Kundli Tv- एक अनोखा मंदिर, जहां नंदी पर सवार हैं शिवलिंग

Edited By Updated: 07 Aug, 2018 10:54 AM

kedareshwar temple

उत्तर प्रदेश में झांसी जिले की मऊरानीपुर तहसील में एक ऐसा शिव मंदिर स्थित है जहां स्थापित दुर्लभ शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए श्रावण मास में भक्तों का बड़ा जमावडा लगता है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)

उत्तर प्रदेश में झांसी जिले की मऊरानीपुर तहसील में एक ऐसा शिव मंदिर स्थित है जहां स्थापित दुर्लभ शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए श्रावण मास में भक्तों का बड़ा जमावडा लगता है। मऊरानीपुर तहसील से लगभग आठ किलोमीटर दूर रौनी गांव में एक ऊंची पहाड़ी पर बना केदारेश्वर मंदिर सावन के महीने में शिव भक्तों से भर जाता है क्योंकि यह मंदिर देशभर के उन दुर्लभ मंदिरों में से है जहां भगवान शिवलिंग के रूप में एक अलग ही पहचान लिए हुए हैं। इस मंदिर में शिवलिंग नंदी की पीठ पर स्थापित है और इस शिवलिंग की यही विशेषता इसे दुर्लभ बनाती है। श्रावण मास में दूर-दूर से जल लाकर कांवड़िए केदारेश्वर धाम पर जलाभिषेक करते हैं।
PunjabKesari
पुरातत्व विभाग भी इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की दुर्लभता और मंदिर की प्राचीनता का व्याख्यान करता है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया कि यह मंदिर दसवी शताब्दी का है। इसे चंदेलकाल में बनाया गया। इतना प्राचीन होने के बाद भी मंदिर काफी अच्छी स्थिति में है। उन्होंने बताया कि पुरातत्व विभाग ने वर्ष 2001 में इस मंदिर के इतिहास और विशेषता जानने के लिए शोध किया था। शोध में यह पता चला कि मंदिर का निर्माण दसवीं सदी में किया गया है। यह भूतल से लगभग 200 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर के निर्माण में सैंड स्टोन का इस्तेमाल किया गया है। नायाब मूर्तिकला और नक्काशी इस मंदिर की विशेषता है। मंदिर का दरवाजा पत्थर का है और इस पर बेहद सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर के गर्भगृह में स्थित नंदी की प्रतिमा की पीठ पर शिवलिंग बना है और गर्भगृह की छत पर कमल के फूलों की सुदंर नक्काशी है।
PunjabKesari
नंदी की पीठ पर स्थापित शिवलिंग बुंदेलखंड में एक दो जगहों पर ही मिले हैं। झांसी के अलावा बंगरा में शिव इस रूप में मंदिर में विद्यमान हैं। बुंदेलखंड में और विशेषकर झांसी में बहुत कम ही मंदिर ऐसे बचे हैं जिन में इतनी शानदार नक्काशी की गई हो। मंदिर न केवल दुर्लभ शिवलिंग बल्कि अपनी शानदार स्थापत्य कला और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी दर्शनीय है। पूरे इलाके में सबसे ऊंची पहाड़ी पर बने इस मंदिर की छटा देखते ही बनती है। इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य भी अप्रतिम है, इस कारण झांसी और खजुराहों के बीच यह स्थान एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।
PunjabKesari
इस स्थान में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की पूरी संभावना है। उन्होंने बताया कि संभव है कि कभी यह मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल रहा हो। इस मंदिर से जुड़ी कई स्थानीय मान्यताएं भी हैं। लोगों का मानना है कि मंदिर मे कोई इंसान कभी पहली पूजा नहीं कर पाता । सुबह के समय जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तब ऐसा प्रतीत होता है कि कोई अदृश्य शक्ति पहले ही पूजा करके जा चुकी है। कुछ बुजुर्गों का कहना है कि मंदिर में भगवान शिव की पूजा सबसे पहले आल्हा ऊदल करके चले जाते हैं। वह भोर के समय घोडे पर सवार होकर मंदिर में आते हैं। कई लोगों ने मंदिर के पास रात को घोड़ों की टापों की आवाज सुनाई देने का भी दावा किया है। इन सभी दावों के बीच इतना तो निश्चित है कि प्राचीन कालीन इस मंदिर मे न केवल दुर्लभ शिवलिंग मौजूद है जो बड़ी संख्या में लोगों की आस्था से जुडा है बल्कि इस इलाके में युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित होने की भी पूरी संभावना है।

कुंवारों को शादी से पहले जान लेनी चाहिए ये बात (देखें VIDEO)

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!