Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Dec, 2025 02:40 PM

Inspirational Story : एक सेठ के पास अपार धन संपत्ति थी। भरा पूरा परिवार था। सब तरह के सुख थे, पर एक तकलीफ भी थी। सेठ को रात को नींद नहीं आती थी। कभी आंख लग भी जाती तो बुरे सपने आते। सेठ दिन-रात बेचैन रहने लगे। उन्होंने बहुत इलाज कराया, लेकिन समस्या...
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Inspirational Story : एक सेठ के पास अपार धन संपत्ति थी। भरा पूरा परिवार था। सब तरह के सुख थे, पर एक तकलीफ भी थी। सेठ को रात को नींद नहीं आती थी। कभी आंख लग भी जाती तो बुरे सपने आते। सेठ दिन-रात बेचैन रहने लगे। उन्होंने बहुत इलाज कराया, लेकिन समस्या घटने की बजाय बढ़ती गई।
संयोग से एक संत उनके नगर में आए। वह घुम-घाम कर लोगों के दुख दूर करते थे। सेठ को पता चला तो वह भी उनके पास जा पहुंचे और अपनी विपदा उन्हें सुनाई। बोले, “महाराज जैसे भी हो, मेरा कष्ट दूर कर दीजिए।”
साधु ने कहा, “सेठ जी, आपके रोग का एक ही कारण है और वह यह कि आप अपंग हैं।” सेठ ने आश्चर्य से उनकी ओर देखा और पूछा, “आप मुझे अपंग कैसे कह सकते हैं? यह देखिए, मेरे अच्छे-खासे हाथ-पैर हैं।”
साधु ने हंसकर कहा, “अपंग वह नहीं होता जिसके हाथ-पैर नहीं होते। वास्तव में अपंग तो वह है जो हाथ-पैर होते हुए भी उनका इस्तेमाल नहीं करता। बताओ, शरीर से तुम कितना काम करते हो ?”
सेठ क्या जवाब देता। वह तो छोटे-बड़े काम के लिए अपने नौकरों पर ही निर्भर रहता था। साधु ने कहा, “अगर तुम रोग से बचना चाहते हो तो अपने हाथों-पैरों से इतनी मेहनत करो कि थककर चूर हो जाओ। मेहनत की ताकत तुम्हारी बीमारी जल्द ही ठीक कर देगी।”
सेठ ने यही किया। साधु की बात एकदम सही निकली।
कुछ दिनों बाद रात को सेठ को इतनी गहरी नींद आई कि उसकी वर्षों की थकान उतर गई व उलझन दूर हो गई। स्वस्थ होने पर उसने साधु के प्रति आभार प्रकट किया।