प्रश्न सनातन धर्म की मान्यताओं का

Edited By ,Updated: 22 May, 2023 05:12 AM

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024  का चुनाव सामने है। आर.एस.एस. व भाजपा हिंदुत्व के एजैंडे पर जोर-शोर से काम कर रही है। पहले ‘ताशकंद फाइल्स’ फिर ‘कश्मीर फाइल्स’ और अब ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्में योजनाबद्ध तरीके से जारी की जा रही हैं और प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों तक ने...

2024 का चुनाव सामने है। आर.एस.एस. व भाजपा हिंदुत्व के एजैंडे पर जोर-शोर से काम कर रही है। पहले ‘ताशकंद फाइल्स’ फिर ‘कश्मीर फाइल्स’ और अब ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्में योजनाबद्ध तरीके से जारी की जा रही हैं और प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों तक ने इन फिल्मों को प्रचारित करने का जिम्मा ले लिया है। इसका एकमात्र लक्ष्य वोटों का ध्रुवीकरण करना है। आम भावुक दर्शक इन फिल्मों की पटकथा से निश्चित रूप से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसी अभी कई फिल्में 2024 तक और जारी होंगी। इसके साथ ही नया संसद भवन और अयोध्या में श्री राम मंदिर बन कर तैयार होगा, जिसे बहुत आक्रामक मार्कीटिंग नीति के तहत पूरी तरह भुनाया जाएगा। 

बहुत से लोग देश-विदेश से संदेश भेज कर मुझसे मेरी राय पूछ रहे हैं। मैंने सोशल मीडिया पर उत्तर दिया कि इसमें जो दिखाया है वह सत्य है। पर 32,000 लड़कियां बता कर प्रचार खूब किया। जब प्रमाण मांगे गए तो केवल 3 केस सामने आए। उसमें भी हिंदू लड़की केवल एक ही निकली। महिलाओं के साथ ऐसे अत्याचार सदियों से हर देश में हर धर्म के लोग करते आए हैं। भाजपा के मंत्री या नेताओं के भी किए व्यभिचार, बलात्कार और हत्याओं के मामले प्राय: सामने आते रहते हैं। उन पर कोई ‘द रेप स्टोरी’ क्यों नहीं बनती, उन खबरों को क्यों दबवा दिया जाता है। इसी तरह हर राजनीतिक दल के आपराधिक छवि वाले नेता, इस तरह के अपराधों में लिप्त रहते हैं। पर जो फिल्में आजकल बनवाई जा रही हैं, इनमें विषय संबंधी सभी तथ्यों को नहीं दिखाया जाता। जैसे कश्मीर फाइल्स में यह नहीं दिखाया गया कि कश्मीर के आतंकवादियों ने आज तक कितने मुसलमानों की भी उसी तरह हत्याएं की हैं और आज भी कर रहे हैं। 

मेरी उपरोक्त टिप्पणी पर अधिकतर प्रतिक्रिया समर्थन में आईं पर कुछ मशहूर लोगों ने, जो आजकल भाजपा के साथ खड़े हैं, ने मुझे याद दिलाया कि महिलाओं के प्रति अत्याचार के मामलों की कट्टरपंथी अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों द्वारा किए जा रहे सुनियोजित अभियान से तुलना नहीं की जा सकती। उनका यह भी कहना है कि गैर-भाजपाई सरकारों में मुसलमानों की आक्रामकता बढ़ जाती है और हिन्दुओं पर अत्याचार भी बढ़ जाते हैं। भाजपा का आई.टी. सैल 13 तारीख से हिंदुओं को कांग्रेस सरकार से डराने में जुट गया है। ऐसी पोस्ट आ रही हैं, ‘कर्नाटक में कांग्रेस के जीतने पर हिंदुओं के ऊपर हमले भी शुरू हो गए। क्योंकि जेहादियों को पता है अब इनकी सरकार है इसलिए अब इन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। 

फ्री के चक्कर में हिन्दुओं ने जिहादियों की सरकार को जिता दिया। अब आने वाले पूरे 5 वर्षों तक ङ्क्षहदुओं के साथ यही सब होने वाला है। पलायन, लव जिहाद, भू-जिहाद, धर्मान्तरण जैसी गंभीर समस्याओं से हिन्दुओं को सामना करना पड़ेगा। अब भुगतो हिंदुओ।’ पर ऐसा नहीं है कि इन आरोपों में तथ्य नहीं हैं। चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक या जातिगत तुष्टीकरण करने में कोई राजनीतिक दल पीछे नहीं रहता, भाजपा भी नहीं और उसी का परिणाम है कि चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ दल को अनेक विवादास्पद मामलों में या तो अपने आंख और कान बंद करने या समझौते करने पड़ते हैं, जिसका भरपूर प्रचार करके विरोधी दल फायदा उठाते हैं। 

जो लोग अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक आतंकवाद से लडऩे और भारत की सनातन हिन्दू संस्कृति को बचाने के लिए केवल भाजपा और आर.एस.एस. को ही सक्षम विकल्प मानते हैं, उनसे मेरा कोई बहुत मतभेद नहीं रहा। पर विगत वर्षों के अनुभव ने, अनेक घटनाओं व कारणों से भाजपा व संघ की क्षमता के बारे में संदेह पैदा कर दिए हैं। ये दोनों संगठन आज तक इस बात को परिभाषित नहीं कर पाए कि हिंदू राष्ट्र से इनका आश्रय क्या है? ये कैसा हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं? जिस सनातन संस्कृति का हम सब हिंदू दंभ भरते हैं, उसके किसी भी सिद्धांत, शास्त्र, परंपराओं व आस्थाओं से संघ और भाजपा का दूर-दूर तक नाता नही

वैदिक शास्त्रों की उपेक्षा, प्राण प्रतिष्ठित  देव विग्रहों व देवालयों पर बुलडोजर चलाना, गौ मांस के व्यापार को प्रोत्साहित करना, सनातन धर्म के मूलाधार चारों शंकराचार्यों की उपेक्षा करना, वेतन दे कर संन्यासी बनाना, करोड़ों रुपए के चढ़ावे वाले मंदिरों पर अपने ट्रस्ट बना कर कब्जे करना और पारंपरिक सेवायतों को बेदखल करना, सनातन धर्म और तीर्थों की निष्ठा से सेवा करने वालों को अपमानित और हतोत्साहित करना क्या उचित है? इन सब धर्म-विरोधी कृत्यों को करने वाले क्या तालिबानियों से भिन्न आचरण कर रहे हैं? फिर हम जैसे आम सनातन धर्मियों से ये अपेक्षा क्यों की जाती है कि हम किसी दल या संगठन की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने आंख-कान बंद करके भेड़ों की तरह पीछे-पीछे चलें। 

पिछले दशक में हर वह राजनेता, जिसके खिलाफ भाजपा ने भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाए, वे सब आज उसके साथ मिल कर सरकार चला रहे हैं या भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसलिए महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, शासन में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण, अपनी कार्यप्रणालियों में पारदॢशता का अभाव और जनता के प्रति जवाबदेही से बच कर शासन चलाने के कारण सत्तारूढ़ दल को विपक्ष की जो आलोचना झेलनी पड़ती है, उन विषयों को अगर हम न छुएं तो भी सनातन धर्म को लेकर जो प्रश्न यहां उठाए हैं, उनका तो उत्तर मिलना चाहिए।-विनीत नारायण
 

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