Edited By Lata,Updated: 23 Apr, 2019 04:39 PM
कहते हैं बच्चों को संस्कार अपने परिवार से ही मिलते हैं। हाथ जोड़कर नमस्कार या प्रणाम करना एक प्रकार का सम्मान और संस्कार है
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कहते हैं बच्चों को संस्कार अपने परिवार से ही मिलते हैं। हाथ जोड़कर नमस्कार या प्रणाम करना एक प्रकार का सम्मान और संस्कार है और इसके साथ ही प्रणाम करना एक योगिक प्रक्रिया भी है। साथ ही बड़ों को हाथ जोड़कर नमस्कार करने का वैज्ञानिक-धार्मिक महत्व और लाभ भी बताया गया है। अपने से बड़ों को हमेशा हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए। लेकिन क्या किसी को इसके पीछे का कारण पता है कि क्यों लोग हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह-
कहते हैं कि नमस्कार करने से हमारे हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। नमस्कार करते वक्त हथेलियों को आपस में दबाने से या जोड़े रखने से हृदय चक्र या आज्ञा चक्र में सक्रियता आती है। जिससे हमारी जागृति बढ़ती है और साथ ही मन को एक अलग ही शांति का आभास होता है। इसके अलावा यह भी धारणा है कि नमस्कार मन, वचन और शरीर तीनों में से किसी एक के माध्यम से किया जाता है। वहीं धार्मिक ग्रन्थों में भी हाथ जोड़कर नमस्ते करने के कारण और फायदे बताए गए हैं। जिसके अनुसार दाहिना हाथ आचार यानि धर्म और बांया हाथ विचार अर्थात दर्शन का होता है।
कहते हैं कि नमस्ते करते समय दांया हाथ बांया से जुड़ता है। शरीर में दाईं ओर इड़ा और पिंगला नाड़ी होती है। ऐसे में नमस्ते करते वक्त इड़ा, पिंगला से मिलती है और सिर श्रद्धा से झुका हुआ होता है। साथ ही जब हम हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं तो हमारी आंख, कान और दिमाग की शक्ति बढ़ती है। जिसके साथ ही स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है। इसका एक और फायदा है कि जब हम इस तरह से हाथ जोड़कर नमस्ते करते हैं तो सामने वाला व्यक्ति हमें ज्यादा दिन तक याद रखता है।