Kumbh Mela 2019: जानें, नागा साधुओं के पंच केश से जुड़ा गहरा राज़

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Feb, 2019 03:16 PM

kumbh mela 2019

उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज में 15 जनवरी से शुरू कुंभ मेले में नागा साधु बड़ी संख्या में यहां पर पहुंचे हैं। दरअसल, कुंभ मेले में नागा साधु सबके आकर्षण का केंद्र होते हैं। वैसे आपने नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में तो जरूर सुना होगा। नागा...

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)

उत्तर प्रदेश के प्रयाग राज में 15 जनवरी से शुरू कुंभ मेले में नागा साधु बड़ी संख्या में यहां पर पहुंचे हैं। दरअसल, कुंभ मेले में नागा साधु सबके आकर्षण का केंद्र होते हैं। वैसे आपने नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में तो जरूर सुना होगा। नागा साधु का जीवन सबसे अलग और निराला होता है। इनकी लाइफ अटपटी और जटिल हाेती है। ये अपनी ही दुनियां में रहते हैं। भारतीय साधु-संतों को अकसर गेरुआ या सफेद वस्‍त्रों में देखा जाता है लेकिन नागा साधु कोई भी वस्त्र धारण नहीं करते। आम लोगों को ये साधु दर्शन भी नहीं देते। इनका दायरा अपने अखाड़े तक ही सीमित है। जब कुंभ या अर्द्ध कुंभ आता है तभी नागा साधु अपने आखड़े के साथ शिरकत करते हैं। ये आम जन के लिए सदा से ही हैरत और रहस्य का केंद्र रहे हैं।

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ऐसा कहा जाता है कि साधु-महात्माओं में नागा साधुओं को हैरत भरी नज़रों से देखा जाता है। इनको गृहस्थ जीवन से कोई मतलब नहीं होता है। इनका जीवन कई कठिनाइयों से भरा हुआ होता है। इनके बारे में हर एक बात निराली होती है। आपने नागा साधुओं की जटाओं को देखा होगा। इनकी जटाओं के बारे में कहा जाता है कि अखाड़ों के वीर शैव नागा संन्यासियों के पास लम्बी जटाओं को बिना किसी भौतिक सामग्री उपयोग के खुद रेत और भस्म से ही संवारना पड़ता है।

PunjabKesariदुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेले में शिरकत करने पहुंचे जूना अखाड़ा हरियाणा के हिसार से पहुंचे एक नागा साधु ने बताया कि उनकी जटा करीब दस फुट लम्बी है और पिछले करीब 30 साल से अधिक समय से उसकी सेवा कर रहे हैं।

PunjabKesari उन्होंने बताया कि नागा साधु बढ़ी और उलझी जटाओं को भस्म और नदियों के रेत से संवारते हैं। उन्होंने बताया कि किसी भी संन्यासी के लिए अपने जटा जूट को संभालना जीव-जगत के दर्शन की व्याख्या से कम पेचीदा नहीं है।

PunjabKesariनागा साधुओं के सत्रह शृंगारों में पंच केश (लटों को पांच बार घुमा कर लपेटना) का बहुत महत्व है। यहां ऐसे-ऐसे केश प्रेमी साधु मौजूद हैं, जिनकी लटें इतनी लम्बी हैं कि इंची टेप छोटे पड़ जाएंगे।

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