Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jul, 2025 05:40 PM

चीन सरकार ने देश की घटती जनसंख्या और कमजोर होती वर्कफोर्स को संभालने के लिए एक नया और बड़ा कदम उठाया है। अब 1 जनवरी 2025 के बाद पैदा होने वाले हर बच्चे के माता-पिता को सरकार तीन साल में कुल 1.2 लाख रुपए (लगभग 10,000 युआन) की आर्थिक मदद देगी। यह राशि...
बिजनेस डेस्कः चीन सरकार ने देश की घटती जनसंख्या और कमजोर होती वर्कफोर्स को संभालने के लिए एक नया और बड़ा कदम उठाया है। अब 1 जनवरी 2025 के बाद पैदा होने वाले हर बच्चे के माता-पिता को सरकार तीन साल में कुल 1.2 लाख रुपए (लगभग 10,000 युआन) की आर्थिक मदद देगी। यह राशि तीन साल तक किस्तों में दी जाएगी यानी हर साल करीब ₹42,000।
क्यों लिया गया यह फैसला?
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में लगातार तीसरे साल जनसंख्या घटी है। 2024 में सिर्फ 95.4 लाख बच्चे जन्मे, जो कि 2016 में वन-चाइल्ड पॉलिसी हटने के बाद की संख्या से लगभग आधे हैं। शादी की दर भी बीते 50 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, जिससे जन्म दर और गिरने का खतरा बढ़ गया है।
पहले भी लिए गए थे ऐसे कदम
वन-चाइल्ड पॉलिसी को 2016 में खत्म करने के बावजूद चीन की जनता अधिक बच्चे पैदा करने को लेकर इच्छुक नहीं दिखी। कई प्रांतों में पहले से ही स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं।
जैसे: इनर मंगोलिया के होहोट शहर में दूसरे बच्चे के लिए ₹6 लाख और तीसरे बच्चे के लिए ₹12 लाख की सहायता दी जा रही है।
विशेषज्ञों की राय: सिर्फ पैसा काफी नहीं
जनसांख्यिकी विशेषज्ञ हुआंग वेंझेंग के अनुसार, केवल आर्थिक प्रोत्साहन से ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा। उन्होंने पाया कि एक शहर ने अपनी अर्थव्यवस्था का 0.87% हिस्सा जन्म प्रोत्साहन पर खर्च किया, लेकिन प्रजनन दर में केवल 0.1% का इजाफा हुआ।
हुआंग ने चीन की घटती जनसंख्या की तुलना एक "खाली ट्रेन" से की, “अगर आधे यात्री उतर जाएं, तो भले ही थोड़े लोग आराम से बैठ जाएं लेकिन अगर ट्रेन में यात्री ही नहीं रहेंगे, तो ट्रेन चलना बंद हो जाएगी।”
उनका अनुमान है कि प्रजनन दर को 2.1 प्रति महिला तक लाने के लिए सरकार को 30 से 50 गुना ज्यादा खर्च करना होगा।
आर्थिक मदद काफी नहीं
चीन की सरकार भी समझ रही है कि सिर्फ आर्थिक मदद काफी नहीं है। इसलिए, झेजियांग प्रांत में शादी और बच्चों की देखभाल के लिए वाउचर देने की योजना बन रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग भी परिवारों के लिए एक व्यापक योजना तैयार कर रहा है। साथ ही सरकार लंबे काम के घंटों पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है। डीजेआई जैसी बड़ी कंपनियों ने ओवरटाइम कम करने का वादा किया है। 1,44,000 माता-पिता के एक सर्वे में पाया गया कि केवल 15% लोग ही ज्यादा बच्चे चाहते थे लेकिन 1,000 युआन की सब्सिडी की जानकारी मिलने पर यह आंकड़ा 8.5% बढ़ गया।