Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Jun, 2025 06:38 AM

Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण तिथि है। यह दिन विशेष रूप से व्रत, पूजा, स्नान और दान के लिए जाना जाता है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है
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Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण तिथि है। यह दिन विशेष रूप से व्रत, पूजा, स्नान और दान के लिए जाना जाता है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है और इसे मनाने वाले भक्तजन विशेष आस्था और श्रद्धा के साथ व्रत करते हैं, स्नान करते हैं और दान पुण्य करते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तारीख
वर्ष 2025 में ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 10 जून मंगलवार के दिन रखा जाएगा। ज्येष्ठ मास हिंदू कैलेंडर के अनुसार तीसरा महीना होता है। इसके अलावा इस दिन इस दिन 3 शुभ योग का निर्माण होने जा रहा है। ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन सिद्ध योग, रवि योग और साध्य योग का निर्माण होगा। सिद्ध योग सुबह से लेकर दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। उसके उपरांत साध्य योग पूरा दिन रहेगा। अनुराधा नक्षत्र सुबह से लेकर शाम 06:02 तक है, उसके बाद से ज्येष्ठा नक्षत्र है। इस दिन स्नान करने और दान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए व्रत, पूजा और दान का फल कई गुणा बढ़ जाता है। यह दिन आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान और दान 11 जून बुधवार को होगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह व्रत पूरे दिन किया जाता है और इसे रखने वाले व्यक्ति का मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं। व्रत के दौरान हल्का भोजन या फलाहार किया जा सकता है। कई भक्त इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं यानी पानी तक से परहेज करते हैं। इस व्रत का पालन भगवान नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
स्नान-दान
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का समय विशेष महत्व रखता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है। खासकर किसी पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करने से आध्यात्मिक शुद्धि मिलती है। यदि किसी नदी के पास नहीं जा सकते तो घर पर भी शुद्ध जल से स्नान किया जा सकता है।
दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों, ब्राह्मणों और पंडितों को अन्न, वस्त्र, धन और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। दान करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
