Mahashivratri 2023: बहुत शुभ योगों में आ रही है महाशिवरात्रि, इस तिथि पर बरसेगी भोले की कृपा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Jan, 2023 08:28 AM

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महाशिवरात्रि हिंदुओं के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।

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Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि हिंदुओं के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भक्तगण महाशिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। हिन्दू धर्म में तीन देवताओं- ब्रह्मा, विष्णु और महेश को इस सृष्टि की रचना एवं विनाश अर्थात संचालन के लिए उत्तरदायी माना जाता है। इन तीनों ही देवताओं को एक साथ त्रिदेव की उपाधि दी गयी है। शंकर या महादेव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, नीलकंठ आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हें भैरव के नाम से भी जाना जाता है।

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Happy Mahashivratri 2023: शंकर जी सौम्य एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। इन्हें देवों का देव महादेव भी कहा जाता है। वेदों में इनका नाम रुद्र है। इनकी अर्धांगिनी का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं। महाशिवरात्रि को गौरी शंकर की शादी के रूप में भी मनाया जाता है और इसे शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं। ईशान संहिता में तो बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे।

Maha Shivratri 2023 Date and Puja Muhurat: हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 में 18 फरवरी शनिवार के दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा और इस दिन महाशिवरात्रि 18 फरवरी शनिवार को पढ़ रही है और निशिता काल पूजा का जो मुहूर्त है वह तड़के यानी 19 फरवरी को 12:16 से दोपहर 1:06 तक रहेगा। निशिता काल पूजा की जो समय अवधि है वह 50 मिनट रहेगी।

महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त- 19 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक

रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय- शाम 06 बजकर 30 मिनट से 09 बजकर 35 मिनट तक

रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- दोपहर 09 बजकर 35 मिनट से तड़के 12 बजकर 39 मिनट तक

रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- 19 फरवरी को तड़के 12 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 43 मिनट तक

रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय- 19 फरवरी सुबह 3 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक

Mahashivratri 2023 Upay: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि ये दिन शिव और शक्ति के मिलन की रात है। इस दिन शिवभक्त अपने आराध्य का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखने के साथ जलाभिषेक करते हैं। इस दिन भोलेबाबा की विधिवत पूजा करने के साथ जलाभिषेक करने से व्यक्ति को सभी दुखों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ घर में खुशियां ही खुशियां आती हैं।

Maha Shivratri Puja Mantra: शिवरात्रि की पूजा विधि के विषय में भी अलग-अलग मत हैं। सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घृत और चौथे प्रहर में मधु यानी शहद से स्नान करना चाहिए। चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी हैं-

प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।।

इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

Maha Shivratri Puja vidhi: महाशिवरात्रि की पूजा विधि 
सबसे पहले शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए।

महाशिवरात्रि व्रत काल के दौरान मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर, ऊपर से बेल पत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि डालकर ‘शिवलिंग’ पर चढ़ाना चाहिए।

अगर आस-पास कोई शिव मंदिर नहीं है, तो घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजन करनी चाहिए। साथ ही शिव पुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप इस दिन करना चाहिए।

शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति देनी चाहिए। महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है। मान्यता है कि जो भक्त ऐसा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

गुरमीत बेदी
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