Chaitra Navratri Day 7: जीवन को मंगलमय बनाने के लिए आज करें मां कालरात्रि की पूजा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Apr, 2024 08:57 AM

chaitra navratri day

दुर्गा जी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया और असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था।

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Chaitra Navratri 2024 Day 7: दुर्गा जी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया और असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था। इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं। मान्यता है कि माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों (काला जादू) की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं। मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं।

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PunjabKesari Maa Kalaratri
Durga Maa became Kalaratri to kill the demons असुरों का वध करने के लिए दुर्गा मां बनी कालरात्रि
देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है। इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विधुत की माला है। इनके चार हाथ हैं। जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं। इनके तीन नेत्र हैं तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है। कालरात्रि का वाहन गर्दभ (गधा) है।

The story of the origin of Maa Kalaratri मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा
कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था। इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए। शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा।  शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया। इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।

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Maa Kalaratri loves to enjoy jaggery मां कालरात्रि को गुड़ का भोग प्रिय है
सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है।

This mantra of Maa Kalaratri will fulfill the wishes शुभकामना को पूरा करेगा मां कालरात्रि का ये मंत्र- नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से करना चाहिए।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥


The importance of worshiping Maa Kalaratri मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि को महायोगिनी महायोगिश्वरी भी कहा जाता है। देवी बुरे कर्मों वाले लोगों का नाश करने और तंत्र-मंत्र से परेशान भक्तों का कल्याण करने वाली हैं। देवी की पूजा से रोग का नाश होता है और शत्रुओं पर विजय मिलती है। ग्रह बाधा और भय दूर करने वाली माता की पूजा इस दिन जरूर करनी चाहिए।

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The form of Maa Kalaratri मां कालरात्रि का स्वरूप
देवी कालरात्रि के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में माता ने खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ अर्थात गधा है।

The ritual of worship of Maa Kalaratri मां कालरात्रि की पूजा विधि
मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए श्वेत या लाल वस्त्र धारण करें। देवी कालरात्रि पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है। वहीं तंत्र साधना के लिए तांत्रिक मां की पूजा आधी रात में करते हैं इसलिए सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। पूजा करने के लिए सबसे पहले आप एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद मां को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं। माला के रूप में मां को नींबूओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें। मां कालरात्रि को लाल फूल अर्पित करें। मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें। मां की कथा सुनें और धूप व दीप से आरती उतारने के बाद उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं। अब मां से जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए माफी मांगें।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317

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