भगवान श्री कृष्ण के कल्याणकारी वचनों का खजाना भगवद् गीता

Edited By Jyoti,Updated: 03 Dec, 2019 09:24 AM

bhagavad gita gyan by lord shri krishna

श्रीमद् भागवद गीता का अर्थ करते हुए आद्य शंकराचार्य कहते हैं, ‘‘श्रीमंता भगवता षडैश्वर्य सम्पन्नेन श्री कृष्णेन गीता कथिता इति श्रीमद् भागवद् गीता।’’

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
श्रीमद् भागवद गीता का अर्थ करते हुए आद्य शंकराचार्य कहते हैं, ‘‘श्रीमंता भगवता षडैश्वर्य सम्पन्नेन श्री कृष्णेन गीता कथिता इति श्रीमद् भागवद् गीता।’’

अर्थात: ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य तथा तेज इत्यादि गुणों से सम्पन्न एवं सुशोभित भगवान श्री कृष्ण, जो अपनी त्रिगुणात्मिका माया शक्ति को अपने अधीन करके एवं शरीर धारण करके अपनी दिव्य लीला द्वारा समस्त प्राणीमात्र पर अनुग्रह करने के लिए गीता का गायन करते हैं जिसे हम श्रीमद् भगवद् गीता के नाम से जानते हैं।
PunjabKesari, Dharam, Bhagavad Gita, Lord Shri Krishna, Bhagavad Gita Gyan, Srimad Bhagavad Gita, Geeta Shaloka, गीता श्लोक
महाभारत ग्रंथ में भगवान श्री कृष्ण जी के कल्याणप्रद वचनों का संग्रह है भगवद् गीता। महर्षि वेद व्यास जी ने इसे उपनिषद की संज्ञा दी है। उपनिषद को हम वेदांत भी कहते हैं अर्थात वेदों का उपसंहार। इसलिए श्री गीता जी के हर अध्याय के अंत में ‘इति श्रीमद् भगवद् गीता सूपनिषत्सु’ लिखा गया है। भगवद् गीता में समस्त वेदों तथा उपनिषदों का ज्ञान समाहित है। वेदों का प्राकट्य ब्रह्मा जी के मुख से हुआ है तथा ब्रह्मा जी का प्राकट्य भगवान विष्णु जी की नाभिकमल से हुआ परंतु भगवद् गीता का प्राकट्य तो साक्षात भगवान नारायण के मुखारविंद से हुआ।

‘गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यै: शास्त्र विस्तरै:।
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्मा द्विनि: सृता।।’

गीता को अनुभव में लाना हमारा कर्तव्य है क्योंकि यह भगवान विष्णु जी के मुखकमल से निकली है, इसलिए अन्य शास्त्रों के विस्तार से क्या लाभ? भगवान श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं :

गीता में हृदयं पार्य गीता में सारमुत्तमम्।
गीता में ज्ञानमत्युग्रं गीता में ज्ञानमव्ययम्।।
गीता में चोत्तमं स्थानं गीता में पमरम पदम्।
गीता में परमं गुह्यं गीता में परमो गुरु:।।
गीताश्रेयऽहं तिष्ठामि गीता में परमं गृहम्।
गीताज्ञानं समाश्रित्य त्रिलोकीं पालयाग्यहम्।।
गीता में पमर विद्या ब्रह्मरूपा न संशय:।
अर्धमात्रा परा नित्यमनिर्वाच्यपदात्मिका।।

PunjabKesari, Dharam, Bhagavad Gita, Lord Shri Krishna, Bhagavad Gita Gyan, Srimad Bhagavad Gita, Geeta Shaloka, गीता श्लोक
गीता मेरा हृदय है गीता मेरा उत्तम तत्व है, गीता मेरा अत्यंत तेजस्वी और अविनाशी ज्ञान है, गीता मेरा उत्तम स्थान है, गीता मेरा परम पद है, गीता मेरा परम गोपनीय रहस्य है, गीता मेरे अनन्य भक्तों के लिए अत्युत्तम गुरु है। मैं गीता के ही आश्रय में रहता हूं, गीता मेरा उत्तम गृह है, गीता ज्ञान का आश्रय लेकर ही मैं तीनों लोकों का पालन करता हूं, इसमें कोई भी संदेह नहीं कि मेरी यह गीता परा विद्या एवं ब्रह्मस्वरूपिणी है। भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता जी के इस रहस्य को अर्जुन के प्रति वैष्णवीय तंत्रसार में प्रकट किया।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!