जानें, कुंभ में होने वाले शाही स्नान से जुड़ी खास बातें

Edited By Jyoti,Updated: 05 Feb, 2021 03:14 PM

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कुंभ महापर्व का प्रारंभ होने वाला है। हिंद धर्म से संबंध रखने वाला हर व्यक्ति इसे लेकर अधिक उत्साहित होता है। इस दौरान लोग पावन नदियों में स्नान आदि करते हैं। बता दें इस बार कुंभ महापर्व 11 मार्च यानि महाशिवरात्रि से शुरू होगा।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कुंभ महापर्व का प्रारंभ होने वाला है। हिंद धर्म से संबंध रखने वाला हर व्यक्ति इसे लेकर अधिक उत्साहित होता है। इस दौरान लोग पावन नदियों में स्नान आदि करते हैं। बता दें इस बार कुंभ महापर्व 11 मार्च यानि महाशिवरात्रि से शुरू होगा। शास्त्रों में इससे जुड़ी कई मान्यताएं बताई गई हैं। इनमें से कुछ परंपराएं अधिक प्रचलित हैं। जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण शाही स्नान। हर साल कुंभ में 4 शाही स्नान होते हैं। जो साधु संतों द्वारा किए जाते हैं। बताया जाता है कि हरिद्वार में कुंभ के दौरान साधु संतों के 4 शाही स्नान होते हैं, जो हर बार की ,तरह इश बार भी जडरूर होंगे। मगर इन शाही स्नानों में कौन से साधु संतो शामिल होते हैं, इस बारे में जानकारी बहुत कम लोग रखते हैं तो आइए जानते हैं इस बार बारे में-

महाशिवरात्रि पर 11 मार्च को होने वाला पहला शाही स्नान संन्यासियों के 7 अखाड़े पूर्ण गणवेश में शाही जुलूस निकालकर करेंगे। यह स्नान करने के लिए बैरागियों के 3 और उदासियों के 2 अखाड़े नहीं आते। तो वहीं ठीक इसी प्रकार निर्मल अखाड़े के साधु भी पहला स्नान नहीं करते।

ये स्नान जुलूस गंगा पार के कुंभ मेला क्षेत्र से नहीं गुजरता, परंतु अपर रोड होते हुए हरकी पैड़ी पहुंचता है। संन्यासिलयों की वापसी भी नगर के भीतर मार्गों से होती है।  सांकेतिक रूप से पिछले हरिद्वार कुंभ में बाकी अखाड़ों के 5-5 महंत संन्यासियों के साथ गए थे। परंतु स्नान प्रोटोकॉल में यह शामिल नहीं है, इसलिए बताया जा रहा है कि इस बार इसे दोहराया नहीं जाएगा। जिस प्रकार तीनों बैरागी अणियां पहला शाही स्नान नहीं करते, उसी तरह कोई भी अन्य अखाड़ा 27 अप्रैल को होने वाला अंतिम शाही स्नान करने हर की पौड़ी नहीं जाता। आखिरी स्नान केवल तीनों बैरागी आणि अखाड़े ही करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि कुंभ के दौरान हरिद्वार में पूरा भारतवर्ष नजर आता है। यहां ऐसी भी बहुत सी इमारतें हैं, जिनके नाम उन शहरों के नाम पर हैं, जो पाकिस्तान, नेपाल या अफगानिस्तान में रह गए हैं। हरिद्वार में लाहौर हाऊस, पेशावरियां धर्मशाला, गुजरांवाला भवन, बहावलपुर हाउस, कंधारी धर्मशाला, नेपाल हाउस, सिंध क्षेत्र, रावलपिंडी धर्मशाला जैसे भवनों के नाम ठहरने के स्थान मौजूद हैं। 

इसी तरह जब तीर्थयात्री यहां कच्छी आश्रम, गुजरात भवन, मारवाड़ी धर्मशाला, जोधपुर हाउस, भटिंडा धर्मशाला, मेरठ धर्मशाला, जम्मू भवन, पुंछ हाउस, बंगाली धर्मशाला, मद्रास भवन, मैसूर हाऊस आदि देखते हैं तो कुंभ में उन्हें मिनी भारत बसा नजर आता है। कहा जाता है हरिद्वार में हर की पौड़ी के समीप बाबरी भवन मौजूद है, जिसे देखकर लोग पहले चौंक जाया करते थे। परंतु बताया जाता है कि इसका निर्माण मुजफ्फरनगर के बाबरी गांव निवासी वैश्य समुदाय ने कराया था। 
 

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