Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Jun, 2025 04:40 PM

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने चेतावनी दी है कि ईरान-इजराइल संघर्ष भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह टकराव बढ़ता है तो इससे ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होगी और कच्चे तेल की कीमतों में...
बिजनेस डेस्कः देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई ने चेतावनी दी है कि ईरान-इजराइल संघर्ष भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, यदि यह टकराव बढ़ता है तो इससे ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होगी और कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।
होर्मुज स्ट्रेट बना संकट का केंद्र
रिपोर्ट में बताया गया है कि होर्मुज जलडमरूमध्य जहां से दुनिया का 20% तेल गुजरता है तनाव का प्रमुख केंद्र बन गया है। भारत अपने कच्चे तेल का लगभग 90 प्रतिशत आयात करता है, जो 5.5 मिलियन बैरल है, जिसमें से लगभग दो मिलियन बैरल प्रतिदिन है इसी होमुर्ज से होकर आता है। अगर ईरान इस रास्ते को रोकता है तो ग्लोबल ऑयल सप्लाई को काफी प्रभावित कर सकता है। इस रास्ते से अलग दूसरे ऑप्शन काफी कम है। ईरान से सीधे तेल नहीं खरीदने के बावजूद, भारत असुरक्षित बना हुआ है क्योंकि इसका 40 प्रतिशत इंपोर्ट इसी मार्ग से होता है।
तेल कीमतें और शिपिंग दरें बढ़ीं
रिपोर्ट के अनुसार, तनाव के बीच ग्लोबल टैंकर फ्रेट इंडेक्स और समुद्री बीमा दरों में तेजी देखी गई है। इससे तेल की लागत बढ़ने के संकेत हैं। एसबीआई ने अनुमान लगाया है कि मौजूदा स्थिति में ब्रेंट क्रूड की कीमतें 82-85 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं, जो लंबे समय के औसत 78 डॉलर से ज्यादा है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर संभावित असर
एसबीआई रिसर्च का आकलन है कि कच्चे तेल की कीमतों में हर 10 डॉलर की बढ़ोतरी से भारत की खुदरा महंगाई (CPI) 25-35 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ सकती है और जीडीपी ग्रोथ 20-30 बेसिस प्वाइंट तक गिर सकती है। यदि कीमतें 130 डॉलर तक पहुंचती हैं, तो भारत की विकास दर 5.1% तक गिर सकती है।
भारत की तेल आयात रणनीति
हाल के वर्षों में भारत ने रूस और अमेरिका से तेल आयात बढ़ाया है, लेकिन अब भी होर्मुज स्ट्रेट पर निर्भरता बनी हुई है। यही कारण है कि किसी भी प्रकार का सैन्य टकराव या आपूर्ति में बाधा भारत को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती है।