Kartika Purnima: साल में एक ही बार होते हैं कुमार कार्तिकेय के इस मंदिर के दर्शन, पढ़े कथा

Edited By Updated: 16 Nov, 2024 03:26 PM

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Kartika Purnima: देशभर में पूरे श्रद्धाभाव से कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा चुकी है। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय का प्रागट्य कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था।

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Kartika Purnima: देशभर में पूरे श्रद्धाभाव से कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा चुकी है। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय का प्रागट्य कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय साल में एक दिन ही भक्तों को दर्शन देते हैं। देश का इकलौते छह मुखी भगवान कार्तिकेय का मंदिर मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जीवाजी गंज में स्थित है, जो 400 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर मंदिर में भगवान कार्तिकेय का अभिषेक और विशेष श्रृंगार किया जाता है। वहां के पुजारी जी की माने तो उनकी छठवीं पीढ़ी भगवान कार्तिकेय की सेवा कर रही है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मेला लगता है। जहां श्रद्धालु भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने दूर-दराज से आते हैं और पूजा-अर्चना करते है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्रों के विवाह का विचार किया पर दोनों पुत्र कुमार कार्तिकेय और गणेश जी की परीक्षा ली थी, जिसमें दोनों से कहा था की दोनों को पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करनी है। जो पहले ब्रह्मांड के चक्कर लगाकर आएगा। उसका विवाह पहले किया जाएगा। 

इसके बाद कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर निकल गए ब्रह्मांड की परिक्रमा करने, वहीं मूषक सवार गणेश जी ने अपने माता-पिता को ब्रह्मांड बताकर भगवान शिव और माता पार्वती की परिक्रमा करली थी, जिसके बाद भगवान शिव ने गणेश जी को बुद्धि परीक्षा में सफल माना था और रिद्धि-सिद्धि से गणेश जी का विवाह भी करवा दिया और वरदान दिया था कि कोई भी शुभ अवसर होगा तो सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा पहले होगी।

 जब ब्रह्मांड की परिक्रमा कर लौटे कार्तिकेय ने देखा की अनुज गणेश जी का विवाह उनसे पहले हो गया है। तो वह नाराज हो गए और कार्तिकेय नाराज होकर अज्ञातवास में चले गए थे, जिनके दर्शन करने कई देवी-देवता वहां पहुंचे पर उन्होंने मिलने से मना कर दिया था। यहां तक की माता पार्वती से भी मिलने को इंकार कर दिया था। ज्येष्ठ पुत्र से मुलाकात नहीं हो पाने से ​पीड़ित माता पार्वती ने पति भगवान शिव से गुहार लगाई।

भगवान शिव ने पत्नी पार्वती की गुहार सुन वरदान दिया की साल में एक दिन यानी 24 घंटे कार्तिकेय के दर्शन करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होगी। तभी से कार्तिक पूर्णिमा पर कार्तिकेय मन्दिर के पट खुलते हैं और लोगों को कार्तिकेय के दर्शन करने होते हैं। जहां लोग दर्शन करने दूर-दूर से ग्वालियर के जीवाजी गंज स्थित छः मुखी कार्तिकेय मंदिर में आते हैं। यह मंदिर साल में एक बार आस्था का केंद्र बनता है और लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर लोग दर्शन करते हैं।

(अंकुर जैन)

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