Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Dec, 2023 08:36 AM
एक बार हकीम लुकमान और उसका बेटा बैठे आपस में बातें कर रहे थे। तभी बेटे ने पूछा, ‘‘पिता जी ऊपरवाले ने पूछा कि बता तेरी रजा क्या है ?
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Inspirational Story: एक बार हकीम लुकमान और उसका बेटा बैठे आपस में बातें कर रहे थे। तभी बेटे ने पूछा, ‘‘पिता जी ऊपरवाले ने पूछा कि बता तेरी रजा क्या है ? तो मैं उनसे सबसे पहले क्या मांगू ?’’
लुकमान ने जवाब दिया, ‘‘परमार्थ का धन मांगना।’’
बेटे ने मन ही मन सोचा ये तो दूसरों को देने के लिए होगा इससे मुझे क्या मिलेगा ? फिर पूछता हूं। यह सोचकर उसने फिर पूछा, ‘‘पिता जी ऊपर वाले ने एक और रजा पूछी तो ?’’
लुकमान ने जवाब दिया, ‘‘बेटा फिर पसीने की कमाई मांग लेना।’’
बेटे ने सोचा सत्यानाश हो। पसीने की कमाई परमार्थ में लुटाऊं यह कौन सी बात हुई ? चलो एक बार फिर पूछता हूं, शायद इस बार कुछ मेरे लिए हो।
बेटे ने फिर पूछा, ‘‘पिता जी ऊपरवाला फिर कुछ मांगने को कहे तो?’’
लुकमान भी बेटे के मन की बात समझ रहे थे। फिर भी वे उसके सवालों के जवाब शांति से दे रहे थे। बोले, ‘‘बेटा, इस बार तुम उदारता मांग लेना।’’
बेटे ने सोचा ये क्या बात हुई ? पसीने की कमाई उदारता से दूसरों की भलाई के लिए खर्च करूं ?
बेटा भी धैर्यवान था सो उसने भी यह सोच कर सवाल पूछने जारी रखे कि कभी तो मेरे सुख का तो नम्बर आएगा ? उसने फिर पूछा, ‘‘पिता जी ऊपर वाला फिर मांगने को बोले तो?’’
लुकमान ने जवाब दिया, ‘‘इस बार शर्म मांग लेना बेटा।’’ लुकमान के बेटे के मन का जवाब अभी भी नहीं मिला तो उसने एक बार फिर पूछा, ‘‘पिता जी ऊपरवाला एक बार फिर मांगने को बोले तो?’’
लुकमान ने शांत भाव से जवाब दिया, ‘‘बेटा इस बार तू अपने लिए अच्छा स्वभाव मांग लेना।’’
बेटा भी कहां मानने वाला था। उसने फिर पूछा, ‘‘पिता जी ऊपरवाला....’’
इससे पहले कि वह अपना सवाल पूरा कर पाता लुकमान ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, “बेटा जिन लोगों के पास ये पांच चीजें होती उन्हें मांगने के लिए कुछ बचता ही नहीं है। यही खुशहाली का रास्ता है। तुम्हें भी इसी रास्ते पर चलना चाहिए। एक बार गहराई से सोच कर देखो, ये सब चीजें जिसके पास भी होंगी वह दूसरों को उदारता से देते हुए खुश रहेगा। जब किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती तो व्यक्ति सुखी हो जाता है।’’