Health Insurance को लेकर जरूरी खबर, बड़ा कदम उठाने की तैयारी में सरकार

Edited By Updated: 20 Nov, 2025 01:39 PM

government preparing big step regarding health insurance

हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम हर साल लगातार बढ़ने से सरकार गंभीर रूप से चिंतित है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से प्रीमियम बढ़ाए जाने पर रोक लगाने के लिए सरकार अब बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। संकेत मिल रहे हैं कि प्रीमियम...

बिजनेस डेस्कः हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम हर साल लगातार बढ़ने से सरकार गंभीर रूप से चिंतित है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से प्रीमियम बढ़ाए जाने पर रोक लगाने के लिए सरकार अब बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। संकेत मिल रहे हैं कि प्रीमियम बढ़ोतरी के लिए एक निश्चित सीमा तय की जा सकती है, ताकि बीमा कंपनियां उपभोक्ताओं से मनचाही रकम न वसूल सकें।

भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन 11.5% है यानी अस्पतालों में इलाज का खर्च हर साल इतनी ही तेजी से बढ़ रहा है- जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। कोविड महामारी के बाद से स्वास्थ्य बीमा की लागत तेज़ी से बढ़ी है और साल 2021-22 के बाद से प्रीमियम में लगातार भारी उछाल देखा जा रहा है।

बीमा कंपनियों और अस्पतालों को किया तलब

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बीमा नियामक IRDAI, बीमा कंपनियों और अस्पतालों के साथ हेल्थ इंश्योरेंस सुधारों पर चर्चा शुरू कर दी है। कई महत्वपूर्ण सुझाव IRDAI को भेजे गए हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। सरकार का फोकस हेल्थ इंश्योरेंस को आम लोगों के लिए अधिक किफायती और पारदर्शी बनाना है।

मनचाही बढ़ोतरी पर नाराजगी 

एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बीमा कंपनियों के सीईओ, बड़े निजी अस्पतालों के मालिकों और IRDAI अधिकारियों के साथ एक बंद कमरे की बैठक की। इस बैठक में वित्त मंत्रालय ने हर साल प्रीमियम में मनचाही बढ़ोतरी पर नाराजगी जताई और इस पर नियंत्रण की जरूरत बताई। सरकार का मानना है कि प्रीमियम बढ़ाने का वर्तमान मॉडल उपभोक्ताओं के लिए बेहद बोझिल हो गया है और इसे सीमित करने के उपायों पर तुरंत काम होना चाहिए।

सरकार यह भी चाहती है कि बीमा कंपनियों और अस्पतालों द्वारा तय किए जाने वाले इलाज के पैकेज रेट में पारदर्शिता लाई जाए, क्योंकि अक्सर इन्हीं पैकेजों के कारण कुल बिल बढ़ जाता है और क्लेम विवाद बढ़ते हैं। इसके साथ ही नई पॉलिसी पर एजेंट कमीशन को 20% तक सीमित करने और रिन्यूअल पर यह कमीशन 10% से अधिक न रखने का सुझाव दिया गया है, ताकि कुल लागत कम हो सके।

नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज का रास्ता खुला

अस्पतालों ने सरकार के इन प्रस्तावों पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि उनका मार्जिन पहले से ही कम है और असली समस्या बीमा कंपनियों द्वारा क्लेम में कटौती है। इस पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि इसी समस्या के समाधान के लिए नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज लाया जा रहा है, जिसके जरिए हर अस्पताल बिल, हर क्लेम और हर डिस्चार्ज समरी डिजिटल रूप में उपलब्ध होगी और प्रणाली अधिक पारदर्शी हो जाएगी।

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