Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Oct, 2025 07:00 AM

Bhojeshwar Mahadev Temple: भारत में भगवान शिव के हज़ारों मंदिर हैं लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर गांव में स्थित भोजेश्वर मंदिर अपनी एक अद्भुत परंपरा के कारण विशेष पहचान रखता है। इसे 'पूर्व का सोमनाथ मंदिर' भी कहा...
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Bhojeshwar Mahadev Temple: भारत में भगवान शिव के हज़ारों मंदिर हैं लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर गांव में स्थित भोजेश्वर मंदिर अपनी एक अद्भुत परंपरा के कारण विशेष पहचान रखता है। इसे 'पूर्व का सोमनाथ मंदिर' भी कहा जाता है।
दुनिया का सबसे विशाल शिवलिंग और अनोखी परंपरा
यह मंदिर अपनी विशालता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7.5 फीट है और यह 18 फीट चौड़ा है। इस शिवलिंग का आकार इतना बड़ा है कि यहाँ पूजा-अर्चना का तरीका भी बेहद खास है। आम मंदिरों के विपरीत, इस मंदिर में पुजारी और भक्तगण सीढ़ी लगाकर जलहरी पर चढ़ते हैं और फिर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। यह अपने आप में एक अनोखी और सदियों पुरानी परंपरा है।
राजा भोज का संकल्प और निर्माण
माना जाता है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में महान परमार राजा भोज ने करवाया था। राजा भोज कला और स्थापत्य के महान संरक्षक थे। एक किंवदंती के अनुसार, जब राजा भोज एक गंभीर बीमारी से ठीक हुए, तो उन्होंने भगवान शिव का आभार व्यक्त करने के लिए दुनिया के सबसे विशाल शिवलिंग की स्थापना का संकल्प लिया। यह मंदिर आज भी उनकी अटूट श्रद्धा और उत्कृष्ट वास्तुकला प्रेम का प्रतीक है।

अधूरा रह गया भव्य निर्माण का रहस्य
भोजेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसका अधूरापन है, जो इसे एक रहस्यमयी भव्यता प्रदान करता है। स्थानीय कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण कार्य केवल एक रात में पूरा किया जाना था। लेकिन किसी कारणवश सूर्योदय होने से पहले ही निर्माण रुक गया और तभी से यह मंदिर अधूरा खड़ा है। इसका अधूरापन भी इसकी विशाल संरचना को देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
