Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Nov, 2025 02:56 PM

Janam Kundli Facts: हिन्दू धर्म में जन्म कुंडली या जन्म पत्रिका को किसी व्यक्ति के जीवन का दर्पण माना जाता है। यह कुंडली जन्म के समय, तारीख और स्थान के आधार पर ग्रहों की स्थिति को देखकर तैयार की जाती है।
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Janam Kundli Facts: हिन्दू धर्म में जन्म कुंडली या जन्म पत्रिका को किसी व्यक्ति के जीवन का दर्पण माना जाता है। यह कुंडली जन्म के समय, तारीख और स्थान के आधार पर ग्रहों की स्थिति को देखकर तैयार की जाती है। लेकिन आज भी कई लोग ऐसे हैं जिनकी कुंडली नहीं बन पाती कभी सही जन्म समय ज्ञात नहीं होता, कभी जन्म तिथि में भ्रम होता है और कुछ लोग ज्योतिष पर विश्वास ही नहीं करते। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या जन्म कुंडली न होने से जीवन पर कोई नकारात्मक असर पड़ता है और क्या इसका होना अनिवार्य है।
बिना जन्म कुंडली के जीवन
जन्म कुंडली न होने से किसी व्यक्ति के जीवन में सीधे तौर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। वास्तव में, कुंडली केवल एक दिशा-निर्देशक साधन है, जीवन को नियंत्रित करने वाला तत्व नहीं। जिनके पास कुंडली नहीं होती, वे भी सामान्य रूप से जीवन जीते हैं, सफलता प्राप्त करते हैं और चुनौतियों से जूझते हैं। उनका जीवन अधिकतर उनके परिश्रम, निर्णयों और कर्मों पर निर्भर होता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो ऐसे लोगों को भविष्य से जुड़ी कुछ अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है। महत्वपूर्ण फैसलों जैसे करियर बदलना, विवाह का समय, या स्वास्थ्य से जुड़े जोखिम के लिए वे ज्योतिषीय मार्गदर्शन प्राप्त नहीं कर पाते। किसी बड़ी समस्या के समय सही उपायों का चुनाव भी कठिन हो सकता है क्योंकि इसके लिए ग्रहों की सही स्थिति जानना जरूरी होता है।
क्या जन्म कुंडली बनवाना जरूरी है ?
कुंडली व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के प्रभाव और पिछले जन्मों के कर्मों का संकेत देती है। इससे पता चलता है कि किस क्षेत्र में सफलता आसानी से मिलेगी और कहां प्रयास ज्यादा करना पड़ेगा। कुंडली का बड़ा लाभ यह है कि यह सही समय की जानकारी देती है कब विवाह शुभ रहेगा, कब व्यवसाय शुरू करना बेहतर है, या कब स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना चाहिए। इसके अलावा यह व्यक्ति के स्वभाव, क्षमता, कमजोरियां और छुपी प्रतिभाओं को समझने में भी मदद करती है, जिससे सही करियर और रिश्तों का चुनाव आसान हो जाता है।

कुंडली का जीवन पर प्रभाव
कुंडली में दिखने वाली समस्याएं- जैसे शनि की साढ़ेसाती, मंगल दोष आदि समय रहते जान ली जाएं तो उनके लिए उपाय किए जा सकते हैं। इससे नकारात्मक प्रभाव कम हो जाता है और व्यक्ति मानसिक रूप से तैयार रहता है। कई लोगों को कुंडली समझने से मानसिक शांति भी मिलती है क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि उनकी कठिनाइयां अस्थायी हैं और एक समय के बाद समाप्त हो जाएंगी।
विवाह के मामले में कुंडली मिलान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे न केवल रिश्ते की अनुकूलता का पता चलता है बल्कि दोनों व्यक्तियों के स्वभाव को समझकर बेहतर सामंजस्य बनाने में भी मदद मिलती है।
