सिर चढ़कर बोलने लगा क्रिकेट का जादू

Edited By ,Updated: 13 Jun, 2025 05:34 AM

the magic of cricket started speaking louder

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सोचा कि आई.पी.एल. के 2025 संस्करण में आर.सी.बी. की जीत से उसे राजनीतिक लाभ मिलेगा। जबकि यह दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ। यदि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री ने अपने पद का त्याग करके इस्तीफा दे दिया होता तो इससे छुटकारा मिल सकता...

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सोचा कि आई.पी.एल. के 2025 संस्करण में आर.सी.बी. की जीत से उसे राजनीतिक लाभ मिलेगा। जबकि यह दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ। यदि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री ने अपने पद का त्याग करके इस्तीफा दे दिया होता तो इससे छुटकारा मिल सकता था। इसने शीर्ष पुलिस नेतृत्व का बलिदान देकर आर.सी.बी. टीम और क्रिकेट प्रबंधकों को निशाना बनाने का विकल्प चुना! यह एक स्वार्थी निर्णय था  जिसका पार्टी पर निश्चित रूप से उल्टा असर पड़ेगा।

वैस्टइंडीज के लेखक वी.एस.नायपॉल ने क्रिकेट को विशेष स्थान प्रदान किया था क्योंकि इसने उनके अपने देशवासियों पर जादू कर दिया था। सर विद्याधर ने लिखा, ‘‘वैस्टइंडीज क्रिकेट है और क्रिकेट ही वैस्टइंडीज है।’’ इस शताब्दी में यह दायित्व भारत को सौंप दिया गया है। पिछले दशक में विदेशी धर्मों के प्रति घृणा ने देश के आधे हिस्से को जकड़ लिया है।  जहां तक मुझे याद है, क्रिकेट के प्रति प्रेम लगभग सभी नागरिकों में व्याप्त रहा है। जब भारतीय टीम कोई अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलती है तो हम सभी टैलीविजन से चिपके रहते हैं। जब मुंबई इंडियंस (एम.आई.) खेलती है  तो मैं देखता हूं। मैं 96 वर्षीय मुम्बई निवासी नागरिक हूं।

आई.पी.एल.(इंडियन प्रीमियर लीग) टी-20 क्रिकेट टीमें गठित की जाती हैं, कुछ राज्य स्तर पर (गुजरात, राजस्थान, पंजाब)लेकिन ज्यादातर शहर स्तर पर (मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद,चेन्नई, कोलकाता,दिल्ली, लखनऊ)। इस व्यवस्था की खूबसूरती यह है कि प्रत्येक टीम के खिलाडिय़ों को पूरे भारत से तथा नीलामी के माध्यम से अन्यत्र से चुना जाता है। आर.सी.बी. यानी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूर टीम में बेंगलुरु या यहां तक कि राज्य (कर्नाटक) से एक भी खिलाड़ी नहीं था। फिर भी, राज्य के लोगों और उसकी सरकार ने टीम पर स्वामित्व का दावा किया  क्योंकि वह जीत गई। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार, आर.सी.बी.की जीत से उत्पन्न गौरव में डूब गई और उसने आदेश जारी किया कि बेंगलुरू हवाई अड्डे पर पहुंचने पर पूरी टीम को मंत्रिमंडल और विधायकों द्वारा औपचारिक स्वागत के लिए विधान सभा ले जाया जाए। इसने पुलिस को फोन पर मौखिक रूप से आदेश जारी किया कि वे ‘बंदोबस्त’ की योजना बनाने के लिए समय की कमी के बावजूद अस्थायी व्यवस्था में पूर्ण सहयोग करें।

विजेता टीम ने पहले ही इंस्टाग्राम पर एक संदेश पोस्ट कर दिया था कि विजय परेड का आयोजन किया जाना चाहिए। यह संदेश उस दिन सुबह 7 बजे आया था। विधानसभा में टीम को सम्मानित करने की योजना सुबह 10:30 बजे अंतिम रूप से दी गई। क्रिकेट की जीत हर समर्थक को उत्साहित करने की क्षमता रखती है,  यहां तक  कि उन लोगों को भी जिन्होंने कभी बल्ला या गेंद नहीं संभाली हो। किसी भी स्थिति में, मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त संदेश को पुलिस के शीर्ष अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता था। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से पुलिस आयुक्त से इस अवसर पर उचित कदम उठाने की अपेक्षा की। जब दुर्भाग्यपूर्ण आपदा घटित हुई तो उन्होंने तुरंत जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया और आयुक्त तथा 4 अन्य को निलंबित कर दिया। उन्होंने इस आपदा के लिए जिम्मेदार घटनाओं के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग भी नियुक्त किया।

ऐसा करके उन्होंने सोचा कि उन्होंने उस परिणाम से अपने हाथ धो लिए हैं जो सामान्यत: उनके और उनकी सरकार के कंधों पर आता। मैं इस बात से सहमत हूं कि पुलिस बेहतर काम कर सकती थी लेकिन सरकार को विधान सभा में अनावश्यक स्वागत का बोझ पुलिस पर नहीं डालना चाहिए था। उस स्थल पर अनेक कार्मिक तैनात किए गए होंगे। यदि वहां कोई छोटी सी दुर्घटना भी घट जाती तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता। यदि सरकार और उस सरकार को चलाने वाली पार्टी आर.सी.बी.का श्रेय लेना चाहती थी तो क्या यह सच है? जीत के लिए उन्हें उस शाम क्रिकेट स्टेडियम में हुई आपदा की जिम्मेदारी लेने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री थे,जब एक बड़ी रेल दुर्घटना घटी। एक कत्र्तव्यनिष्ठ व्यक्ति होने के नाते उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। 

मुख्यमंत्री येदुरप्पा  या अधिक उपयुक्त रूप से उपमुख्यमंत्री  जो विधान सभा समारोह में सबसे अधिक दिखाई देने वाले गण्यमान्य व्यक्ति थे, जिन्हें क्रिकेटरों के सिर पर ‘फेटा’और कंधों पर शॉल डालते हुए देखा गया था  को लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान राजनेता की भावना के अनुरूप पद छोड़ देना चाहिए था। इस कदम से लोग शांत हो गए होंगे। आर.सी.बी. के खिलाफ  अपराध दर्ज करने में मुख्यमंत्री और पुलिस की जल्दबाजी भरी प्रतिक्रिया थी। कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है कि टीम और उसका प्रबंधन चिंताजनक है। मैं आशा करता हूं कि समझदारी भरी सलाह काम आएगी और विराट कोहली तथा उनकी टीम के साथियों को आई.पी.एल. जीतने के कारण अलग-अलग पुलिस थानों में बंद नहीं किया जाएगा। बताया गया कि चिन्नास्वामी स्टेडियम में 3 लाख क्रिकेट प्रेमी आए  जबकि इसमें केवल 35,000 दर्शकों की क्षमता है। इसका पूर्वानुमान किया जाना चाहिए था। राज्य के गृह मंत्री को व्यक्तिगत रूप से पुलिस व्यवस्था की निगरानी करनी चाहिए थी। मुंबई शहर पुलिस को ऐसी विशाल भीड़ से निपटने का काफी अनुभव है।

जब कपिल देव की टीम 1983 में लॉर्ड्स में विश्व कप में वैस्टइंडीज पर जीत हासिल करने के बाद वापस लौटी  तो विजेता टीम का स्वागत करने के लिए मुम्बई के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लेकर वानखेड़े स्टेडियम तक भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी, जहां फाइनल का जश्न मनाया गया था।-जूलियो रिबैरो (पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
 

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