रेस्को मॉडल के तहत सोलर प्लांट लगाने के लिए मिलेगा और समय,प्रशासन ने की डेट बढ़ाने की तैयारी

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 30 Mar, 2023 08:29 PM

people were given time till march 31 to apply

यू.टी. प्रशासन का चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टैक्नोलॉजी प्रोमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) लोगों को रेस्को मॉडल के लिए आवेदन करने के लिए और समय देने पर विचार कर रहा है। विभाग आवेदन की अंतिम तिथि को दो सप्ताह के लिए बढ़ा सकता है। पहले लोगों से 31...

चंडीगढ़,(राजिंद्र शर्मा): यू.टी. प्रशासन का चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टैक्नोलॉजी प्रोमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) लोगों को रेस्को मॉडल के लिए आवेदन करने के लिए और समय देने पर विचार कर रहा है। विभाग आवेदन की अंतिम तिथि को दो सप्ताह के लिए बढ़ा सकता है। पहले लोगों से 31 मार्च तक आवेदन मांगे गए थे। रेस्को मॉडल के तहत शहर में लोग बिना खर्च घरों की छत पर सोलर पॉवर प्लांट्स लगा सकेंगे, क्योंकि जे.ई.आर.सी. की मंजूरी के बाद क्रेस्ट ने इसे लागू करने का फैसला लिया है।

 

 

 

इस संबंध में प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि रेस्को मॉडल के लिए अंतिम तिथि को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, ताकि अधिकतर लोगों को लाभ मिल सके। बताया गया कि जिन लोगों ने पहले से आवेदन किया हुआ है, उन्हें दोबारा आवेदन करने की जरूरत नहीं है। यू.टी. प्रशासन ने 500 गज और उससे अधिक के आवासीय घरों में रूफटॉप पावर प्लांट लगाना अनिवार्य कर दिया था, लेकिन नए मॉडल के तहत 5 के.डब्ल्यू.पी. सोलर प्लांट लगाने के लिए मकान मालिक को करीब 500 स्क्वेयर फीट जगह मुहैया करानी होगी।

 

 

 

 

क्रेस्ट, बिजली विभाग, कंपनी और उपभोक्ता के बीच समझौता होने के बाद ही सोलर प्लांट लगाया जाएगा। दरअसल, विभाग ने जे.ई.आर.सी. के कहने पर रेस्को मॉडल को लेकर एक सर्वे किया गया था, जिसमें करीब 550 लोगों ने सौर ऊर्जा प्लांट लगवाने की इच्छा जताई है। इस मॉडल के तहत बिना खर्च लोगों के घर की छत पर कंपनी की तरफ से सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इससे घर में रहने वाले उस बिजली को इस्तेमाल भी कर सकेंगे और उसे बेच कर कमाई भी कर सकेंगे। यह प्रोजैक्ट उन लोगों के लिए है, जो सोलर प्रोजैक्ट तो लगवाना चाहते हैं, लेकिन निवेश नहीं करना चाहते।

 

 

ये है रेस्को मॉडल :
रेस्को मॉडल के तहत सोलर पैनल लगाने का सारा खर्च निजी कंपनी उठाएगी। 15 साल तक पैनल की देखरेख का जिम्मा भी कंपनी का होगा। वहीं, भवन मालिक को मंजूरी देनी होगी। सरकार कंपनी को सब्सिडी देगी और भवन मालिक को बिजली विभाग से भी कम दर यानि करीब 3.23 रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलेगी। इसके अलावा अतिरिक्त बिजली विभाग को सौंपी जा सकेगी। जे.ई.आर.सी. के तहत कंपनी भवन मालिक को पैसे देगा और 15 साल के बाद सोलर प्लांट भवन मालिक का हो जाएगा। इसके अलावा प्रशासन ने 500 वर्ग गज या इससे अधिक एरिया के घरों और बिल्डिंग पर सोलर प्रोजेक्ट लगाना अनिवार्य किया था जिसके बाद ही इन घरों पर सोलर प्लांट लगाने का काम किया गया है।

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