Edited By Jyoti,Updated: 08 Dec, 2020 02:39 PM
प्रत्येक वर्ष जैसे ही खरमास का माह आरंभ होता है, तो सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इन मांगलिक कार्यों में अधिकतर रूप से शादियां आती हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस बार खरमास
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष जैसे ही खरमास का माह आरंभ होता है, तो सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इन मांगलिक कार्यों में अधिकतर रूप से शादियां आती हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस बार खरमास का ये माह 15 दिसंबर से प्रारंभ हो रहा है। बता दें खरमास को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे मलमास। मगर खरमास क्या होता, इस दौरान क्यों तमाम तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है? इस दौरान क्या करना चाहिए क्या नहीं, इस बारे में जानकारी बहुत ही कम लोगों को पता है। तो चलिए आपको इस बारे में जानकारी देते हैं कि ये क्यो लगता है साथ ही साथ जानेंगे इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है।
सबसे पहले आपको बता दें 15 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी तक खरमास रहेगा। जिस दौरान धार्मिक व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ कार्य व मांगलिक कार्य करने वर्जित होते हैं। अब सवाल आता है कि आखिर मलमास या खरमास लगता क्यों है। तो इसका जवाब ज्योतिष शास्त्र में मिलता है। इनके अनुसार सूर्य देव एक राशि में 1 माह तक रहते हैं। जिसके बाद वे राशि परिवर्तन कर लेते हैं, जिसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जिस भी राशि में सूर्य गोचर करते हैं उसी राशि के नाम से संक्रांति को जाना जाता है। बता दें जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है। तो वहीं मीन संक्रांति होने पर भी खरमास लगता है। जिस दौरान सभी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेष के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि करने वर्जित माने जाते हैं।
इससे जुड़ी पौराणिक कथा की बात करें सूर्यदेव अपने 7 घोड़ें के रथ पर सवाल होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। कथाओं के अनुसार एक बार उनके घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक गए। सूर्यदेव उन्हें 1 तालाब के किनारे ले गए, परंतु अचानक उन्बें आभास हुआ कि यदि रथ रूक गया तो सृष्टि भी रूक जाएगी। अभी सूर्य देव ऐसा सोच-विचार कर ही रहे थे कि उनके नजर तालाब के किनारे पर मौजूद गधों पर पड़ी। ऐसे में सूर्य देव को एक उपाय सूझा। उन्होंने घोड़ों को आराम देने के लिए रथ में गधों को जोत लिया। इस स्थिति में सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई, परंतु रथ रूका नहीं। कहा जाता है यही कारण है कि इस समय सूर्य का तेज़ कम हो जाता है, और सर्दी अपने चर्म सीमा पर होती है।