Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Nov, 2025 01:30 PM

दुनिया भर के उभरते बाजारों में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए भारत इस समय सबसे कम पसंदीदा बाजार बन गया है। एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी फंडों ने पिछले एक साल में भारत में अपनी हिस्सेदारी काफी घटा दी है। अब उभरते बाजारों में काम...
बिजनेस डेस्कः दुनिया भर के उभरते बाजारों में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए भारत इस समय सबसे कम पसंदीदा बाजार बन गया है। एचएसबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी फंडों ने पिछले एक साल में भारत में अपनी हिस्सेदारी काफी घटा दी है। अब उभरते बाजारों में काम करने वाले फंडों में से सिर्फ 25% ही भारत में सक्रिय रूप से निवेश कर रहे हैं।
एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में भारत का वेट भी कम होकर 15.25% हो गया है। इसका मतलब है कि फंड मैनेजर भारत में उससे भी कम निवेश कर रहे हैं, जिसे अंडरवेट कॉल कहा जाता है।
पिछले 12-13 महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारत से लगभग 30 अरब डॉलर की बिकवाली की है। इसकी एक बड़ी वजह एशिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े शेयरों में तेजी है। निवेशक अब दक्षिण कोरिया, ताइवान और चीन की टेक और इंटरनेट कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं। वहां उन्हें तेज कमाई की उम्मीद है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति हमेशा के लिए नहीं है। एचएसबीसी के एशिया-प्रशांत इक्विटी रणनीति प्रमुख हेरल्ड वैन डेर लिंडे का कहना है कि आने वाले महीनों में भारत में फिर से विदेशी निवेश बढ़ सकता है। वे कहते हैं कि भारत उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है, जो AI से जुड़ी शेयरों की तेजी से असहज हैं और स्थिरता चाहते हैं।
अक्टूबर में इसका असर दिखने भी लगा था, जब विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 11,050 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह बदलाव चीन में चल रही बिकवाली से जुड़ा है लेकिन इस बार यह जरूरी नहीं है कि भारत और चीन एक-दूसरे के खिलाफ जाएं। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आने वाले समय में दोनों बाजार एक साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।