Bundi Tourism: किसी जिन्न के द्वारा किया गया है सागर, कुंड और बावड़ियों के शहर का निर्माण !

Edited By Updated: 21 Sep, 2025 02:00 PM

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Bundi Town in Rajasthan: जैसे ही सुख, चैन और सुकून मिला तो नोबेल पुरस्कार विजेता रूडयार्ड किपलिंग ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘किम’ का कुछ अंश, बूंदी में निवास करते समय लिखा। उन्होंने लिखा है - ‘‘जयपुर पैलेस, पैरिस के महल से कम नहीं है..., जोधपुर हाऊस...

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Bundi Town in Rajasthan: जैसे ही सुख, चैन और सुकून मिला तो नोबेल पुरस्कार विजेता रूडयार्ड किपलिंग ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘किम’ का कुछ अंश, बूंदी में निवास करते समय लिखा। उन्होंने लिखा है - ‘‘जयपुर पैलेस, पैरिस के महल से कम नहीं है..., जोधपुर हाऊस में तालमेल की कमी..., लाल चट्टानों पर भूरे रंग के ऊंचे बुर्ज, लगता है किसी जिन्न का काम है, परंतु बूंदी पैलेस, दिन के उजाले में भी, ऐसा लगता है कि मनुष्य ने अपने अधूरे सपने सजाए हैं। इसका निर्माण मानव निर्मित नहीं किसी जिन्न के द्वारा किया गया है। परीकथा और सिंड्रेला के जमाने जैसा महल और किले से बूंदी का आकर्षण सदियों बाद भी कम नहीं हुआ है।’’

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कोटा से महज 36 कि.मी. की दूरी पर, नवल सागर में प्रतिबिंबित दिखने वाला बूंदी का किला और महल - ऐसा दृश्य जो सिर्फ सपनों में नजर आता है। ऐसा रमणीय नगर, अपनी समृद्ध ऐतिहासिक संपदा से भरपूर है। हरे-भरे बड़े-बड़े आम व अमरूद के पेड़ तरह-तरह के फल-फूलों के बाग-बगीचे, गर्मी से राहत पाने के लिए काफी हैं। लहलहाते चावल व गेहूं के खेत बूंदी को समृद्ध बनाते हैं। बूंदी कभी हाड़ा चौहानों द्वारा शासित हाड़ौती साम्राज्य की राजधानी था। 1631 ई. में कोटा अलग हुआ और स्वतंत्र रियासत बन गया।

आज भी बूंदी का भव्य किला, महल, नक्काशीयुक्त जालीदार झरोखे, स्तम्भ, गर्मी में घरों को ठण्डा रखते हैं। जोधपुर से मिलते-जुलते हल्के नीले रंग के मकान बूंदी शहर को अन्य शहरों से अलग होने का आभास दिलाते हैं।

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प्रमुख आकर्षण
सुख महल :
बून्दी के पूर्व शासकों के गर्मी के मौसम के दौरान प्रवास के लिए बनाया गया था। यह महल दो मंजिला है। इसी महल में लेखक रूडयार्ड किपलिंग ने अपना उपन्यास ‘किम’ लिखा था और उसके कुछ अंश का फिल्मांकन भी यहीं हुआ था।

केसरबाग : शिकार बुर्ज, जैत सागर रोड पर स्थित यह स्थान शाही परिवार की स्मारक छतरियों के लिए, ‘क्षार बाग’ नाम से भी जाना जाता है। यह छत्र विलास गार्डन के पास स्थित है।

रानी जी की बावड़ी : पर्यटकों के द्वारा ‘क्वीन ऑफ स्टैपवैल’ के नाम से जानी जाने वाली रानी जी की बावड़ी का निर्माण सन् 1699 में बूंदी के शासक राव राजा अनिरुद्ध सिंह जी की छोटी रानी नाथावती जी के द्वारा करवाया गया। इस बावड़ी का मुख्य द्वार आमन्त्रण देता प्रतीत होता है। बहुमंजिला बावड़ी के तोरणद्वार पर हाथी की उत्कृष्ट नक्काशीदार प्रतिमा स्थापित है, जिसमें उनकी सूंड को अंदर की ओर मोड़ा गया है, जिससे ऐसा आभास होता है मानो हाथी बावड़ी से पानी पी रहा है।

धाभाई कुंड : विपरीत पिरामिड आकार में बने हुए धाभाई कुंड को जेल कुण्ड भी कहा जाता है। कुंड के अंदर बनी हुई कलात्मक, उत्कीर्णनयुक्त सीढ़ियां इसका मुख्य आकर्षण हैं।

नागर-सागर कुंड : चौगान गेट के बाहर दो बावड़ियां आमने-सामने बनी हुई हैं। कहा जाता है कि यह अकाल के समय में शहर की जनता के लिए पानी की व्यवस्था हेतु बनवाई गई थीं।

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तारागढ़ फोर्ट : राजपूत शैली में 1354 ई. में निर्मित यह किला बूंदी की सबसे प्रभावशाली संरचना है। यह जिला और महल ऊंची पहाड़ी पर बने हैं। इसकी सुंदरता का अनुमान इसके अंदर बने देवालय, स्तंभ, शीर्ष मंडपों वाली छतरियां और हाथी व कमल के रूप में सजी वक्राकार छत से लगाया जा सकता है।

चौरासी खम्भों की छतरी : बूंदी के महाराजा अनिरुद्ध सिंह द्वारा अपनी एक प्रिय सेवादार की स्मृति में बनवाई गई छतरी, चौरासी खम्भों पर टिकी है। यह एक मनमोहक तथा सुन्दर संरचना है। इसकी कलात्मक नक्काशी में हिरण, हाथी तथा अप्सराओं का चित्रांकन होने के कारण पर्यटक बहुत प्रशंसा करते हैं।

जैत सागर झील : यह रमणीक झील, पहाड़ियो से घिरी हुई है। तारागड़ जिले के नजदीक यह झील, सर्दियों और मानसून के मौसम में, कमल के ढेरों फूलों से भरी रहती है।

नवल सागर झील : तारागड़ किले से इस झील का विहंगम दृश्य नजर आता है। यह एक कृत्रिम झील है तथा पास में बने महलों और किले का प्रतिबिम्ब इस झील में लहराता दिखाई देता है, जो कि अद्वितीय है। इसके बीच में भगवान वरुण देव को समर्पित एक मंदिर है, जोकि आधा जल मग्न दिखाई पड़ता है।

कनक सागर झील, दुगारी : यह एक बेहद शांत झील है जो कि बूंदी से लगभग 48 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। झील के साथ-साथ पास में ही एक बगीचा भी है, जिसमें कई प्रकार के प्रवासी पक्षी तथा हंस और सारस भी विचरण करते हैं।

रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व, बूंदी : बूंदी-नैनवा रोड पर 45 कि.मी. की दूरी पर यह अभ्यारण्य 242 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है। यह कई तरह की वनस्पतियों तथा जीवों का घर है तथा सितम्बर से मई के बीच का समय पर्यटकों के घूमने के लिए सर्वोत्तम है। सन् 1982 में इस अभ्यारण्य को रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के बराबर का दर्जा प्राप्त हुआ।

फूल सागर : शाही परिवार के सदस्यों की व्यक्तिगत सम्पत्ति होने के कारण, इसे देखने के लिए विशेष अनुमति प्राप्त करनी होती है। ‘फूल  सागर’ एक कृत्रिम झील है और इसके चारों तरफ हरे-भरे बगीचे इसे और ज्यादा खूबसूरत बनाते हैं। इस महल में बनाए गए चित्रों के विषय में कहा जाता है कि इटली के बंधकों द्वारा बनाए गए चित्रों का संग्रह इस महल में है।

हाथी पोल, बूंदी : गढ़ पैलेस, बूंदी तक जाने के लिए सीधी खड़ी चढ़ाई चढ़ते हुए जब ऊपर की तरफ चलते हैं तो हम दो मुख्य द्वारों पर पहुंचते हैं, जोकि गढ़ पैलेस के प्रवेश द्वार हैं। इन दोनों द्वारों में ‘हाथी पोल’ सर्वाधिक प्रसिद्ध है। भव्य और विशाल (हाथी पोल) वास्तुकला तथा स्थापत्य कला का नायाब नमूना है, जिसे देख कर वैभव और ऐश्वर्य के भाव से मन अभिभूत हो जाता है।

छत्रमहल : यह किसी जमाने में बहुत शानदार बगीचों से भरपूर महल था, जिसमें विभिन्न कलात्मक फवारें लगे हुए थे तथा बहुत से छोटे कुंड थे, जिनमें विविध प्रजातियों की तथा अनोखी व विदेशी मछलियां हुआ करती थीं। ‘छत्तर’ का मतलब है-पेंटिंग। इस महल का नाम इसीलिए ‘छत्तर महल’ रखा गया है क्योंकि इसकी सभी दीवारों और छतों को बेहद सुन्दर व आकर्षित पेंटिंग्स से सजाया गया है।

शिकार बुर्ज : बूंदी शहर के पास स्थित शिकारबुर्ज पर्यटकों के लिए एक जाना पहचाना पर्यटन स्थल है। वास्तविक रूप से शिकार बुर्ज एक शिकारगाह (शिकार के समय रूकने का स्थल) रहा था तथा बूंदी के शासकों द्वारा इसका निर्माण करवाया गया तथा यह उनके ही स्वामित्व में था। यह स्थल सुखमहल से कुछ ही दूरी पर स्थित है।

बूंदी में सूर्य के विचित्र रंगों में नहाए जंगलों के बीच में बसा हुआ शिकार बुर्ज वह जगह है जहां 18वीं शताब्दी में बूंदी के शासक उम्मेद सिंह अपना राजपाट (सिंहासन) त्याग कर इस जगह के पास आश्रम में आए थे।

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गढ़ पैलेस : बूंदी में गढ़ पैलेस भारत के सबसे बड़े महलों में गिना जाता है। इसके अंदर कई महलों का एक संग्रह है जो विभिन्न शासकों द्वारा तीन शताब्दियों की अवधि में बनाए गए थे। गढ़ पैलेस अपनी राजपूत वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो झरोखों और स्तंभों में आसानी से देखा जा सकता है, जिनमें से कई में हाथी की नक्काशी है।

बादल महल
बादल महल, जिसे बादलों का महल भी कहा जाता है, गढ़ पैलेस के भीतर स्थित है। राजसी महल की दीवारें उत्कृष्ट चित्रों से आच्छादित हैं। चित्र चीनी संस्कृति के प्रारंभिक प्रभाव को दर्शाते हैं।

शाही निवास दो अलग-अलग समय अवधि में बनाया गया था। पहले चरण में बरामदा और भूतल का निर्माण महारावल गोपीनाथ ने किया था और शेष निर्माण 1609 - 1657 ईस्वी में मरावल पुंजराज द्वारा किया गया था। दावरा पत्थर से बने महल के तीनों मेहराबों में एक आधा तैयार कमल है, जिसमें महल की सबसे लंबी तिजोरी में तीन आधे तैयार कमल हैं।

भीमलत झरना : पुराने शिव मंदिर और 140 फुट ऊंचे जलप्रपात के साथ सुंदर परिदृश्य वाला एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है।

कैसे पहुंचें: निकटतम हवाई अड्डा जयपुर का सांगानेर अड्डा है, जो लगभग 206 कि.मी. दूर है। आसपास के लगभग सभी शहरों व गांवों के लिए बस सुविधा उपलब्ध है। पुराने शहर से लगभग 4 कि.मी. दूर है रेलवे स्टेशन। बूंदी और चित्तौड़ के बीच रेल संपर्क है।

(स्रोत : पर्यटन विभाग राजस्थान)

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