इस शनि मंदिर में प्रत्येक वर्ष होता है ये अद्भत चमत्कार, आप भी जानें इस मंदिर की खासियत

Edited By Updated: 27 Nov, 2021 01:21 PM

kharsali shani mandir

उत्तराखंड के खरसाली में समुद्री तल से लगभग 7000 फुट पर विराजमान हैं चमत्कारी शनिदेव। लोगों का मानना है कि यहां पर साल में एक दिन चमत्कार होता है। और वो चमत्कार जो भी देख लेता है उसका

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उत्तराखंड के खरसाली में समुद्री तल से लगभग 7000 फुट पर विराजमान हैं चमत्कारी शनिदेव। लोगों का मानना है कि यहां पर साल में एक दिन चमत्कार होता है। और वो चमत्कार जो भी देख लेता है उसका भाग्य खुल जाता है। औ वो खुद को शनिदेव का परम भक्त मानने लगता है। मंदिर में शनिदेव की कांस्य मूर्ति विराजमान है। इस शनि मंदिर में एक अखंड ज्योति मौजूद है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। तो वहीं मंदिर पुरोहितों के अनुसार इस मंदिर में साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन अद्भुत चमत्कार होता है। इस दिन मंदिर के ऊपर रखे घड़े खुद बदल जाते हैं।

पर ऐसा कैसे होता है इसके बारे में कोई नहीं जानता। लेकिन फिर भी शनिदेव के सामने अपने दुख लेकर हर प्रकट होता है। लोगों के मुताबिक जो भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आता है उसके कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा एक और ऐसा चमत्कार है जिसके बारे में जानना ज़रूरी है। किवदंतियों के मुताबिक मंदिर में दो बड़े फूलदान रखे हैं जिनको रिखोला और पिखोला कहा जाता है। इस फूलदान को जंजीर से बांध के रखा जाता है। क्योंकि कहानी के अनुसार पूर्णिमा के दिन ये फूलदान यहां से चलने लगते हैं और चलकर नदी की ओर जाने लगते हैं।

आपको बता दें कि खरसाली में यमनोत्री धाम भी है जो की शनि धाम से करीब 5 किलोमीटर बाद पड़ता है। यमुना नदी शनि की बहन मानी जाती है। खरसाली में मौजूद शनि मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है की इस मंदिर में शनि देव 12 महीने तक विराजमान रहते हैं। इसके अलावा हर साल अक्षय तृतीय पर शनि देव अपनी बहन यमुना से यमुनोत्री धाम में मुलाक़ात करके खरसाली लौटकर आते हैं।

और अगर मंदिर से जुड़ी कहानियों और इतिहासकारों की मानें तो ये स्थान पांडवों के समय का माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था। पांच मंजिल का ये मंदिर पत्थर और लकड़ी के साथ बनाया गया है। यह संरचना बाढ़ और भूकंप से लकड़ी की छड़ियों द्वारा सुरक्षित है। जो इसे खतरे के स्तर से ऊपर रखती है। एक संकीर्ण लकड़ी की सीढ़ी शीर्ष मंजिल तक पहुंच जाती है, जहां शनि महाराज का कांस्य प्रतिमा स्थापित है। अंदर, ये अंधेरा और धूंधला है, सूरज झुकाव केवल कभी-कभी छत के माध्यम से झुकता है लेकिन यहां खड़े होने पर, आपके पास पूरे खारसली गांव का एक शानदार दृश्य पड़ता है।

 

 

 

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