Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Nov, 2025 02:48 PM

Inspirational Story: एक व्यक्ति बहुत धनवान था लेकिन जितना पैसा उसके पास था, उतना धैर्य नहीं था। किसी को एक पैसा देता तो सैंकड़ों-हजारों के गीत गाता था। एक दिन उसे पता चला कि शहर में एक बड़े महात्मा आए हैं।
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Inspirational Story: एक व्यक्ति बहुत धनवान था लेकिन जितना पैसा उसके पास था, उतना धैर्य नहीं था। किसी को एक पैसा देता तो सैंकड़ों-हजारों के गीत गाता था। एक दिन उसे पता चला कि शहर में एक बड़े महात्मा आए हैं।
उसने सोचा कि उनसे मिलकर उन्हें कुछ भेंट करना चाहिए। वह उनके पास जा पहुंचा। अभिवादन के बाद महात्मा ने उससे आने का प्रयोजन पूछा तो पहले तो उसने अपने ऐश्वर्य का बखान किया, फिर अपनी दानशीलता की प्रशंसा की। अपनी प्रशंसा के बाद उस आदमी ने एक थैली निकालकर महात्मा के सामने रखी और बोला, ‘‘मैंने सोचा कि आपको पैसे की तंगी रहती होगी इसलिए यह लेता आया। यह पूरी एक हजार मोहरे हैं।’’ ऐसा कहते हुए उसकी आंखों में अभिमान भी उभर आया। महात्मा ने थैली को एख और सरकाते हुए कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे पैसे की नहीं, तुम्हारी जरूरत है।’’ यह सुनकर धनवान दुखी हो गया।

आखिर महात्मा की हिम्मत कैसे हुई जो उसकी दी हुई भेंट उन्होंने ठुकरा दी। उसका अभिमान और बढ़ गया। महात्मा उसकी यह अवस्थ देखकर बोले, ‘‘क्यों तुम्हें बुरा लगा न।’’ धनिक ने कहा, ‘‘बुरा लगने की तो बात ही है, इतनी बड़ी रकम को आपने ऐसे ठोकर मार दी जैसे यह मिट्टी हो।’’
यह सुनकर महात्मा ने जवाब दिया, ‘‘सेठ याद रखो, अहंकार के साथ दिया गया दान मिट्टी के बराबर होता है। दूसरे का हिस्सा तुमने ले लिया है। उसे लौटाते हो तो इसमें अभिमान का अवसर कहां रहता है? यह तो चोरी का प्रायश्चित है।’’ यह सुनकर धनिक को अपनी गलती का एहसास हो गया।
