमले में लाला जी शहीद हो गए थे। कहना न होगा कि लाला जी की निर्भीक पत्रकारिता और शहादत की याददाश्त की पुख्तगी के लिए भारत सरकार के डाक विभाग ने सन् 2013 में लाला जी की तस्वीर वाला एक डाक टिकट जारी किया है। यहां यह कहना भी जरूरी है कि लाला जगत नारायण जी की शहादत के मद्देनजर ‘हिंद समाचार’ और ‘पंजाब केसरी’ के संपादन और प्रकाशन का भार उनके बड़े पुत्र रमेश चंद्र पर आया था। 

इन्होंने भी अपना लेखन लाला जी की तरह ही जनकल्याण व पंजाब के ध्रुवीकरण से बचाव पर केंद्रित रखा। अत: सिख होमलैंड समर्थक विदेशी आतंकियों ने रमेश चंद्र जी को भी 11 मई 1984 के दिन शहीद कर दिया था। ज्ञातव्य है कि उपरोक्त सब जानलेवा वारदात को झेलते हुए लाला जी के ‘हिंद समाचार’ पत्र समूह के जनकल्याण संपादन और संचालन का भार भारत के जाने-माने पत्रकार लाला जी के छोटे पुत्र विजय कुमार कर रहे हैं, जोकि न केवल उत्तरी भारत बल्कि समस्त एशिया में बढिय़ा जनकल्याण पत्रकारिता कर रहे हैं।

उत्मोत्तम पत्रकारिता के साथ-साथ ‘पंजाब केसरी’ समूह सीमावर्ती इलाकों में बसे आए दिन होने  वाली गोलीबारी से प्रभावित लोगों की समय-समय पर दैनिक उपयोग की जरूरी वस्तुओं की हर तरह से मदद कर रहे हैं। यानी कि सरहद पर चल रही छुटपुट जंग से प्रभावित जनगण को बिना किसी जाति, धर्म, निवास के भेदभाव के जरूरी दैनिक जरूरत की वस्तुएं, वस्त्र, भोजन इत्यादि सामग्री के रूप में यथा आवश्यक सहायता पहुंचा रहे हैं।लाला जगत नारायण की शहादत के बारे में एक प्रसिद्ध कवि के शब्दों में :‘‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।’’-के.एल. नोते

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!