Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Nov, 2025 12:33 PM

Inspirational Story: एक संत रोज रानी के पास कथा कहता था। अंत में सबको बोलता था, “राम कहें तो बंधन टूटे।” सब यही कहते थे, पर तोता पिंजरे में से कहता, “यूं मत कहो रे पंडित झूठे।” पंडित को क्रोध आता कि सब क्या सोचेंगे। वह अपने गुरु के पास गया और सब हाल...
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Inspirational Story: एक संत रोज रानी के पास कथा कहता था। अंत में सबको बोलता था, “राम कहें तो बंधन टूटे।” सब यही कहते थे, पर तोता पिंजरे में से कहता, “यूं मत कहो रे पंडित झूठे।” पंडित को क्रोध आता कि सब क्या सोचेंगे। वह अपने गुरु के पास गया और सब हाल बताया।
गुरु तोते के पास गया और पूछा, “तुम ऐसा क्यों कहते हो ?”
तोते ने कहा, “मैं पहले उड़ता रहता था। एक जगह संत के पास मैंने राम सुना, संत ने मुझे पकड़ कर पिंजरे में रखा, फिर श्लोक पढ़ना सिखाया तो सेठ ने मुझे खरीद लिया और चांदी के पिंजरे में रखा। मेरा तो बंधन बढ़ता गया। मैं कैसे कहूं ‘राम कहे तो बंधन छूटे’।”
गुरु ने कहा, “आज तुम चुपचाप सो जाओ हिलना भी नहीं। रानी समझेगी मर गया और छोड़ देगी।” ऐसा ही हुआ। दूसरे दिन सत्संग हुआ, तोता वहां नहीं था, संत ने आराम की सांस ली।
सब खत्म हुआ तो तोता कह उठा, “सत्गुरु मिले तो बंधन छूटे।” तोता ऊपर आजादी में था।