Edited By Sarita Thapa,Updated: 10 Oct, 2025 02:00 PM

साल 2025 में 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
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Karwa chauth vrat katha: साल 2025 में 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत हर साल सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर नहा धोकर साज श्रृंगार कर सर्गी ग्रहण करती है और फिर सारा दिन निर्जला व्रत रखती है। फिर शाम के समय चंद्रमा की पूजा कर छलनी को अपने सामने रखकर चांद और अपने पति के रूप को देखते हुए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भला छलनी से ही चांद और पति को क्यों देखा जाता है। इसके पीछे कोई खास वजह है या ये सिर्फ एक परंपरा है। तो आइए जानते हैं छलनी और करवा चौथ के बीच के कनेक्शन के बारे में-

करवा चौथ पर चांद को छलनी से क्यों देखा जाता है इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक पतिव्रता स्त्री थी जिसका नाम वीरवती था। उसने अपने विवाह के पहले साल में अपने पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखा। लेकिन भूख लगने के कारण उसकी हालत खराब होने लगी। अपनी बहन की ऐसी दशा देख वीरवती के भाई रह न पाए और उन्होंने चंद्रोदय से पहले ही एक पेड़ के पीछे छलनी में दिया रख दिया और अपनी बहन से झूठ कह दिया कि चांद निकल आया है। वीरवती ने झूठे चांद को देखकर व्रत तोड़ लिया जिसके बाद उसके पति की मृत्यु हो गई। वीरवती को जब अपने पति की मृत्यु का पता चला तो वे व्याकुल हो उठी। जब उसे पता चला की उसने झूठे चांद को देखकर व्रत खोला था, तो उसका मन बहुत दुखी हुआ। असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने के कारण ही उसके पति का मृत्यु हुई थी। बाद में फिर से वीरवती ने पश्चाताप और निष्ठापूर्ण व्रत किया जिससे करवा माता प्रसन्न हो गई और उसके पति को जीवनदान मिल गया है। कहते हैं कि सुहागिन महिलाएं को ये घटना हमेशा याद रहें और कोई छल से उनका व्रत न तोड़ सकें इसलिए स्वयं छलनी पर अपने हाथ रखकर चांद को देखने की परंपरा शुरू हुई।

वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि छलनी में मौजूद अनगिनत छोटे-छेद चंद्रमा की रोशनी को प्रतिबिंबित करते हैं, और जब उसी छलनी से पति को देखा जाता है तो उनकी आयु बढ़ती है। इस कारण, करवा चौथ के व्रत में छलनी के साथ यह अनुष्ठान करना अनिवार्य माना जाता है। कहते हैं कि इसे किए बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
