Bhishma Pitamah Niti: जीवन में अपनाएं भीष्म पितामह के ये विचार, बनें हर मुश्किल के विजेता

Edited By Updated: 22 Jul, 2025 09:08 AM

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Bhishma Pitamah: भीष्म पितामह, महाभारत के महान योद्धा और धर्मराज, न केवल अपने शौर्य और वीरता के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि उनके जीवन के अनुभव और उपदेश आज भी हमें मार्गदर्शन देते हैं। उनके द्वारा कही गई बातें और जीवन के सिद्धांत, किसी भी व्यक्ति के जीवन...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Bhishma Pitamah: भीष्म पितामह, महाभारत के महान योद्धा और धर्मराज, न केवल अपने शौर्य और वीरता के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि उनके जीवन के अनुभव और उपदेश आज भी हमें मार्गदर्शन देते हैं। उनके द्वारा कही गई बातें और जीवन के सिद्धांत, किसी भी व्यक्ति के जीवन की जटिलताओं और समस्याओं का समाधान खोजने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। आइए जानते हैं भीष्म पितामह के कुछ महत्वपूर्ण विचार और उनका हमारे जीवन में क्या महत्व है।

धर्म का पालन करें, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों
भीष्म पितामह का जीवन धर्म का पालन करने की महान कहानी है। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों के बावजूद धर्म का पालन नहीं छोड़ा। चाहे उन्होंने अपना संपूर्ण राज्य अपने छोटे भाई को दे दिया हो, या अपने वचन से कभी पीछे नहीं हटे, उनका यही दृढ़ निश्चय था कि धर्म की हमेशा जीत होती है। हमें भी जीवन में धर्म और नैतिकता को प्राथमिकता देनी चाहिए। जब हम अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते हैं, तो जीवन की जटिलताएं खुद-ब-खुद सरल हो जाती हैं।

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संकटों में धैर्य और संयम बनाए रखें
भीष्म पितामह ने अपने जीवन में अनेक संकट देखे, विशेषकर महाभारत के युद्ध के दौरान। लेकिन उन्होंने कभी भी घबराए नहीं और हमेशा संयम तथा धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना किया। जीवन में भी जब हम कठिनाइयों से गुजरते हैं, तब धैर्य और संयम ही हमें आगे बढ़ने की ताकत देते हैं। जल्दीबाजी या उत्तेजना से समस्या बढ़ सकती है, इसलिए मानसिक स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।

वचन और प्रतिज्ञा का सम्मान करें
भीष्म पितामह ने अपने जीवन में जो भी वचन दिया, उसे पूरा किया, चाहे उसकी कीमत कितनी भी बड़ी क्यों न हो। उनका यह गुण हमें सिखाता है कि अपने शब्दों और वादों का सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है। इससे न केवल हमारे संबंध मजबूत होते हैं, बल्कि हमारा आत्मसम्मान भी बढ़ता है। यदि हम अपने वादों के प्रति जिम्मेदार होंगे, तो जीवन में विश्वास और सम्मान स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा।

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परिवार और कर्तव्य के बीच संतुलन बनाए रखें
भीष्म पितामह ने परिवार के लिए अनेक बलिदान दिए, लेकिन साथ ही उन्होंने अपने कर्तव्यों से भी कभी समझौता नहीं किया। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि परिवार और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। जीवन में हम सभी को अपने परिवार का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन अपने कर्तव्यों और लक्ष्यों को भी कभी न भूलना चाहिए।

शिक्षा और ज्ञान का महत्व समझें
भीष्म पितामह ने अपने जीवन में शिक्षा को बहुत महत्व दिया। उन्होंने अपनी ज्ञान-परंपरा को आगे बढ़ाया और अपने शिष्यों को जीवन के सही मार्ग दिखाए। ज्ञान ही वह प्रकाश है जो अंधकार को मिटा सकता है। इसलिए हमें भी जीवन भर सीखते रहना चाहिए और अपने ज्ञान को बढ़ाते रहना चाहिए। यही हमें समस्याओं से निपटने की क्षमता देता है।

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