Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jul, 2025 03:59 PM

आज की तारीख में नौकरीपेशा लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार अपनी सैलरी के क्रेडिट होने का होता है लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि सैलरी आते ही कुछ मिनटों में अकाउंट खाली हो जाता है। मिडिल क्लास की सबसे बड़ी चिंता बन चुकी है- बढ़ता खर्च और घटती बचत।
बिजनेस डेस्कः आज की तारीख में नौकरीपेशा लोगों को सबसे ज्यादा इंतजार अपनी सैलरी के क्रेडिट होने का होता है लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि सैलरी आते ही कुछ मिनटों में अकाउंट खाली हो जाता है। मिडिल क्लास की सबसे बड़ी चिंता बन चुकी है- बढ़ता खर्च और घटती बचत।
एक रेडिट यूजर की कहानी ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी। उसने बताया कि उसकी सैलरी क्रेडिट होते ही केवल 5 मिनट में 43,000 रुपए घटकर 7 रुपए रह गए। 19,000 रुपए रेंट में गए, 15,000 रुपए क्रेडिट कार्ड का मिनिमम पेमेंट करना पड़ा और बाकी रकम ईएमआई, मोबाइल, इंटरनेट बिल जैसे खर्चों में चली गई।
EMI पर टिका जीवन, बचत गायब
इस शख्स की यह कहानी इंटरनेट पर काफी वायरल है। रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पर्सनल लोन में बीते तीन साल में 75% का उछाल आया है। आज करीब एक-तिहाई सैलरीड लोग अपनी आय का 33% से ज्यादा सिर्फ ईएमआई में खर्च कर देते हैं। कुछ मामलों में यह आंकड़ा 45% तक पहुंच चुका है। इसके बाद किराया, राशन और बच्चों की फीस जैसी जरूरी चीजें जुड़ते ही सैलरी खत्म हो जाती है।
जरूरतें बन गईं कर्ज का कारण
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब लोग शौक या लग्जरी के लिए नहीं, बल्कि बुनियादी जरूरतों के लिए लोन लेने को मजबूर हैं। डिजिटल लोन प्लेटफॉर्म्स ने लोन लेना आसान बना दिया है लेकिन इसका परिणाम यह हो रहा है कि 5 से 10 फीसदी मिडिल क्लास परिवार पहले ही कर्ज के जाल में फंस चुके हैं।
कम सैलरी, बढ़ता दिखावा – बना कर्ज का रास्ता
एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि अगर समय रहते खर्चों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। आमदनी सीमित है लेकिन लाइफस्टाइल और सोशल मीडिया के दबाव में खर्च असीमित होता जा रहा है।