Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jul, 2020 09:49 AM
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। गुरु परम ब्रह्म के समान हैं, ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम।
हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है।
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गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। गुरु परम ब्रह्म के समान हैं, ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम।
Guru Purnima: हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बहुत धूम धाम के साथ मनाया जाता है परन्तु कोरोना महामारी के चलते शायद इस वर्ष हमेशा वाली बात संभव न हो पाए। इस वर्ष यह पर्व 5 जुलाई, रविवार के दिन मनाया जाएगा। “गुरु” शब्द का अर्थ होता है जो तम का अंत या अंधेरे को ख़त्म करने वाला। हिन्दू धर्म में गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दिया गया हैं क्योंकि गुरु ही हमको अज्ञानता के अंधेरे से निकाल कर, ज्ञान के उजाले से हमारा मार्ग दर्शन करते हैं।
गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जो ऋषि पराशर के पुत्र थे, उनका असली नाम महर्षि कृष्ण द्वैपायन था। इन्होंने वेदों को अलग-अलग खंडों में बांटकर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा था इसलिए उनका नाम महर्षि वेद व्यास पड़ गया। माना जाता है की महर्षि तीनों कालों के ज्ञाता थे। महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों की व्याख्या और महाभारत की रचना की थी। इस दिन को व्यास पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा और मुडिया पुनो के नाम से भी जाना जाता है।
इस वर्ष गुरु पर्व के दिन चन्द्र ग्रहण भी पड़ रहा है, लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना गया है, हमारी प्राणवायु के साथ बृहस्पति को किस्मत, धन, शिक्षा, संतान और हर प्रकार से आशीर्वाद प्रदान करने वाला ग्रह बताया गया है, हमारी कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए आज गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर के स्वच्छ सफ़ेद या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। अगर सम्भव हो तो अपने गुरु के पास जा कर उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। उनको भी श्वेत या पीले वस्त्र भेंट करें व यथाशक्ति दक्षिणा दें। फिर गुरु का दिया हुए मंत्र का जाप करना चाहिए। माना जाता है गुरु प्रसन्न हो कर हमारे समस्त अहंकार, अज्ञानता को दूर कर के हमको शक्ति, तरक्की, ज्ञान की ओर अग्रसर करते हैं।
आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट – www.goas.org.in