Ahoi Ashtami: बहुत विशेष है इस बार ‘अहोई अष्टमी व्रत’, हर मां उठाए लाभ

Edited By Updated: 28 Oct, 2021 08:07 AM

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संतान की मंगल कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत इस बार 28 तारीख को गुरुवार के दिन विशेष संयोगों- स्वार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गज केसरी योग में पड़ रहा है, जिसे

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Ahoi Ashtami 2021: संतान की मंगल कामना के लिए अहोई अष्टमी का व्रत इस बार 28 तारीख को गुरुवार के दिन विशेष संयोगों- स्वार्थ सिद्धि, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि तथा गज केसरी योग में पड़ रहा है, जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद खास और लाभकारी माना जा रहा है। इस दिन व्रत के अतिरिक्त सोना, चांदी, मकान, घरेलू सामान, विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, कंप्यूटर अथवा दीर्घ काल में उपयोग की जाने वाली वस्तुएं खरीदने का भी अक्षय तृतीया या धन त्रयोदशी जैसा ही शुभ दिन होगा। यह व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद और दीपावली से 8 दिन पहले होता है। कार्तिक मास की आठवीं तिथि को पड़ने के कारण इसे ‘अहोई आठे’ भी कहा जाता है। इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत संतान के खुशहाल और दीर्घायु जीवन के लिए रखा जाता है। इससे संतान की संकटों और कष्टों से रक्षा होती है।

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Ahoi ashtami vrat vidhi: अहोई व्रत विधि
व्रत के दिन प्रात: उठ कर स्नान किया जाता है और पूजा के समय ही संकल्प लिया जाता है कि ‘‘हे अहोई माता, मैं अपने पुत्र की लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु अहोई व्रत कर रही हूं। अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें।’’

अनहोनी से बचाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए इस व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती है। अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाया जाता है और साथ ही स्याहु और उनके 7 पुत्रों का चित्र भी निर्मित किया जाता है। माता जी के सामने चावल की कटोरी, मूली, सिंघाड़े रखते हैं और सुबह दीया रखकर कहानी कही जाती है। कहानी कहते समय जो चावल हाथ में लिए जाते हैं, उन्हें साड़ी/ सूट के दुपट्टे में बांध लेते हैं।

सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं। ध्यान रखें कि यह करवा, करवा चौथ में इस्तेमाल हुआ होना चाहिए। इस करवे का पानी दीवाली के दिन पूरे घर में भी छिड़का जाता है। संध्या काल में इन चित्रों की पूजा की जाती है। पके खाने में 14 पूरी और 8 पूयों का भोग अहोई माता को लगाया जाता है।

अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं। उस दिन बयाना निकाला जाता है। बयाना में चौदह पूरी या मठरी या काजू होते हैं। लोटे का पानी शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य किया जाता है।

इस व्रत में बयना सास, ननद या जेठानी को दिया जाता है। व्रत पूरा होने पर व्रती महिलाएं अपनी सास और परिवार के बड़े सदस्यों का पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं। इसके बाद वे अन्न-जल ग्रहण करती हैं। अहोई अष्टमी पर महिलाएं चांदी के मोती की माला भी बनाती हैं। इसमें अहोई माता का लॉकेट लगाया जाता है। हर साल इस माला में दो मोती और जोड़ दिए जाते हैं, इसको स्याउ कहा जाता है।
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Ahoi ashtami vrat Rules: व्रत नियम
इस व्रत में किसी भी तरह से धारदार चीजों का उपयोग करना मना होता है जैसे व्रत रखने वाली महिला चाकू से सब्जी आदि भी नहीं काट सकती हैं।

अहोई के दिन बनाई गई चांदी के मोती की माला को महिलाएं दीपावली तक अपने गले में पहनती हैं।

दीपावली का पूजन करने के बाद अगले दिन इस माला को उतार कर संभाल कर रख देना चाहिए।

ध्यान रखें कि इस दिन व्रत पारण करते समय या दिन में कोई सफेद चीज जैसे चावल, दूध, दही आदि का सेवन करना वर्जित माना जाता है।

पूजन करने के बाद व्रती महिला को किसी बुजुर्ग महिला को वस्त्र आदि भेंट करके आशीर्वाद लेना चाहिए।

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