Edited By Prachi Sharma,Updated: 06 Dec, 2023 11:54 AM
बहुत पुरानी बात है। अरब में नावेर नामक एक व्यक्ति रहता था, जिसके पास उत्तम नस्ल का एक घोड़ा था। नावेर उस पर जान छिड़कता था। उसका अधिकतर समय घोड़े
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Inspirational Story: बहुत पुरानी बात है। अरब में नावेर नामक एक व्यक्ति रहता था, जिसके पास उत्तम नस्ल का एक घोड़ा था। नावेर उस पर जान छिड़कता था। उसका अधिकतर समय घोड़े के साथ बीतता था। उसके घोड़े पर बहुतों की नजर थी। कुछ लोग तो घोड़े के कारण ही नावेर से ईर्ष्या करने लगे थे। उनमें से दाहर भी था। दाहर ने कई ऊंट देकर बदले में घोड़ा लेना चाहा, पर नावेर ने मना कर दिया। लेकिन दाहर घोड़े के लिए लालायित था। वह किसी भी कीमत पर उसे हासिल करना चाहता था। उसने घोड़ा हथियाने की एक तरकीब सोची। वह बीमार फकीर का भेस बनाकर नावेर के रास्ते में बैठ गया। जब नावेर अपने घोड़े पर सवार होकर वहां से गुजरा तो उसे उस फकीर की हालत पर दया आ गई। उसने अगले गांव तक ले जाने के लिए उसे घोड़े पर बिठा लिया और खुद पैदल चलने लगा। दाहर तो इसी फिराक में था।
घोड़े पर सवार होते ही उसने चाबुक मारकर घोड़े को दौड़ा लिया और नावेर से बोला, “तुमने खुशी से घोड़ा नहीं दिया तो मैंने चलाकी से इसे ले लिया। तुम हार गए।”
नावेर ने उसे पुकार कर कहा, “तुमने मेरा घोड़ा इस तरह ले लिया कोई बात नहीं। खुशी से ले जाओ। लेकिन मेरा इतना कहना मान लो कि इस घोड़े की खूब अच्छी तरह देखभाल करना। और हां, एक बात और ध्यान रखना। घोड़े को धोखेबाजी से लेने की बात किसी ने न कहना नहीं तो लोग जरूरतमंदों की मदद करना छोड़ देंगे। इससे बहुत से दीन-दुखियों को सहायता नहीं मिल पाएगी। सोचो, फिर इंसानियत का क्या होगा।”
नावेर की यह बात दाहर के दिल को छू गई। उसका मन बदल गया। वह बहुत शर्मिंदा हुआ। उसने तत्काल घोड़ा नावेर को थमा दिया और उससे अपने व्यवहार के लिए माफी मांगी। नावेर ने दाहर को गले से लगा लिया और सदा के लिए उससे दोस्ती कर ली।