तिलक लगाने का है खास रहस्य लेकिन कम ही लोग जानते हैं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Aug, 2019 09:53 AM

benefits of tilak

तिलक भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। प्राचीन काल से ही लोग अपनी परंपराओं के अनुसार अपने ललाट पर तिलक धारण करते आ रहे हैं। आदि काल से ही राजगुरु समय और कार्य के अनुसार राजा का राजतिलक करते थे।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

तिलक भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। प्राचीन काल से ही लोग अपनी परंपराओं के अनुसार अपने ललाट पर तिलक धारण करते आ रहे हैं। आदि काल से ही राजगुरु समय और कार्य के अनुसार राजा का राजतिलक करते थे। युद्ध के समय प्रस्थान करते समय पत्नियां पतियों के ललाट पर तिलक लगाती थीं। किसी भी मंदिर में जाने पर पुजारी दर्शनार्थियों के ललाट पर तिलक लगाते हैं।  किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के समापन पर पुरोहित सभी उपस्थित लोगों को तिलक लगाते हैं। श्राद्ध कर्म करते समय भी तिलक लगाया जाता है। रक्षाबंधन, नागपंचमी और भैयादूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों के मस्तक के अग्रभाग पर तिलक लगाकर उनके लिए मंगलकामना करती हैं। सिंदूर, कुमकुम आदि की बिंदी सौभाग्यवती होने का चिन्ह है। सकुशल यात्रा की कामना के लिए, प्रतियोगी परीक्षा में सफलता के लिए, स्वागत-सत्कार करने के लिए भी प्राचीन काल से तिलक लगाने की शानदार परंपरा रही है। वैदिक संस्कृति के अंतर्गत तिलक को पवित्र तथा शुभ चिन्ह कहा जाता है।

PunjabKesari, Benefits Of Tilak
स्नानं दानं तपो होमो देवतापितृ कृम्र्म च।
तत्सर्व निषफलं याति ललाटे तिलकं बिना।
ब्राह्मण स्तिल्कं कृत्वा कुय्र्यासंध्याच्च तर्पणम्।।

अर्थात : तिलक के बिना स्नान, हवन, जप, तप व देवकार्य आदि सभी कार्य फल विहीन हो जाते हैं। ब्राह्मण को चाहिए कि तिलक धारण करने के पश्चात ही तर्पण आदि कार्य करें।

तिलक लगाने के लिए प्राचीन काल से ही नाना प्रकार की सामग्री प्रयोग की जा रही है। सिंदूर, मधु, हवन कुंड की भस्म, गोबर, गाय के चरणों की धूल या मिट्टी, घी, दही, गोरोचन, कस्तूरी, जल तथा मिट्टी सभी पवित्र नदियों, सरोवरों तथा तीर्थ स्थलों का जल तथा मिट्टी, गोपीचंदन, यज्ञकाष्ठ, बिल्व, पीपल तथा तुलसी के पौधे की जड़ के पास की मिट्टी महानिम्ब तुलसी की काष्ठ, अंजीर, गंधकाष्ठ, सफेद चंदन, लाल चंदन, आंवला, कुमकुम, कामिया सिंदूर, हल्दी, काली हल्दी तथा अष्टगंध आदि। पूजा-अर्चना आदि कार्यों में उपरोक्त सामग्री से तिलक लगाया जाता है।

भगवान शिव के भक्त शैवों तथा देवियों के आराधक शाक्तों के लिए भस्म ही तिलक की मुख्य सामग्री है। देवियों को कुमकुम तथा लाल चंदन से तथा पितरों को सफेद चंदन से तिलक लगाया जाता है। सूर्य, हनुमान तथा शक्ति की प्रतीक देवियों, काली, तारा व दुर्गा को लाल चंदन से तिलक लगाया जाता है।
PunjabKesari, Benefits Of Tilak
देवी-देवताओं को अनामिका उंगली द्वारा, स्वयं को मध्यमा उंगली द्वारा, पितृगणों को तर्जनी उंगली द्वारा तथा ब्राह्मण आदि को अंगूठे द्वारा तिलक लगाया जाता है। यह विधि प्राय: प्रयोग में लाई जाती है।

शरीर पर शुभ चिन्हों को बनाने के लिए कुछ लोग बहुधा लकड़ी तथा धातु से निर्मित छापे का प्रयोग करते हैं। कभी-कभी लोग स्थायी चिह्न अंकित कर लेते हैं। ये शास्त्र विरुद्ध हैं।

तिलक सदैव बैठकर ही लगाना चाहिए। ललाट के दाहिने भाग में श्री ब्रह्मा, वामपाश्र्व में शिवजी तथा मध्य भाग में श्रीकृष्ण वास करते हैं, इसलिए मध्य का अंश खाली रखना चाहिए जिससे ललाट पर श्री विष्णु जी का वास बना रहे। आराध्य पर चढ़ाने से बचे हुए चंदन से ही तिलक लगाना चाहिए।
  PunjabKesari, benefits-of-tilak

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!