नेपाल और भारत, जमात-ए-इस्लामी के एजैंडे को समय रहते पहचानें

Edited By Updated: 26 Oct, 2025 05:10 AM

nepal and india should recognize the agenda of jamaat e islami in time

‘इस्लामिक जेहाद’ अपने एजैंडे पर मुतबातर आगे बढ़ रहा है। आगामी दस-पच्चास वर्षों में जमाते-ए-इस्लामी उन दो देशों को अपनी गिरफ्त में लेता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान और बंगला देश प्रत्यक्ष रूप से इन आतंकवादी कट्टपंथियों का पुष्ट-पोषण कर रहा है। सऊदी अरब...

‘इस्लामिक जेहाद’ अपने एजैंडे पर मुतबातर आगे बढ़ रहा है। आगामी दस-पच्चास वर्षों में जमाते-ए-इस्लामी उन दो देशों को अपनी गिरफ्त में लेता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान और बंगला देश प्रत्यक्ष रूप से इन आतंकवादी कट्टपंथियों का पुष्ट-पोषण कर रहा है। सऊदी अरब तथा कई अन्य इस्लामिक देश इस्लामिक कट्टरपंथियों को पैसों, गोला-बारूद से मालामाल कर रहे हैं। अमरीका विश्व की राजनीति को डांवाडोल कर रहा है। भारत के पड़ोसी देश नेपाल और भारत को ‘हिंदू मुक्त’ करना चाहते हैं।

हिंदू धर्म छोड़ जो लोग इस्लाम में कनवर्ट हुए हैं वह असल मुसलमानों से ज्यादा कट्टर हैं। जमाते-ए-इस्लामी ‘इस्लामिक जेहाद’ का सबसे बड़ा पैरोकार है। भारत और नेपाल सावधान हो जाएं, इस्लाम ‘उन्माद’ के सिद्धांत को सफल सिद्ध करना चाहता है। इसका अर्थ है इस्लाम की कोई सीमा नहीं। इन इस्लामिक संगठनों की कोई संस्कृति नहीं। इनका मतलब ‘भौगोलिक विभाजन’ करना है ताकि इस्लाम सारी दुनिया पर राज करे। इन ‘इस्लामिक संगठनों’ का नेतृत्व असदुद्दीन ओवैसी जैसे पढ़े-लिखे नेता करते हैं। इन कट्टरवादी इस्लामी संगठनों की पढ़ाई तो मदरसों या मकतबों में हुई है। इस्लामी जमाते तो सिर्फ यह जानती है, जो इस्लाम को नहीं मानता उसका सिर तन से जुदा कर दो। क्योंकि वह काफिर है और काफिरों को मारने से उन्हें जन्नत में 75 हूरें मिलेंगी। 

बंगलादेश में 421 ऐसे मदरसे हैं जो कट्टरपंथियों की भर्ती और प्रशिक्षण देने का काम करते हैं। खाड़ी देशों में इस्लामिक कट्टरपंथियों को पैसा देना और गोला-बारूद मुहैया करवाने की होड़ लगी है। पाकिस्तान, बंगलादेश, अफगानिस्तान और सऊदी अरब का मकसद ही नेपाल और भारत को नेस्तोनाबूद  करना है। शायद अब अफगानी विदेश मंत्री की सप्ताह भर भारत यात्रा से अफगानिस्तान कट्टरपंथियों की सहायता देना बंद कर दे। अफगानिस्तान को भारत का मित्र बनाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति का प्रमाण है। बंगलादेश में 64,000 मदरसे इस्लाम के प्रचार-प्रसार में कार्यरत हैं। ऐसे ही मदरसे पाकिस्तान में हैं। भारत और नेपाल बचेंगे तो कैसे? बंगलादेश की राजनीतिक पाॢटयों ने 1991 और 1996 के संसदीय चुनाव में इन कट्टरवादी संगठनों से गठबंधन कर सरकारें बनाई थीं। पाकिस्तान की आई.एस.आई. खुफिया एजैंसी आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे कर 1980 से कश्मीर घाटी में घुसपैठ करवा रही है। पाक प्रधानमंत्री शहबाज को इन सबका पता है। आतंकवादी जमायतों के नाम गिनाऊं तो आप हैरान हो जाएंगे। 

(क) जमाते-इस्लामी (ख) इंटरनैशनल इस्लामिक फैडरेशन ऑफ स्टूडैंट आर्गेनाइजेशन (ग), हरकत-उल जेहाद इस्लामी, हूजा बीड़ी, (न) हतदेद्दीन, (च) अल-फारुक-फारुख इस्लामिक-फाऊंडेशन, (छ) अटल फुजियारी वैल्फेयर एसोसिएशन, (ज) बेनू वालेंस इंटरनैशनल फाऊंडेशन (झ) ग्लोबल रिलीफ फाऊंडेशन, (ङ) इस्लामिक-हैरीटेज सोसाइटी जैसे कट्टरपंथी ‘जमायत-उल-मुजाहिद्दीन’ जेहाद में कार्यरत हैं।
2003 में इस संगठन के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। सब का मकसद धर्म निरपेक्ष ताकतों का सिर कलम करना है।
कुछेक गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों ने खुलासा किया कि उन्हें
(1) हथियारों का प्रशिक्षण पाकिस्तान और कंधार से मिलता है।
(2) सारी गतिविधियों का केंद्र ढाका स्थित पाकिस्तानी दूतावास है।
(3) मदरसों में उन्हें पनाह मिलती है।
(4) भारत में मदरसे और मस्जिदें गोला बारूद और हथियारों को सुरक्षित रखने में सहायता करती हैं।
(5) देश के भीतर कमजोर कडिय़ों को गुप्तचरी करने के लिए पैसों का लालच दिया जाता है।
(6) सुरक्षाबलों की जानकारियां हासिल करना-पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी क्षेत्र का चुनाव उनके लिए लाभप्रद है।
(7)बंगला देश से घुसपैठ कर आगे मुसलमानों की सुरक्षा करना।
(8) असम को ‘मुस्लिम स्वदेश’ बनाना जिसमें असम के नवगांव, धूबरी, कामरूप,करीमगंज और कछार के ‘हेलांकी’ भाग को मिला कर एक नया ‘बंगलादेश’ बनाना।
(9) पश्चिम बंगाल और असम के इस्लामिक शासन के अधीन लाना।
(10) पूर्वोत्तर में एक ‘इस्लामिक विश्वविद्यालय’ खोलना।
(11) केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों में मुसलमानों को 30 प्रतिशत आरक्षण देना।
(12) विधानसभा में मुसलमानों के लिए सीटें सुरक्षित रखना।
(13) मतदाता सूचियों से मुसलमान घुसपैठियों के नाम न करने देना।
(14) ‘इस्लामिक न्यायालय’ स्थापित करना और सभी फैसले शरीयत के अनुसार करना।
(15) मदरसों और ईदगाहों को आॢथक सहायता मुहैया करवाना।
पाठक यह भी जान लें कि वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में 1998-99 एक विमान हाईजैक हुआ था जिन तीन आतंकियों को कंधार हवाई अड्डे पर छोड़ा था उनमें एक ‘जैश-ए-मोहम्मद’ का सरगना मौलाना मसूद अजहर भी था। यही मसूद अजहर 1993 में बंगलादेश गया ताकि वह विमान हाईजैक की योजना बना सके। 29 जनवरी, 1994 को वह फिर ढाका गया। इस समय उसने अपना नाम पासपोर्ट पर ‘वाली अदम इस्सा’ एक पुर्तगाली नाम रखा और भारत में विमान हाईजैक किया। यह सब इस्लामी गतिविधियां हिंदोस्तान के ‘इस्लामी राष्ट्र’ बनाने का एक ‘हिडन एजैंडा’ है।-मा. मोहन लाल(पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

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