बलूचिस्तान हाथ से गया तो पाकिस्तान खो देगा सोने-तांबे का भंडार

Edited By Updated: 10 May, 2025 04:12 PM

if balochistan is lost pakistan will lose its gold and copper reserves

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान एक और गंभीर संकट बनता जा रहा है। बलूच विद्रोही एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और पाकिस्तान की सेना व सुरक्षाबलों पर बड़े हमले कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है...

बिजनेस डेस्कः पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान एक और गंभीर संकट बनता जा रहा है। बलूच विद्रोही एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं और पाकिस्तान की सेना व सुरक्षाबलों पर बड़े हमले कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होता है, तो क्या होगा? दरअसल, यह प्रांत सिर्फ भौगोलिक रूप से ही नहीं, बल्कि खनिज, ऊर्जा और कृषि संसाधनों के लिहाज से भी पाकिस्तान की रीढ़ है। यहां मौजूद अरबों डॉलर के सोने और तांबे के भंडार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की सबसे अहम पूंजी माने जाते हैं। अगर यह इलाका हाथ से गया, तो पाकिस्तान को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

बलूचिस्तान: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है और यह देश के खनिज, ऊर्जा और कृषि संसाधनों का प्रमुख केंद्र है। यह क्षेत्र अकेले पाकिस्तान की लगभग 44% जमीन पर फैला है। यदि बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होता है, तो देश को न केवल आर्थिक झटका लगेगा, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी उसकी स्थिति कमजोर होगी।

खनिज संपदा का खजाना

  • बलूचिस्तान में लगभग 59 बिलियन टन खनिज भंडार हैं।
  • रेकौ डिक क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े सोना-तांबे के अप्रयुक्त भंडार हैं।
  • यहां 60 मिलियन औंस सोना और अरबों डॉलर की कीमत का तांबा मौजूद है।
  • बलूचिस्तान पाकिस्तान की प्राकृतिक गैस आपूर्ति का बड़ा हिस्सा प्रदान करता है।

कृषि और फल उत्पादन में अग्रणी

  • बलूचिस्तान को पाकिस्तान का फलों की टोकरी भी कहा जाता है।
  • पाकिस्तान की 90% चेरी, अंगूर और बादाम का उत्पादन यहीं होता है।
  • 70% खजूर यहीं से आता है, सिर्फ मकरान डिवीजन में हर साल 4.25 लाख टन खजूर का उत्पादन होता है।
  • 60% खुबानी, आड़ू और अनार तथा 34% सेब भी यहीं से आते हैं।

 पर्यटन की अपार संभावनाएं

बलूचिस्तान में मेहरगढ़, ज़ियारत रेजिडेंसी और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जुनिपर जंगल जैसे स्थल मौजूद हैं। यदि पर्यटन का सही विकास हो, तो यह प्रांत पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नए पंख दे सकता है।

पाकिस्तान के लिए तीन मोर्चों पर संकट

  • भारत-पाक सीमा पर बढ़ता सैन्य तनाव
  • बलूच विद्रोहियों की आक्रामकता
  • CPEC प्रोजेक्ट पर खतरा और चीन की चिंता

बलूचिस्तान में अस्थिरता पाकिस्तान की सुरक्षा, कूटनीति और अर्थव्यवस्था- तीनों के लिए गंभीर खतरा बन गई है। यदि यह प्रांत अलग होता है, तो पाकिस्तान को ऊर्जा, खनिज, कृषि और रणनीतिक मोर्चों पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
 

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