Chaturmas: करें ये काम बनेंगे जन्म जन्मांतरों तक धनी, मिलेंगे और भी ढेरों लाभ

Edited By Updated: 05 Jul, 2025 02:22 PM

chaturmas do these things will become rich and many benefits too

Chaturmas 2025: शास्त्रानुसार चातुर्मास एवं चौमासे के दिनों में देवकार्य अधिक होते हैं जबकि हिन्दुओं के विवाह आदि उत्सव नहीं किए जाते। इन दिनों में मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा दिवस तो मनाए जाते हैं परंतु नवमूर्ति प्राण प्रतिष्ठा व नवनिर्माण आदि के कार्य...

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Chaturmas 2025: शास्त्रानुसार चातुर्मास एवं चौमासे के दिनों में देवकार्य अधिक होते हैं जबकि हिन्दुओं के विवाह आदि उत्सव नहीं किए जाते। इन दिनों में मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा दिवस तो मनाए जाते हैं परंतु नवमूर्ति प्राण प्रतिष्ठा व नवनिर्माण आदि के कार्य नहीं किए जाते जबकि धार्मिक अनुष्ठान, श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ, हवन यज्ञ आदि कार्य अधिक होते हैं, गायत्री मंत्र के पुरश्चरण व सभी व्रत सावन मास में सम्पन्न किए जाते हैं। सावन के महीने में मंदिरों में कीर्तन, भजन, जागरण आदि कार्यक्रम अधिक होते हैं। प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर अपनी दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर कमल नेत्र भगवान विष्णु जी को पीत वस्त्र ओढ़ाकर धूप, दीप, नेवैद्य, फल और मौसम के फलों से विधिवत पूजन करना चाहिए तथा विशेष रूप से पान और सुपारी अर्पित करनी चाहिएं। 

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चार्तुमास के विभिन्न कर्मों का पुण्य फल 
जो मनुष्य इन चार महीनों में मंदिर में झाडू लगाते हैं तथा मंदिर को धोकर साफ करते हैं, कच्चे स्थान को गोबर से लीपते हैं, उन्हें सात जन्म तक ब्राह्मण योनि मिलती है।  
 
जो भगवान को दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से स्नान कराते हैं, वह संसार में वैभवशाली होकर स्वर्ग में जाकर इन्द्र जैसा सुख भोगते हैं। 
  
धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजन करने वाला प्राणी अक्षय सुख भोगता है।  
 
तुलसीदल अथवा तुलसी मंजरियों से भगवान का पूजन करने, स्वर्ण की तुलसी ब्राह्मण को दान करने पर परमगति मिलती है।  

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गूगल की धूप और दीप अर्पण करने वाला मनुष्य जन्म जन्मांतरों तक धनाढ्य रहता है।  
 
पीपल का पेड़ लगाने, पीपल पर प्रति दिन जल चढ़ाने, पीपल की परिक्रमा करने, उत्तम ध्वनि वाला घंटा मंदिर में चढ़ाने, ब्राह्मणों का उचित सम्मान करने, किसी भी प्रकार का दान देने, कपिला गो का दान, शहद से भरा चांदी का बर्तन और तांबे के पात्र में गुड़ भरकर दान करने, नमक, सत्तू, हल्दी, लाल वस्त्र, तिल, जूते, और छाता आदि का यथाशक्ति दान करने वाले जीव को कभी भी किसी वस्तु की कमीं जीवन में नहीं आती तथा वह सदा ही साधन संपन्न रहता है।  
 
जो व्रत की समाप्ति यानि उद्यापन करने पर अन्न, वस्त्र और शैय्या का दान करते हैं वह अक्षय सुख को प्राप्त करते हैं तथा सदा धनवान रहते हैं। 

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वर्षा ऋतु में गोपीचंदन का दान करने वालों को सभी प्रकार के भोग एवं मोक्ष मिलते हैं।  
 
जो नियम से भगवान श्री गणेश जी और सूर्य भगवान का पूजन करते हैं, वह उत्तम गति को प्राप्त करते हैं तथा जो शक्कर का दान करते हैं, उन्हें यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है।  
 
माता लक्ष्मी और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए चांदी के पात्र में हल्दी भर कर दान करनी चााहिए तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बैल का दान करना श्रेयस्कर है।  

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चातुर्मास में फलों का दान करने से नंदन वन का सुख मिलता है।  
 
जो लोग नियम से एक समय भोजन करते हैं, भूखों को भोजन खिलाते हैं, स्वयं भी नियमबद्ध होकर चावल अथवा जौं का भोजन करते हैं, भूमि पर शयन करते हैं उन्हें अक्षय कीर्ती प्राप्त होती है। 
  
इन दिनों में आंवले से युक्त जल से स्नान करना तथा मौन रहकर भोजन करना श्रेयस्कर है। 

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